आओ इधर बैठते हैं, चेतन ने अपनी मंगेतर मधुरिमा को सिटी व्यू साइड की टेबल की तरफ इशारा करते हुए कहा और दोनों बैठ गए अपनी-अपनी कुर्सी पर, यह रेस्तरां अपने विंडो साइड व्यू के लिए मशहूर था शहर में, खिड़की से बाहर नीचे हरे भरे पेड़ और सामने रेजिडेंशियल काम्प्लेक्स के ऊँचे ऊँचे टावर|
आये थे दोनों साथ में शुकून के पल बिताकर मेमोरी बनाने लेकिन इसी बीच चेतन जोकि एक सिविल इंजीनियर था राज्य सरकार में, चेतन बैठे ही थे कि उनके फोन में एक न्यूज़ पॉप होती है कि आसाम की एक महिला प्रशासनिक अधिकारी के घर से करोड़ों नकद कैश और करोड़ों की ज्वेलरी बरामद हुयी, वह महिला अधिकारी पिछले कुछ महीनो से विजिलेंस की निगरानी में थी |
चेतन ये खबर पढ़कर व्यथित सा हो गया , उसका उतरा सा चेहरा देखकर उसकी मंगेतर मधुरिमा जोकि पेशे से एक शिक्षिका है, सौम्यता से पूछती है, "क्या हुआ आपको, कोई दिक्कत ? ", "इज एवरीथिंग फाइन ?"
चेतन ने उसी व्यथित मन से कहा कुछ ख़ास नहीं, ये तो अक्सर का हो गया है, जब-तब खबर आ ही जाती है कि फलां अधिकारी के घर करोड़ों का कैश और ज्वेलरी बरामद हुयी!
ऐसी कौन सी मजबूरी, लालच या डर है कि लोग रिश्वत लेने से नहीं रोकते खुद को, मुझे तो कोई कारण नज़र नहीं आता, चेतन चिंता कि अवस्था मे बोला क्योंकि उसे ये बात पता थी कि रिश्वत के सिस्टम से लोगों को अवसर मिलने मे असमानता पैदा होती है और मेरिट किनारे हो जाती है साथ ही समाज मे ओवर-आल गुणवत्ता घटती है|
मधुरिमा मुस्कुराते हुये अपने दार्शनिक अंदाज में कहती है कि इनके अंदर का खालीपन इनसे भौतिक चीजों को इकट्ठा करके इन्हे भ्रम मे डलवाता है कि इससे इनके अंदर का खालीपन भर जाएगा या फिर उन्हे लगता है कि जल्दी और ज्यादा पैसे बनाकर वो समाज के लोगों से ज्यादा इज्ज़त पा लेंगे और अंदर कि बेचैनी मिट जाएगी हालांकि मिटती नहीं क्योंकि दुनिया के लोग भी तो चालाक है जब तक स्वार्थ रहता है तब ही तक मान देते हैं, किसी को लगता है कि कोई बड़ी बीमारी न हो जाए उसके लिए अनैतिक तरीके से पैसे इकट्ठे करते हैं, मौत और अकेलेपन से इतना डरते हैं एक से के घृणित कार्य करते हैं और जीना ही भूल जाते हैं, कोई वास्तविक रोमांच नहीं रह जाता, कोई पैसा इकट्ठा करने मे लगा है तो कोई प्रेस्टीज़, और तो और दबाव और डर मे जी रहे दूसरों को भी तकलीफ देते हैं, गलत उदाहरण बनते हैं, ऐसे लोगों के लिए तरस और घृणा की भावना के साथ मधुरिमा व्यंगात्मक मुस्कान देती है, चेतन कुछ रिलैक्स महसूस करता है जवाब पाकर, देर से ही सही बैरा आता और कहता है कि सर स्टार्टर मे क्या लेंगे ?
-लवकुश कुमार
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शुभकामनाएं
ये कहने की बाते है सिर्फ कि मिलना बहुत अच्छी बात है
कभी अपने अभावों की कीमत समझ कर देखना
अगर हर चीज मिल जाए तो बढ़ जाती उम्मीद है
कभी हो सके तो धैर्य की कीमत समझ के देखना
अगर प्रेम मिल जाए तो हम घूमते है सारा जगत
अगर न मिले तुम्हें प्रेम तो
खुद के अंतस मे उतर कर देखना
कहते हो कि सब मिले तो खुश हो जाऊँ मैं
जिन्हे सब मिला है कभी उनसे भी मिलकर देखना
अपने अभावों में भी जो दूसरों के लिए
खुशियाँ लाते हैं जिनके पास खुद का कुछ नहीं होता
बहुत कुछ बाँट वो भी जाते हैं
कभी मुस्कुराहटों के साथ किसी से मिल के देखना
सबको सुनाते हो अपनी कभी किसी को सुन के देखना
कभी मुस्कुराहट की वजह,
कभी किसी चेहरे की मुस्कान बनकर देखना
कभी प्रेम से सबके लिए खुशियाँ जुटाकर देखना
-सौम्या गुप्ता
सौम्या गुप्ता जी इतिहास मे परास्नातक हैं और शिक्षण का अनुभव रखने के साथ समसामयिक विषयों पर लेखन और चिंतन उनकी दिनचर्या का हिस्सा हैं |
इस कविता के माध्यम से कवयित्री क्या संदेश देना चाह रही है उसे कुछ प्रश्नों के माध्यम से समझ सकते है :
इस कविता में, अभावों की बात क्यों की गई है?
इस कविता में अभावों की बात इसलिए की गई है क्योंकि यह जीवन के एक महत्वपूर्ण पहलू को दर्शाती है। अभाव हमें धैर्यवान बनाते हैं, हमें उन चीजों की कीमत का एहसास कराते हैं जो हमारे पास हैं, और हमें दूसरों के प्रति सहानुभूति रखने के लिए प्रेरित करते हैं। अभावों का सामना करके ही हम जीवन के असली आनंद को समझ पाते हैं।
यह कविता हमें खुशियों के बारे में क्या सिखाती है?
यह कविता हमें सिखाती है कि खुशियाँ केवल भौतिक वस्तुओं या सुविधाओं में नहीं हैं। सच्ची खुशी दूसरों के साथ प्रेम, करुणा, और सहानुभूति के बंधन से आती है। यह हमें सिखाती है कि अभावों के बावजूद, हम दूसरों को खुशियाँ दे सकते हैं और उनसे खुशियाँ प्राप्त कर सकते हैं।
कवयित्री ने कविता में धैर्य की बात क्यों की है?
कवयित्री ने कविता में धैर्य की बात इसलिए की है क्योंकि जीवन में अक्सर हमें मुश्किलों और अभावों का सामना करना पड़ता है। धैर्य हमें इन मुश्किलों से निपटने में मदद करता है और हमें उम्मीद बनाए रखने की शक्ति देता है। धैर्य से हम सही समय का इंतजार कर सकते हैं और सही निर्णय ले सकते हैं।
मुस्कुराहटों का इस कविता में क्या महत्व है?
मुस्कुराहटों का इस कविता में बहुत महत्व है, क्योंकि यह प्रेम और सहानुभूति का प्रतीक हैं। मुस्कुराहट हमें दूसरों के साथ जुड़ने, रिश्तों को मजबूत करने और जीवन में खुशी लाने में मदद करती है। मुस्कुराहट एक सरल कार्य है जो बड़ी खुशियाँ ला सकता है।
इस कविता का मुख्य संदेश क्या है?
इस कविता का मुख्य संदेश यह है कि जीवन में अभावों का महत्व है। अभाव हमें धैर्यवान बनाते हैं, हमें उन चीजों की कीमत का एहसास कराते हैं जो हमारे पास हैं, और हमें दूसरों के प्रति सहानुभूति रखने के लिए प्रेरित करते हैं। यह हमें सिखाती है कि सच्ची खुशी दूसरों के साथ प्रेम, करुणा, और सहानुभूति के बंधन से आती है।
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शुभकामनाएं
है युद्ध की रण गर्जना या हाथ में मशाल है,
तू खोज रास्तों को, क्योंकि हर मुश्किल का समाधान है।
माना कि टूटी है शमशीरे,
माना रूठी है तकदीरें,
माना तेरे कोई साथ नहीं,
फिर भी कोई बात नहीं,
तू खड़ा हो जा खुद के वास्ते,
अपनी मुश्किलों के सामने लोहे की दीवार की तरह,
बेड़ियों से तू शमशीर का निर्माण कर ले,
है पथिक तू चलने का ध्यान धर ले।
गर आज गया रुक तू कि है कोई राह नहीं,
भविष्य में पछताने के सिवा रह जाएगा कुछ नहीं,
तू मंजिल तक न रुकेगा ये खुद से वादा कर ले,
मिलेगी मंजिल ये विश्वास कर ले।
-सौम्या गुप्ता
सौम्या गुप्ता जी इतिहास मे परास्नातक हैं और शिक्षण का अनुभव रखने के साथ समसामयिक विषयों पर लेखन और चिंतन उनकी दिनचर्या का हिस्सा हैं |
इस कविता के माध्यम से कवयित्री क्या संदेश देना चाह रही है उसे कुछ प्रश्नों के माध्यम से समझ सकते है :
इस कविता का मुख्य विषय क्या है?
इस कविता का मुख्य विषय संघर्षों का सामना करना, दृढ़ संकल्प रखना और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना है। यह हमें हार न मानने, चुनौतियों का सामना करने और खुद पर विश्वास करने के लिए प्रेरित करता है।
कविता में 'पथिक' किसे संबोधित किया गया है?
कविता में 'पथिक' एक ऐसे व्यक्ति को संबोधित किया गया है जो जीवन के मार्ग पर चल रहा है और चुनौतियों का सामना कर रहा है। यह हर उस व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा है।
कविता हमें किस तरह से प्रेरित करती है?
यह कविता हमें हार न मानने, चुनौतियों का सामना करने, खुद पर विश्वास करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है। यह हमें याद दिलाती है कि सफलता के लिए दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास आवश्यक हैं।
कविता में 'मंजिल' का क्या अर्थ है?
कविता में 'मंजिल' का अर्थ लक्ष्य या उद्देश्य है। यह उस अंतिम स्थान का प्रतीक है जहाँ पथिक पहुँचना चाहता है, चाहे वह व्यक्तिगत सफलता हो या कोई बड़ा सपना।
इस कविता में किस भावना पर जोर दिया गया है?
इस कविता में आशा, साहस और दृढ़ संकल्प की भावना पर जोर दिया गया है। यह हमें विपरीत परिस्थितियों में भी उम्मीद रखने और आगे बढ़ते रहने के लिए प्रोत्साहित करता है।
कविता का संदेश क्या है?
कविता का संदेश है कि जीवन में आने वाली मुश्किलों से डरो मत, उनका सामना करो और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हमेशा प्रयास करते रहो। खुद पर विश्वास रखो, और सफलता निश्चित है।
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आपकी राय के इंतज़ार में
आपका
लवकुश कुमार
धन्यवाद
कुछ लोग पूछते हैं की ये जो इतना लिखते हो उसका कुछ फायदा भी होता है क्या कोई पढ़ता भी है?
तो ऐसे सभी लोगों से मेरा कहना है कि
1. एक वक्त मुझे जब चीजों को जानने की जरूरत थी तो मैने भी पुस्तकें पढ़ीं थीं, जिसे कुछ लोगों ने लिखा था, वैसे ही मैं भी लिख रहा हूं ताकि फिर किसी जिज्ञासु को मेरी लेखनी से कुछ स्पष्टता मिल जाए कोई रास्ता मिल जाए
2. किरण बेदी मैम ने भी यही कहा कि उन्हे लगता है कि उन्हे अपने अनुभव लिखने चाहिए वो जरूर किसी के काम आयेंगे
3. और फिर ये जनहित का कार्य है तो देर रात तक जाग भी सकते हो, मन प्रफुल्लित रहता है
4. अच्छे लोग मिलेंगे, लेखन एक बहुत ही जन उपयोगी काम है अगर आप सच लिख रहे हैं तो, बुद्धि इस तरह के सही काम में लगे रहेगो तो फिजूल में न उलझना पड़ेगा, लेखन एक सृजनात्मक कार्य है और सृजन का आनंद क्या होता है उनसे पूछो जिन्हे बागवानी शरीखे सृजनात्मक कार्यों का शौक है |
5. अगर एक इंसान को भी मेरा लिखा हुआ समझ आ गया या उपयोग का लग गया तो ये लिखना सफल मानूँगा, जब मैंने इतने साहित्य का उपयोग किया तो मै भी क्यों न साहित्य के कोश मे कुछ योगदान दूँ अपनी क्षमता मे |
6. लेखन हमे जीकर दिखाने को भी प्रेरित करता है |
शुभकामनाएं
एक कविता प्रशंसा को लेकर जिसके माध्यम से कवयित्री ने कई लोगों की आवाज को हम तक पहुंचाया है :
समाज के पैमाने पर
सुंदरता की प्रशंसा पाने के लिए
मैंने बहुत इच्छा की
पर समाज को चाहिए
गोरा रंग, आकर्षक काया
इसीलिए कभी वो प्रशंसा
मैं पा न सकीं
फिर खुद को देखा मैंने
खुद को संवारने की कोशिश छोड़कर
ज्ञान पाने के लिए प्रयास किए
छोड़ दी अपेक्षाएं उसकी प्रशंसा पाने की
जो समय के साथ चला जाना है
फिर पाया सच्चा ज्ञान और मिली सच्ची प्रशंसा
जो शरीर की नहीं, थी मन की, ज्ञान की,
समाज के द्वारा नहीं, कुछ सच्चे लोगों से,
जो समझते है भौतिकता से आगे की बातें।
-सौम्या गुप्ता
बाराबंकी, उत्तर प्रदेश
सौम्या गुप्ता जी इतिहास मे परास्नातक हैं और शिक्षण का अनुभव रखने के साथ समसामयिक विषयों पर लेखन और चिंतन उनकी दिनचर्या का हिस्सा हैं |
कई कारणों पर विचार कीजिये
1. बिना संकोच के अपनी कहानी बयान करिए ये किसी की समझ और हौंसले को बढ़ा सकता है 💐💐
2. मान लीजिये कि प्रोत्साहन पर एक लेख लिखना है अगर आप अपने जीवन से एक भी घटना को साझा कर पाएंगे तो ये लेख को समृद्ध करने मे योगदान देगी|
3.हो सकता है कि आपका लिखा हुआ लेख या आपके भाषण मे कुछ ऐसा हो जो किसी नए इंसान के प्रश्नो का जवाब हो जिसके लिए वो उधेड़बुन मे हो
4. कई लेखक एक ही बात और एक ही सत्य को अलग अलग तरीके से लिखते हैं और वो अलग अलग लोगों के काम आते हैं, फिर आप क्यों नहीं लिखते अपने तरीके से ? आप क्यों आवाज नहीं बनते उनके जो अपनी तकलीफ, अपनी आकांक्षा कह नहीं पाते |
5.समझदार इंसान राष्ट्र की संपत्ति हैं अगर आपके अनुभव साझा करने से किसी की सोंच विस्तृत होती है तो इससे आपको भी फायदा होगा घूम फिर कर |
अपने अनुभव साझा कीजिये, और साहित्य को समृद्ध कीजिये, इसी तरह के अन्य लेख भी मौजूद हैं, उनकी तरफ भी रुख किया जा सकता है|
शुभकामनाएं
जीवन एक नदी है,
इसको तुम बहने दो,
मत पकड़ो इसको मुट्ठी में,
स्वच्छंद हवा सा बहने दो।
नदियों की सुन्दर कल-कल हो,
ऊंचे से गिरता निर्झर हो,
रास्तें हो चाहे कंकटाकीर्ण,
जो कहता है ये कहने दो।
ये सोचो मत कल क्या होगा,
जो कल था वो था अच्छा,
या जो आएगा वो अच्छा होगा,
तुम आज से करके दोस्ती,
प्यारी राहों को चलने दो।
माना मंजिलें अभी मिली नहीं है,
हो हर पल सुकून ये जरूरी नहीं है,
पर कुछ क्षण तो खुद को ठहरने दो।
ये जीवन नदी है बहने दो,
जो कहता है ये कहने दो,
आज को बेहतर करो
और खुद को खुलकर जीने दो।
घूमो- टहलो दुनिया देखो,
जीवन को तुम बहने दो,
दौड़ो- भागो मजबूत बनो,
पढ़ो लिखो और समझदार बनो,
व्यक्त करो दैवीयता को,
और जीवन को बहने दो।
-सौम्या गुप्ता
बाराबंकी, उत्तर प्रदेश
सौम्या गुप्ता जी इतिहास मे परास्नातक हैं और शिक्षण का अनुभव रखने के साथ समसामयिक विषयों पर लेखन और चिंतन उनकी दिनचर्या का हिस्सा हैं |
इमेज स्रोत - https://bentenbooks.com/
डॉ॰ विजय अग्रवाल द्वारा लिखित यह प्यारी सी पुस्तक, एक आई.ए.एस. अधिकारी ( व्यक्तिगत सचिव के स्तर के ) के व्यवसायिक और व्यक्तिगत जीवन के साथ उसके मनोभावों के आस पास घूमती है, प्रकाशक बेनतेन बुक्स के शब्दों मे - " यह एक ऐसा उपन्यास है जो इस ग्लोबलाइजे़शन के दौर में किसी भी व्यक्ति को रोज़ मर्रा की ज़िन्दगी से हटकर अपनी निजता को खोजने पर मजबूर करता है। कहानी एक आई.ए.एस. अधिकारी के जीवन के चारों ओर घूमती है और हम सभी के जीवन के अंतर द्वंद्वो तथा समस्याओं पर प्रकाश डालती है। कुलमिलाकर यह हास्य-व्यंग से भरपूर, एक रोचक उपन्यास है जिसे पाठक एक बार शुरू करने पर समाप्त करके ही रखेगा।
मैंने क्या बेहतरी महसूस की खुद में इस पुस्तक को पढ़कर:
" और भी बहुत कुछ जो यहाँ लिखने लग जाऊँ तो फिर एक पुस्तिका तैयार हो जाये "
मुझे उम्मीद है कि आपको भी इस पुस्तक को पढ़कर मानसिक स्फूर्ति का अहसास होगा और चीज़ों को बेहतर तरीके से समझ पाने का गर्व तथा आत्मसंतोष भी |
अगर आपको चीज़ों की कार्यपद्धति को समझना, मानव मन और व्यवहार को जानना-समझना रोचक और जरुरी लगता है तो आप भी निराश न होंगे |
और अनुपमा, कैसी हो ? साधना ने अपनी सहेली के हास्टल के कमरे में घुसते ही पूछा।
ठीक हूं यार, तू बता कैसी है और कैसे हैं मेरे होने वाले जीजा जी, साधना का हांथ पकड़ते हुए आंखों में एक चमक और चेहरे पर ठिठोली का भाव लाते हुए, अनुपमा ने भी सवाल दाग दिया।
वो भी ठीक हैं ( चेहरे पर लालिमा और मुस्कुराहट के साथ ), उनका तबादला बनारस हो गया है और आज ही वो बिजनौर के कार्यालय से रिलीव भी हो गए हैं, साधना ने जवाब दिया, पापा कह रहे थे कि मेरे फाइनल सेमेस्टर के एग्जाम के तुरंत बाद सगाई और नवंबर में शादी!
अब जल्द ही मेरा अकेलापन दूर हो जाएगा, साधना खिलखिलाते हुए बोली।
नहीं प्यारी, अकेलापन दूर नहीं होगा बस दब जायेगा, अनुपमा ने मुस्कुराते हुए आध्यात्मिक ज्ञान का साझा किया |
अकेलापन दूर होता है जब हम किसी बड़े काम में लगते हैं, ऐसा काम जो हमें हमारी उच्चतम संभावनाओं तक ले जाए, अनुपमा ने आगे समझाया |
तो तू कब ढूंढ रही है कोई जो तुझे तेरी उच्चतम संभावनाओं तक ले जाए, साधना ने कुछ खीझकर कहा।
प्रतीक्षा में हूं कि कब कोई मिलेगा ऐसा, जल्दबाजी में मैं किसी ऐसी गाड़ी में नहीं बैठना चाहती जिसमें मुझे खुद ही धक्का लगाना पड़े, इससे बेहतर है कि मैं पैदल ही चलती रहूं, अनुपमा ने गहरी सांस भरते हुए कहा।
- लवकुश कुमार