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सुंदरता के मायने- सौम्या गुप्ता

एक कविता प्रशंसा को लेकर जिसके माध्यम से कवयित्री ने कई लोगों की आवाज को हम तक पहुंचाया है :

समाज के पैमाने पर 
सुंदरता की प्रशंसा पाने के लिए 
मैंने बहुत इच्छा की 
पर समाज को चाहिए 
गोरा रंग, आकर्षक काया 
इसीलिए कभी वो प्रशंसा 
मैं पा न सकीं 

फिर खुद को देखा मैंने 
खुद को संवारने की कोशिश छोड़कर 
ज्ञान पाने के लिए प्रयास किए 
छोड़ दी अपेक्षाएं उसकी प्रशंसा पाने की 
जो समय के साथ चला जाना है 
फिर पाया सच्चा ज्ञान और मिली सच्ची प्रशंसा 
जो शरीर की नहीं, थी मन की, ज्ञान की,
समाज के द्वारा नहीं, कुछ सच्चे लोगों से,
जो समझते है भौतिकता से आगे की बातें।

-सौम्या गुप्ता

बाराबंकी, उत्तर प्रदेश 

सौम्या गुप्ता जी इतिहास मे परास्नातक हैं और शिक्षण का अनुभव रखने के साथ समसामयिक विषयों पर लेखन और चिंतन उनकी दिनचर्या का हिस्सा हैं |