अपनी रचनाओं से संवेदना और स्पष्टता जगाने वाली विख्यात लेखिका श्रीमती मीरा जैन का जन्म 2 नवबंर 1960 को जगदलपुर (बस्तर) छ.ग. में हुआ, परिचय:
शिक्षा - स्नातक
जीवन साथी- इंजि. वीरचंद जैन
माता - श्रीमती केशर देवी मोदी
पिता - श्री विनयचंद जी मोदी
लेखन विधा- लघुकथा , आलेख व्यंग्य , कहानी, कविताएं , क्षणिकाएं आदि ।
पत्र-प्रत्रिकायें जिनमें रचनायें प्रकाशित हुई है 2000 से अधिक रचनाएं निम्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं-
कादम्बिनी , सरिता , गृहशोभा, हंस , नया ज्ञानोदय , सरस सलिल , अहा !जिदंगी , मेरी सहेली , गृहलक्ष्मी, वनिता , बिंदिया. नवनीत , जागरण सखी , मेरी सजनी , वीणा , नई गुदगुदी , साहित्य अमृत, कथादेश, माधुरी , मनस्वी , वेद अमृत , मनोरमा, विश्व हिंदी साहित्य मारीशस, देवपुत्र , नंदन , बाल भरती, मंगलयात्रा , साक्षात्कार . स्वदेश , पंजाब सौरभ, बाल भास्कर, बाल हंस, बच्चो का देश, शबनम ज्योति,अणुव्रत, द्वीप लहरी, अमृत कलश, प्रभात खबर, समाज्ञा ,नई दुनिया, दैनिक जागरण, अमर उजाला, समान्तर ,दैनिक भास्कर, नव भारत टाइम्स , राजस्थान पत्रिका ,हरिभूमि, प्रभात खबर, भारतदर्शन न्यूजीलैडं, ,हिंदी चेतना(कनाडा) नवनीत , बाल किलकारी(बिहार सरकार), उजाला, पंजाब केसरी, जनवाणी, नवभारत , सेतू-.यू.एस. कथा देश , अक्षरा, लोकमत , अक्षरा , चम्बा न्यूज , द राइजिंग स्टेप, साहित्य समीर दस्तक, विश्व गाथा, अक्षर खबर , संगिनी , साहित्य गुंजन, राज एक्सप्रेस , समावर्तन , दिव्यालोक , दैनिक अग्नि पथ ,अवन्तिका , अक्षर विश्व , शब्द प्रवाह, साहित्य समीर दस्तक , प्रभाश्री ज्ञान सागर आदि अनेक।
वे संग्रह जिनमे मेरी लघुकथाएॅ हैं- तीसरी ऑख , द्वीप लहरी , समान्तर ,क्षितिज ,चर्चित ,मिन्नी (पंजाबी), सेतु , कालीमाटी ,दोहरे चेहरे , महा मानव , सागर के मोती, बुजुर्ग जीवन की, लघुकथाएं , कलश, दृष्टि, मन के मोती, गुलाबी गलियां आदि अनेक।
नेपाली, गुजराती , पंजाबी , सिंधी , ओड़िया, बंगाली, असमिया, भोजपुरी, अंग्रेजी,मलयालम , मराठी ,भाषा मेें भी अनुवाद एंव प्रकाशन।
आकाशवाणी जगदलपुर एवम् इंदौर से व्यंग्य,लघुकथाओं व अन्य रचनाओं का प्रसारण. म.प्र.दूरदर्शन से कविताओं का प्रसारण , बोल हरियाणा बोल तथा रेडियो दस्तक से प्रसारण।
प्रकाशीत किताबें-
1- पुस्तक का नाम - मीरा जैन की सौ लघुकथाएं
प्रकाशन का वर्ष - सन् 2003 ,
प्रकाशक - मानव प्रकाशन
द्वितीय संस्करण - प्रकाशन का वर्ष - सन् 2011
प्रकाश - अध्ययन प्रकाशन ,दिल्ली
तृतीय संस्करण - प्रकाशन का वर्ष - सन् 2013
चतुर्थ संस्करण - प्रकाशन का वर्ष - सन् 2016
2- पुस्तक का नाम - 101 लघुकथाएं
प्रकाशन का वर्ष - सन् 2010दिसम्ब
द्वितीय संस्करण जून2012
तृतीय संस्करण अगस्त 2014
प्रकाशकश- पत्रिका प्रकाशन जयपुर , राज.
3- पुस्तक का नाम - दीन बनाता है दिखावा ,लेख,
प्रकाशन का वर्ष - सितंबर 2013
द्वितीय संस्करण - प्रकाशन का वर्ष -2016
प्रकाशक - बोधि प्रकाशन जयपुर राज.
4- पुस्तक का नाम - मीरा जैन की कवितायें , कविता संग्रह ,
प्रकाशन का वर्ष - 2014
प्रकाशक - अयन प्रकाशन दिल्ली
5- पुस्तक का नाम - सम्यक लघुकथाएं
प्रकाशन का वर्ष - सन् 2016 फरवरी
प्रकाशक - बोधि प्रकाशन जयपुर , राज.
6- पुस्तक का नाम - श्रेष्ठ जीवन की संजीवनी
प्रकाशन का वर्ष - फरवरी 2018
प्रकाशक - बोधि प्रकाशन जयपुर , राज
7- पुस्तक का नाम - हेल्थ हादसा, व्यंग्य संग्रह,
प्रकाशन का वर्ष - मार्च 2019
प्रकाशक - सूर्य मंदिर प्रकाशन
8- पुस्तक का नाम - मानव मीत लघुकथाएं
प्रकाशन का वर्ष - मार्च 2019
प्रकाशक - सूर्य मंदिर प्रकाशन बीकानेर
पुस्तक का नाम-
9-जीवन बन जाए आनंद का पर्याय,
लेख संग्रह
प्रकाशन वर्ष - 2020
प्रकाशक -इंडिया नेट बुक, दिल्ली
पुस्तक का नाम -
10-भोर में भास्कर , लघुकथा संग्रह
प्रकाशन वर्ष - 2022
प्रकाशक इंडिया नेटवर्क नेट बुक दिल्ली
11-मीरा जैन के सदाबहार लघुकथाएं
प्रकाशक- जिज्ञासा प्रकाशन प्रकाशन- वर्ष 2023
विशेष-
2011में ‘‘ मीरा जैन की सौ लघुकथाएं‘‘विक्रम विश्व विद्यालय उज्जैन द्वारा शोध कार्य करावाया जा चुका है ।
2022 - महाराष्ट्र, सावित्रीबाई फूले यूनिवर्सिटी पुणे द्वारा लघुकथाओं पर शोध कार्य जारी।
2024 - विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा मेरी लघुकथाओं पर शोधकर जारी है
अनेक लघुकथाओं पर लघु फिल्मों का निर्माण
सम्यक लघुकथाएं पूर्णतया बालकों से संबंधित श्रेष्ठ आचरण पर आधारित है .
सन् 2007-8 में निर्धन वर्ग आयोग म.प्र.शासन राज्य स्तर पर मेरे द्वारा भेजे गये सुझावों को
प्रथम प्रथमिकता में चयनित किया .
केंद्रिय मानव संसाधन विकास मंत्रालय तथा छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मेरी किताबें क्रय की गई है ।
अनेक भाषाओं में रचनाओं का अनुवाद एवं प्रकाशन
पुरस्कार - अंतर्राष्ट्रीय , राष्ट्र एंव राज्य स्तरीय अनेक पुरस्कार-
नईदुनिया तथा टाटा शक्ति द्वारा लेखन के लिये प्राइड स्टोरी अवार्ड 2014.
युग र्निमाण शिक्षण समिति तथा हिंदी साहित्य परिषद द्वारा हिंदी सेवा सम्मान 2015 से सम्मानित .
पुस्तक 101 लघुकथाएं को राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम पुरूस्कार 2011 .
लघुकथा के लिये हस्ताक्षर संस्था द्वारा विशिष्ट पुरस्कार ,
दैनिक अग्नि पथ द्वारा वरिष्ठ लघुकथाकार साहित्य सम्मान 2013 ,
शब्द प्रवाह साहित्य सम्मान 2013 ,
सामाजिक कार्यो में विशिष्ट योगदान एवम् साहित्यक उपलब्धियों हेतू नवकार सेवा संस्थान द्वारा विषिष्ट सम्मान .
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लेख को प्रथम पुरस्कार
महिला एवं बाल विकास उज्जैन संभाग म.प्र. द्वारा अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस 2016 में सम्मान ,
कथादेश द्वारा 2016 में लघुकथा पुरस्कृत .
जे.एस.जी.आई.एफ. म.प्र.रीजन द्वारा विभिन्न क्षेत्रों की उपलब्धियॉ तथा समाज सेवा के क्षेत्र में अद्वितीय कार्यो के लिये अवार्ड 2016-17 से नवाजा गया.
अभिव्यक्ति मंच द्वारा कविता को राष्ट्रीय स्तर पर द्वितीय पुरस्कार
जे.एस.जी.आई.एफ. द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट लेखन व समाज सेवा के क्षेत्र में आउट स्टेंडिंग परफारमेंस हेतू अवार्ड 2017 .
महिला सशक्तिकरण उज्जैन ने बेहतर समाज सेवा , समाजिक एकता व उत्कृष्ट लेखन के लिये अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2017 पर सम्मानित किया .
अभिव्यक्ति विचार मंच द्वारा राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान 2017-18 से सम्मानित आदि अनेक।
अखिल भारतीय साहित्य साधक मंच बंगलौर द्वारा राजभाषा साहित्य सम्मान
राष्ट्रीय संगठन सखी संगिनी द्वारा 2018 नारी सेवा सम्मान
लघुकथाएं व लेख को विभिन्न संस्थाओं द्वारा 2018 में पुरस्कृत,
भोपाल से प्रकाशित मासिक पत्रिका 'साहित्य समीर दस्तक' एंव श्री विभगूंज वेलफेयर सोसायटी' द्वारा 'सम्यक लघुकथाएं' को 'शब्द गुंजन लघुकथा सम्मान-2018' से सम्मानित किया गया।
विचार प्रवाह मंच इंदौर द्वारा सम्मानित 2020
डॉक्टर एस एन तिवारी सम्मान 2021
अमृत महोत्सव के तहत माधव महाविद्यालय उज्जैन द्वारा श्रेष्ठ साहित्य साधिका सम्मान 2021
मातृ भाषा उन्नयन संस्थान भारत के द्वारा हिंदी दिवस 2022 सम्मानित
हिंदी साहित्य सम्मेलन बदनावर द्वारा साहित्य सम्मान 2022
मथुरा देवी स्मृति वट स्मृति षोडश सम्मान 20 22
हिंदी साहित्य अकादमी भोपाल द्वारा व्यंग्य संग्रह 'हेल्थ हादसा ' को शरद जोशी व्यंग्य सम्मान 2019
भारतीय साहित्य परिषद इंदौर द्वारा प्रादेशिक साहित्य गौरव सम्मान 2023
विचार प्रवाह साहित्यिक मंच इंदौर द्वारा विशिष्ट लघुकथा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान सम्मान 2023
इंटिग्रेटेड सोसायटी ऑफ मीडिया प्रोफेशनल लखनऊ द्वारा
समग्र सहित्य पर मैथिली शरण गुप्त सम्मान 2022
अथाई समूह द्वारा सर्वश्रेष्ठ कथाकार सम्मान 2023
संस्था विद्यांजलि भारत मंच इंदौर द्वारा समग्र साहित्य पर धरोहर सम्मान 2023
साहित्य संगीति जयपुर द्वारा लघुकथा संग्रह भोर में भास्कर को सर्वोत्कृष्ट कृति जयपुर सम्मान 2024
अभिनव कला परिषद भोपाल द्वारा अभिनव शब्द शिल्पी अलंकरण से सम्मानित 2023
अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय महिला लेखन प्रेरणा पुरस्कार 2023
म. प्र लेखिका संघ भोपाल द्वारा लघुकथा संग्रह भोर में भास्कर के लिए राष्ट्रीय स्तर पर श्रीराजकुमार केसवानी सम्मान 2024
माता कौशल्या साहित्य संस्कृति शोध संस्थान वी डॉ.माया ठाकुर फाउंडेशन रायपुर द्वारा
लघुकथा भूषण सम्मान 2024
रक्त मित्र फाउंडेशन मथुरा उत्तर प्रदेश द्वारा नारी शक्ति पद्मश्री सम्मान 2024
पतंजलि योग समिति छत्तीसगढ़ द्वारा साहित्य सम्मान 2024
मां राजपति देवी स्मृति साहित्य सम्मान 2024-प्रयागराज
किस्सा कोतहा सम्मान आगरा 2024
राजराजेश्वरी म्यूजिकल ग्रुप इंदौर साहित्य सम्मान 2024
प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट भोपाल द्वारा साहित्य सम्मान 2024
प्रांति इंडिया साहित्य सम्मान 2024
अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय श्लाका
सम्मान 2024
अंतर्राष्ट्रीय सरस्वती साहित्य सम्मान 2025
श्रीमती आशा सुपेकर स्मृति सम्मान 2025
सम्प्रति-पूर्व सदस्य बाल कल्यााण समिति
पद-प्रथम श्रेणी न्यायायिक मजिस्ट्रेट बोर्ड , बा.क.स
चेयर पर्सन-गर्ल सेव चाइल्ड कमेटी जे.एस.जी.आई.एफ. 2016-17-18
2019 गृह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा देश के विद्ववानों की सूची में शामिल
अनेक मंचो से बाल साहित्य , बालिका महिला सुरक्षा उनका विकास , कन्या भ्रूण हत्या , बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ , बालकों के लैगिंग यौन शोषण , निराश्रित बालक बालिकाओं को समाज की मुख्य धारा से जोड़ना स्कूल , कॉलेजों के विद्यार्थियों को नैतिक शिक्षा आदि के अनेक विषयो पर उद्बोधन एवं कार्यशाला ।
पता
मीरा जैन
516 साईं नाथ कॉलोनी,सेठीनगर
उज्जैन ,मध्य प्रदेश
पिन-456010
मो. बा-9425918116
https://www.meerajain.in
jainmeera02@gmail.com
श्री संजय सिंह, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण में सन् २०१२ से वायु यातायात नियंत्रण अधिकारी (ATCO) के रूप में कार्यरत हैं।
“अवध” ये उपनाम इन्हें विद्यालय के दिनों में अपने भूगोल के अध्यापक से उपाधि के रूप में प्राप्त हुआ जिन्होंने इनको इस उपनाम से लिखने को प्रेरित किया।
केंद्रीय विद्यालय बैरागढ़ भोपाल से विद्यालयीन शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात, संजय सिंह “अवध” ने राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भोपाल से इंजीनियरिंग में स्नातक प्राप्त किया।
बचपन से ही लेखन के शौकीन संजय सिंह “अवध” अभी तक कई सारे मंचों पर भी अपनी कविताओं की प्रस्तुति दे चुके हैं और अपने कालेज के दिनों से ही, जैसा कि इनकी रचनाओं से घोतक है, जन जन में संवेदना, करूणा और साहस भरने के साथ अंतर्विषयक समझ द्वारा उत्कृष्टता के पथ पर युवाओं को अग्रसर करने को प्रयासरत हैं।
आपने युवाओं से जुड़ने और उन्हें अनुनादित कर उनका श्रेष्ठ बाहर लाने के लिए अपना यूट्यूब चैनल ( यहां क्लिक करें ) भी बनाया है।
जैसा कि आपकी एक कविता उड़ान में उद्धृत है आप इस बात के हिमायती हैं कि व्यक्ति को खुलकर, अपने काम में उत्कृष्टता के दम पर ऊंची से ऊंची उड़ान को ध्येय बनाकर नैतिकता का साथ लिए हुए प्रयासरत रहना चाहिए।
क्योंकि आप शतरंज और बैडमिंटन भी खेलते हैं शौकिया तौर पर इस तरह खेल भावना भी झलकती है आपकी रचनाओं में, इसके साथ ही देश के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर अपनी सेवाएं देने का जो अवसर मिला और उससे प्राप्त अनुभव का पुट भी रहता है आपकी रचनाओं में और ये तत्व इन्हें एक अलग ही कलेवर देते हैं जो पाठकों में रुचि जगाने और स्पष्टता देने में सफल साबित होता है।
लेखक, कवि और चिंतक, श्री संजय सिंह 'अवध' की रचनाओं को उनके ब्लॉग ( यहां क्लिक करें ) से भी पढ़ा जा सकता है और उनकी ईमेल से उनसे संपर्क साधा जा सकता है - green2main@yahoo.co.in
युवाओं से संपर्क में नियमितता बनी रहे इसके लिए आपका वाट्सऐप चैनल ( यहां क्लिक करें ) भी है।
ज्यादा से ज्यादा लोग लाभान्वित हों आपकी रचनाओं से, इसी विश्वास के साथ।
- लवकुश कुमार
आदरणीय सुषमा सिन्हा जी का जन्म वर्ष 1962 में गया (बिहार) में हुआ इनकी माता जी प्रधानाध्यापिका थी इन्होने बीए ऑनर्स (हिंदी), डी. सी. एच., इग्नू (वाराणसी) उर्दू डिप्लोमा में शिक्षा प्राप्त की|
इनकी प्रकाशित पुस्तकें निम्नलिखित हैं :-
चार लघुकथा संग्रह
1. औरत (2004)
2. राह चलते (2008)
3. बिखरती संवेदना (2014)
4. एहसास (2017)
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में विगत 32 वर्षों से कविता, लघु कथा, कहानी आदि प्रकाशित ।
सम्मान पुरस्कार
सामाजिक संस्था "जागरूक जनता ट्रस्ट" द्वारा "जागरूक महिला पुरस्कार"।
साहित्यिक संस्था "मंजिल ग्रुप" दिल्ली, द्वारा "लाल बहादुर शास्त्री" सम्मान।
"शतकवीर सम्मान", "साहित्य योद्धा सम्मान", "मातोश्री सम्मान" एवं अन्य "साहित्यिक सम्मान" से सम्मानित।
"साहित्य सृजन मंच" खगड़िया (बिहार) द्वारा 2022 "लघुकथा गौरव" सम्मान एवं "सृजन गौरव सम्मान"।
"हरिवंश राय बच्चन स्मृति पर्व" पर "लघु कथा सम्मान"।
विभिन्न आध्यात्मिक एवं स्लोगन प्रतियोगिता में पुरस्कृत।
2017 में 29 वाँ "लघु कथा सम्मेलन" पटना बिहार में, गोवा की तत्कालीन राज्यपाल, श्रीमती मृदुला सिन्हा द्वारा, "लघु कथा सम्मान" से सम्मानित।
वर्तमान- स्वतंत्र लेखन।
ईमेल- ssinhavns@gmail.com
प्रो० राम मोहन पाठक जी द्वारा प्राप्त शुभाशंसा में प्रोफेसर साहब लिखते हैं कि
जीवन की अनुभूतियों के शब्दमंथन की परिणति रचना-'कथा-कहानी' प्रेरक, पठनीय पुस्तक है। लेखिका का कथन है- 'मैं सफर में आने वाले मील के पत्थर के साथ-साथ छोटे, बड़े कंकड़, पत्थर, विशाल वृक्ष, लताएँ-सभी को सहेजने की कोशिश करती हूँ, जो बाद में लेखनी में कब, कैसे बंध जाती हैं, पता नहीं चलता।'- यह कथन प्रस्तुत संग्रह की कथाओं में स्पष्ट ध्वनित होता है। पाठक को इन रचनाओं में आधुनिक जीवन की संगतियों-विसंगतियों और प्रस्तुत समस्याओं का कथारूप भी स्पष्ट झलकता है। साथ ही, समस्याओं के हल भी प्रस्तुत करने की लेखकीय चेष्टा इस संग्रह की विशिष्टता है।
काशी के साहित्यिक परिवेश में स्वतंत्र लेखन के लिए दीर्घ अवधि से समर्पित सुषमा जी के पूर्व प्रकाशित चार लघुकथा संग्रहों के कम में यह पांचवीं कृति है। संग्रह की कथाएँ प्रेरक और जीवनोपयोगी भी हैं।
लेखिका की मानव जीवन और समाज के प्रति विश्लेषणात्मक साहित्यिक दृष्टि पुस्तक की आत्मा है। आशा है साहित्यानुरागी पाठकों के लिए सकारात्मक चिंतन और जीवन की दार्शनिक दृष्टि प्रदान करता यह रचना-संग्रह अवश्य ही स्वीकार्य, रूचिकर एवं प्रेरक होगा!
साहित्य साधना की निरंतरता वस्तुतः तपस्या भी है। लेखिका की सार्थक, अनवरत साधना--तपस्या का यह क्रम जारी रहे, इसी शुभकामना के साथ......!
साथ ही जाना माना नाम श्री कृष्ण कुमार श्रीवास्तव (निर्देशक एवं लेखक) लेखिका के बारे में लिखते हैं कि
" दिनकर की कुछ पंक्तियां उद्धृत कर रहा हूं... बूढ़े बैल की पीठ पर बेरहमी से बेंत मत मारो। मेरी पीठ पर उसका निशान उगता है....।
इस एहसास की पराकाष्ठा जब लेखनी के माध्यम से कम शब्दों में अभिव्यक्त होकर पाठक की चेतना को जागृत करती है तो लघुकथा बन जाती
है। लघु कथा अर्थात् लघु है जो कथा।
लघु कथा का संक्षिप्त होना अनिवार्य माना जाता है, परन्तु संक्षिप्त होते हुए भी इसमें कथ्य, पात्र, चरित्र-चित्रण, संवाद और उद्देश्य निहित होते हैं।
लघु कथा लघु होने के बावजूद अपने उद्देश्य को बिजली की कौंध की तरह अपने पाठक के समक्ष अभिव्यक्त करने का सामर्थ्य रखती है।
लघु कथा, किसी क्षण विशेष में उत्पन्न भाव, घटना या विचार को संक्षिप्त रूप में सरल शब्दों से गढ़ी गई प्रभावी अभिव्यक्ति है। इसमें यथार्थ के
साथ-साथ कल्पना की उन्मुक्त उड़ान भी होती है। वर्तमान में साहित्यिक विधाओं की दौड़ में लघु कथा सबसे आगे है।
जहाँ तक मुझे ज्ञात है लघु कथा के बीज वेद-उपनिषिद् से लेकर पुराण, रामायण, महाभारत, बौद्ध-जातक कथाओं, पंचतंत्र, हितोपदेश आदि में
संस्थित हैं। भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा लिखित अंगहीन धनी, अद्भुत संवाद और माधवराव सप्रे द्वारा लिखित "एक टोकरी भर मिट्टी" से लेकर सआदत हसन
मंटो, रमेश बत्रा, जगदीश कश्यप, सतीश दुबे, सतीश राज पुष्करण, कृष्ण कमलेश, विक्रम सोनी, विष्णु प्रभाकर, पृथ्वीराज अरोड़ा, मधुदीप, मधुकांत,
डॉ. शील कौशिक, हरिशंकर परसाई, प्रथम महिला लघु कथा लेखिका इंदिरा स्वप्न, चित्रा मृदुल, शकुंतला किरण, डॉ. चंद्रा सायता से होती हुई लघु कथा
की जो विशाल शोभायात्रा चल रही है उसमें सुषमा सिन्हा भी अपनी एक प्रमुख पहचान रखती हैं।
लघु कथा का कलेवर उसकी लघुता में ही होता है इसलिए लघु कथा के लेखक में अधिक सृजनशीलता होती है, क्योंकि उसे सीमित शब्दों में ही
अपनी संवेदनाओं को व्यक्त करना पड़ता है और अपने पाठकों को संतुष्ट एवं प्रभावित करना पड़ता है।
अपने शिल्प में निपुण सुषमा जी में अथाह सृजनशीलता है। इसी
कारण औरत, राह चलते, बिखरी संवेदना और एहसास के बाद इनका पांचवा
लघु कथा संग्रह प्रकाशित होने जा रहा है। इनके पूर्व प्रकाशित रचनाओं के
आधार पर यह स्पष्ट है कि तमाम सम्मानों से सम्मानित सुषमा जी की लेखनी
लघु कथा रचना शिल्प में सिद्ध हो चुकी है। अपनी सिद्ध लेखनी से सुषमा जी
जीवन के अनछुए पहलुओं पर लिखती रहें और लघु कथा विधा को और
अधिक समृद्धशाली करती रहें।
.."हमारे जीवन में घटने वाली छोटी-सी घटना में जीवन की
विराट व्याख्या छिपी रहती है। इस विराट कथ्य को बिम्बों में बांध लेना ही
लघु कथा है....."
"सुषमा जी" के लिए अनंत शुभकामनाओं के साथ....
आदरणीय अक्षजा जी को पढ़ना संवेदना जगाता है और स्पष्टता से भर देता है, आपने अपनी रचनाओं से मानवीय रिश्तों, संघर्षों, विरोधाभासों पर प्रकाश डालते हुए या कहें कि ध्यान खींचते हुए एक शांतिमय और समृद्ध जीवन / दुनिया के लिए तरह तरह की विधाओं में साहित्य रचकर साहित्य कोश में अमूल्य योगदान दिया है, आपके सम्बन्ध में निम्नलिखित जानकारी उपलब्ध है जो पाठकों के लिए प्रासंगिक होगी ऐसा विश्वास है :
सृजन की विधाएँ : लघुकथा, कहानी, व्यंग्य, छंदमुक्त कविता, पत्र, आलेख, समीक्षा, जापानी-विधा हाइकु-चोका आदि।
प्रकाशित कृतियाँ: 'रोशनी के अंकुर' एवं 'टूटती मर्यादा' लघुकथा संग्रह तथा ‘सुधियों के अनुबंध’ कहानी संग्रह।
अस्सी के लगभग विभिन्न विधाओं में साझा-संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित।
अनुवाद : 'अदहने क आखर' अवधी अनुबाद [लघुकथा-संकलन]
सम्पादन : 'खाकीधारी' 2024{लघुकथा संकलन} 'अदृश्य आँसू' 2025 {कहानी संकलन} 'किस्से खाकी के' 2025 {कहानी संकलन} 'उत्तर प्रदेश के कहानीकार' 2025 {कथाकोश}
पुरस्कार : लघुकथा/समीक्षा/कहानी/व्यंग्य / कविता विधा में कई बार पुरस्कृत |
आकाशवाणी आगरा से कहानी प्रसारित
कुछ लघुकथाएँ पंजाबी, उर्दू, नेपाली और उड़िया में अनूदित होकर प्रकाशित।
यू ट्यूब चैनल : 'savita mishra akshaja' और ‘साहित्य एक समुन्दर: 'अक्षजा' नाम से|
ब्लॉग: 'मन का गुबार' एवं 'दिल की गहराइयों से'।
ई-मेल: 2012.savita.mishra@gmail.com
मोबाइल: 09411418621
दीपक जी बाजार में मिले तो पीछे ही पड़ गए "आज तो चलना ही पड़ेगा, मेरा मकान देखने, बहुत इन्ट्रेस्ट से बनवाया है मैंने।" दीपक जी मेरे बॉस रह चुके हैं, अतः अनिच्छा से ही सही, जाना पड़ा।
मकान वाकई बहुत सुन्दर बनाया गया था। सुन्दर बगीचे वाला कम्पाउण्ड, अन्दर हर कमरे में चमचमाते मार्बल के फर्श, कीमती फर्नीचर, दीवारों पर महँगे वालपेपर्स, बेहद सुन्दर फॉल्स सीलिंग्स, एक्वेरियम, प्योर लेदर के सोफे, चमचमाते वॉशरूम देखकर मेरे मुख से अपने आप 'वाह' निकल गया और मन में ऐसा ही मकान बनाने की इच्छा बलवती होने लगी।
चाय पानी के बाद हम बाहर आए तो दीपक जी एकाएक बोले, "अरे तुमने बाईक उधर दाईं तरफ क्यों खड़ी की ? उधर वालों से हमारा झगड़ा है।" फिर घूमकर बाईं तरफ के मकान की ओर देखा तो पत्नी पर चिल्ला पड़े "नीमा, तुम्हारे सुखाए कपड़े उड़कर उस तरफ जा रहे हैं, संभालो उन्हें।" फिर कुछ संकोची स्वर से बोले "ये दाएं तरफ वाले भी ऐसे ही हैं, इनसे भी बोलचाल बन्द है हमारी। नब्बे लाख का मकान जो बना लिया है मैंने, नाते रिश्तेदार भी आज तक देखने नहीं आए, सब जलते हैं साले मुझसे। खैर, कैसा लगा मेरा बंगला ?" "बहुत खूबसूरत, बहुत शानदार" मैंने कहा। "तुमने एक बात नोट की, मैंने हर कमरे, यहाँ तक कि बरामदे में भी बिजली कनेक्शन के कई-कई प्वाइंट लगवाए हैं, ताकि किसी को किसी इन्स्ट्रुमेण्ट के चार्जिंग में कोई दिक्कत न हो, है न दूरदर्शी सोच मेरी।"
"बिल्कुल सही" मैंने कहा "काश बिजली के कनेक्शंस के साथ आपने सम्बन्धों के कनेक्शन भी जोड़े रखे होते तो डिस्चार्ज पड़े रिश्ते भी चार्ज हो जाते" कहना चाहता था मैं, पर कह न सका।
© संतोष सुपेकर ( सातवें पन्ने की खबर से साभार )
ईमेल- santoshsupekar29@gmail.com
संतोष सुपेकर जी, 1986 से साहित्य जगत से जुड़े हैं, सैकड़ों लघुकथाएं. कविताएँ, समीक्षाएं और लेख लिखे हैं जो समाज में संवेदना और स्पष्टता पैदा करने में सक्षम हैं, आप नियमित अखबार-स्तम्भ और पत्र-पत्रिकाओं (लोकमत समाचार, नवनीत, जनसाहित्य, नायिका नई दुनिया, तरंग नई दुनिया इत्यादि) में लिखते रहे हैं और समाज की बेहतरी हेतु साहित्य कोश में अपना योगदान सुनिश्चित करते रहे हैं | (लेखक के बारे मे विस्तार से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें )
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शुभकामनाएं
श्रीमान संतोष सुपेकर जी, 1986 से साहित्य जगत से जुड़े हैं, सैकड़ों लघुकथाएं. कविताएँ, समीक्षाएं और लेख लिखे हैं जो समाज में संवेदना और स्पष्टता पैदा करने में सक्षम हैं, आप नियमित अखबार-स्तम्भ और पत्र-पत्रिकाओं (लोकमत समाचार, नवनीत, जनसाहित्य, नायिका नई दुनिया, तरंग नई दुनिया इत्यादि) में लिखते रहे हैं और समाज की बेहतरी हेतु साहित्य कोश में अपना योगदान सुनिश्चित करते रहे हैं साथ ही आपकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमे कुछ हैं- बंद आँखों का समाज, भ्रम के बाजार में, सातवें पन्ने की खबर, चेहरों के आरपार, प्रस्वेद का स्वर इत्यादि )
आपको मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी, रेल मंत्रालय, नयी दिल्ली का प्रेमचंद कथा सम्मान सहित अनेक सम्मान व पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं |
आपकी अनेक लघुकथाओं, कविताओं का अब तक देश- विदेश की 13 भाषाओं / बोलियों में अनुवाद हो चुका है |
आपकी लघुकथाओं पर नागपुर विश्वविद्यालय, सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय , उज्जैन और रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल में शोध कार्य हो चुका है |
आपकी दो लघुकथाएं महाराष्ट्र राज्य के कक्षा दसवीं के पाठ्यक्रम में शामिल की गयी थी
हाल ही में एक कविता STM विश्वविद्यालय नागपुर के B.Sc. द्वितीय वर्ष के पाठ्यक्रम में शामिल हुई है|
सुपेकर जी को पढ़ना और उनसे संपर्क, स्पष्टता, ऊर्जा और आशा से भर देता है |
सुश्री सौम्या गुप्ता जी इतिहास मे परास्नातक हैं और शिक्षण का अनुभव रखने के साथ समसामयिक विषयों पर लेखन और चिंतन उनकी दिनचर्या का हिस्सा हैं, इस वेबसाइट पर प्रकाशित उनकी रचनाओं से जीवन, मानव संवेदना एवं मानव जीवन के संघर्षों की एक बेहतर समझ हांसिल की जा सकती है, वो बताती हैं कि उनकी किसी रचना से यदि कोई एक व्यक्ति भी लाभान्वित हो जाये, उसे कुछ स्पष्टता, कुछ साहस मिल जाये, या उसमे लोगों की/समाज की दिक्कतों के प्रति संवेदना जाग्रत हो जाये तो वो अपनी रचना को सफल मानेंगी, उनका विश्वास है कि समाज से पाने की कामना से बेहतर है समाज को कुछ देने के प्रयास जिससे शांति और स्वतंत्रता का दायरा बढे |
ऐसे इंसान सतत प्रेरणा के श्रोत हैं, इन्हे पढ़कर, इनसे बात करके खूब काम करने का उत्साह मिलता है |
ईमेल- saumyajbr123@gmail.com"
डॉ अनिल वर्मा, कृषि रसायन में परास्नातक हैं और गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर उत्तराखंड में कृषि रसायन पर शोध कार्य कर चुके हैं।
इनके द्वारा शिक्षण और साहित्य के अध्ययन/अध्यापन का अनुभव एक बेहतर समाज के लिए उपयोगी है |
इस वेबसाइट पर लेखक द्वारा व्यक्त विचार लेखक/कवि के निजी विचार हैं और लेखों पर प्रतिक्रियाएं, फीडबैक फॉर्म के जरिये दी जा सकती हैं|
लवकुश कुमार, भौतिकी में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली से परास्नातक हैं और वर्तमान में भारत मौसम विज्ञान विभाग में अराजपत्रित अधिकारी हैं।
इनके द्वारा माध्यमिक स्तर के छात्रों/छात्राओं के लिए भौतिकी से जुड़ी कुछ सामग्री भी साझा की गयी है जो बहुत उपयोगी साबित होगी ऐसा इनका विश्वास है और इस विश्वास के साथ की अच्छा साहित्य समाज में मानवता के घटक, संवेदनशीलता, विचारशीलता, बंधुत्व और चेतना के उन्नयन में योगदान करता है ; साहित्यिक लेख, विचार और समीक्षाएं भी साझा की गयी हैं |
लेखक का विश्वास है की सूचना के इस युग में समावेशी प्रकृति के और समाज में मानवता, उत्कृष्टता और बंधुत्व को प्रोत्साहित करने वाले विचारों पर ज्यादा से ज्यादा जोर देना जरुरी है|
“बदलाव पर बात फिर बदलाव के लिए जरुरी काम भी”
समय समय पर अलग अलग साहित्यकारों और कवियों ने मानवीय मूल्यों पर अपने-2 तरीकों से बात की और अपने-2 विचार रखे और समाज के अलग अलग तबके के लोगों को प्रभावित किया, जितने ज्यादा लोग मानवीय मूल्यों की बात करेंगे उतना ही इनको महत्व मिलेगा समाज द्वारा, पूरी बात है की आप प्रोत्साहित क्या करते हैं समाज में अतः लेखक का विश्वास है की अगर ज्यादा से ज्यादा लोग अपने तरीके/ शैली में मानवीय मूल्यों पर बात करेंगे / लिखेंगे/ प्रोत्साहित तो समाज में संवेदनशीलता, विचारशीलता, बंधुत्व और चेतना का विकास बढेगा |
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