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पल - सौम्या गुप्ता

जिंदगी की सार्थकता की नींव पल होते हैं,

हम तलाशते रहते है उसको भविष्य में,

और करते है बस यही नादानी जिंदगी भर,

जैसे हम भागते रहते है अपनी परछाईं के पीछे,

और हो जाते है निराश।

- सौम्या गुप्ता

बाराबंकी उत्तर प्रदेश

इस लघु कविता  की रचयिता सौम्या गुप्ता जी इतिहास मे परास्नातक हैं और शिक्षण का अनुभव रखने के साथ समसामयिक विषयों पर लेखन और चिंतन उनकी दिनचर्या का हिस्सा हैं |


इस कविता के माध्यम से कवयित्री यह संदेश देना चाह रही है कि जीवन वर्तमान में होता है उस वर्तमान में हाँथ में लिए हुए कार्य को अच्छे से करें, खुलकर स्वयं को अभिव्यक्त करें, रचनात्मक कार्यों और गरिमापूर्ण आत्मनिर्भर जीवन को आज और अभी जिया जा सके इसके लिए प्रयासरत रहें|


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