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अस्तित्व - सौम्या गुप्ता 

अक्सर हम रिश्तों में उलझकर खो बैठते है खुद को और अपना अस्तित्व

खो जाते है " हम " खुद को किसी न किसी रिश्ते में छुपा कर,

मिट जाता है" मैं", रह जाता है सिर्फ रिश्ता

लेकिन

रहना चाहिए "हम" में भी एक "मैं"

अहम वाला नहीं "अस्तित्व" वाला

हर रिश्ते में देखना चाहिए खुद को भी

औरों से पहले, अपने अस्तित्व के लिए।

 

- सौम्या गुप्ता 

बाराबंकी उत्तर प्रदेश


सौम्या गुप्ता जी इतिहास मे परास्नातक हैं और शिक्षण का अनुभव रखने के साथ समसामयिक विषयों पर लेखन और चिंतन उनकी दिनचर्या का हिस्सा हैं |

इस कविता के माध्यम से कवयित्री क्या संदेश देना चाह रही है उसे कुछ प्रश्नों के माध्यम से आसानी से समझ सकते है :

 

संदेश में किस बारे में बात की गई है?

संदेश में रिश्तों के महत्व, व्यक्तिगत अस्तित्व, और दूसरों से पहले खुद को देखने की आवश्यकता पर चर्चा की गई है। यह रिश्तों में खो जाने के खतरे और अपनी पहचान को बनाए रखने के महत्व पर प्रकाश डालता है।

संदेश में 'मैं' और 'हम' का क्या अर्थ है?

'मैं' व्यक्तिगत पहचान और आत्म-सम्मान का प्रतीक है, जबकि 'हम' रिश्तों और समुदाय का प्रतीक है। संदेश 'मैं' को 'हम' के साथ संतुलित करने की बात करता है, ताकि रिश्तों में खोने के बजाय अपनी पहचान को बनाए रखा जा सके।

संदेश में 'अस्तित्व' का क्या महत्व है?

'अस्तित्व' का अर्थ है अपनी पहचान, मूल्यों और लक्ष्यों को बनाए रखना। संदेश में कहा गया है कि रिश्तों में शामिल होने के दौरान हमें अपने अस्तित्व को नहीं खोना चाहिए। दूसरों से पहले, हमें खुद को पहचानना और महत्व देना चाहिए।


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