एक दूसरे की उन्नति में लोग एक दूसरे का सहयोग करें तो उन्नति में समग्रता आएगी और *सभी के* रास्ते आसान होंगे|
हम सबकी मदद नहीं कर सकते हैं लेकिन
हर कोई किसी न किसी की मदद जरूर
कर सकता है
आपको मदद भले न मिल रही हो
आप जरूर लोगों की मदद कर
एक सही काम और सही प्रथा की नीव डालें
हम अपना गम भूल कुछ देर के लिए तारो ताजा हो जाएंगे, फिर हो सकता है की हमे कोई राह,
कोई समाधान मिल जाए इसीलिए अगर हो सके तो किसीकी मुस्कुराहट का कारण जरूर बने |
अपने फायदे / डर / आलस्य / लापरवाही के चलते कोई भी ऐसा कार्य करने से बचें जो दूसरों के जीवन को खतरे मे डाले या उनके जीवन की गरिमा को कम करे या दो लोगों के बीच अविश्वास पैदा करे |
एक दूसरे की उन्नति में लोग एक दूसरे का सहयोग करें तो उन्नति में समग्रता आएगी और *सभी के* रास्ते आसान होंगे|
हम सबकी मदद नहीं कर सकते हैं लेकिन
हर कोई किसी न किसी की मदद जरूर
कर सकता है
आपको मदद भले न मिल रही हो
आप जरूर लोगों की मदद कर
एक सही काम और सही प्रथा की नीव डालें
हम अपना गम भूल कुछ देर के लिए तारो ताजा हो जाएंगे, फिर हो सकता है की हमे कोई राह,
कोई समाधान मिल जाए इसीलिए अगर हो सके तो किसीकी मुस्कुराहट का कारण जरूर बने |
हीनता की भावना पैदा करने और तब मान्यता प्राप्त करने लिए बेहतर करने के लिए मजबूर करने की पद्धति की तुलना में प्रशंसा बेहतर और सकारात्मक तरीके से काम कर सकती है। Appreciation may work in a better and in a positive way than the methodology of instilling feeling of inferiority and then forcing to do better to get recognition.
खुलापन रिस्ते/व्यवहार की नीव मे सत्य का समावेश करता है |
उस मजबूत नीव पर आप एक आलीशान मकान बना सकते हैं |
खुलापन हमारी एक सच्ची छवि बनाता है जिससे हम अपने जैसे लोगों को ही आकर्षित करते हैं |
खुलापन हमे भी एक मानसिक स्पष्टता देता है और हमारे लिए निर्णय निर्माण आसान होता है |
खुलापन हमे पहचान के संकट से बचाता है |
खुलापन हमारे अंतर्द्वंद को कम करता है |
खुलापन हमारी विश्वासनीयता को बढ़ा सकता है |
हमे अपनी शिक्षा मे साहित्य अध्ययन को समुचित महत्व देना चाहिए
ताकि देश के नागरिक अपने देश मे रहने वाले सभी वर्गों और तबकों के संघर्ष,
नजरिए और आकांक्षाओं से परिचित होकर उनके साथ तालमेल बैठकर
आगे बढ़ सकें और देश की उन्नति मे सहयोग कर सकें |
बहुत बेहतर हो की वो अपनी समझ और विचार को शब्द देकर उसे लिखित/मौखिक रूप से अभिव्यक्त
कर सकें, ऐसा होने पर ही हम उन्हे सही मायने मे पढ़ा लिखा इंसान बना पाएंगे,
अन्यथा वो जीवन को केवल भोग और विलासिता का जरिया समझकर जीवन बिता देंगे |
जब हम किसी से प्रेम करते हैं तो उसके भले और उन्नति की बात सोंचते हैं|
किसी और के लिए भला क्या है इसे जानने से पहले
हमे खुद के लिए भला क्या है, ये जानना होगा
जिसके लिए सबसे पहले हमे ये समझना होगा कि
हम एक शरीर मात्र नहीं बल्कि एक बेचैन चेतना हैं
जिसे चैन चाहिए जो चैन मिलता है जीवन मे
सत्य, आज़ादी और उत्कृष्टता को उच्चतम स्थान देकर
बिना सत्य, आज़ादी और उत्कृष्टता को उच्चतम स्थान दिये
हम कितना भी भोग (consumption or pleasure) लें हमे
चैन नहीं मिलना |
अच्छा साहित्य हमारी चेतना को उठाता है और हमे लोगों की
तकलीफ के प्रति संवेदनशील बनाता है |
हिन्दी साहित्य मे राहुल सांकृत्यायन, मुंशी प्रेमचंद जैसे महान लेखक हुये हैं,
जिन्हे पढ़कर आप समाज को बेहतर रूप से समझ सकते हैं और अपनी चेतना को ऊपर उठा सकते हैं
समझ परिपक्व होती है, अपने कार्य मे उत्कृष्टता के लिए प्रयास से और
समझ का दायरा बढ़ता है साहित्य अध्ययन और नए लोगों को जानने समझने से
If you don't know, Ask. If you don't agree, Discuss. We don't like it, Say it Politely. But we should not start Judging silently.
The things and practices we glorify and follow survives longer than the practices we discourage, same valid for honesty and impartiality too.
-Lovekush Kumar
If you value people on basis of money/assets they possess irrespective of the way they achieved it then people may get encouraged to gather money and assets even by bad means (e.g. corruption) just to gratify their desire of feeling important.
-Lovekush Kumar