Article

संतोष सुपेकर - लेखक, कवि, स्तंभकार, समीक्षक एवं चिंतक

श्रीमान संतोष सुपेकर जी,  1986 से साहित्य जगत से जुड़े हैं, सैकड़ों लघुकथाएं. कविताएँ, समीक्षाएं और लेख लिखे हैं जो समाज में संवेदना और स्पष्टता पैदा करने में सक्षम हैं, आप नियमित अखबार-स्तम्भ और पत्र-पत्रिकाओं (लोकमत समाचार, नवनीत, जनसाहित्य, नायिका नई दुनिया, तरंग नई दुनिया इत्यादि) में लिखते रहे हैं और समाज की बेहतरी हेतु साहित्य कोश में अपना योगदान सुनिश्चित करते रहे हैं साथ ही आपकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमे कुछ हैं- बंद  आँखों  का  समाज,  भ्रम  के  बाजार  में, सातवें पन्ने की खबर, चेहरों  के  आरपार, प्रस्वेद का स्वर इत्यादि )
आपको  मध्यप्रदेश  साहित्य  अकादमी,  रेल मंत्रालय, नयी  दिल्ली  का  प्रेमचंद  कथा  सम्मान  सहित  अनेक  सम्मान  व पुरस्कार  प्राप्त  हो  चुके  हैं |
आपकी  अनेक  लघुकथाओं,  कविताओं  का  अब  तक  देश- विदेश  की  13 भाषाओं / बोलियों में  अनुवाद  हो  चुका  है |
आपकी  लघुकथाओं  पर  नागपुर  विश्वविद्यालय,  सम्राट  विक्रमादित्य  विश्वविद्यालय  , उज्जैन  और  रबीन्द्रनाथ  टैगोर  विश्वविद्यालय,  भोपाल  में  शोध  कार्य हो  चुका  है |
आपकी  दो लघुकथाएं  महाराष्ट्र  राज्य  के  कक्षा  दसवीं  के  पाठ्यक्रम  में  शामिल  की  गयी  थी  
हाल  ही  में  एक  कविता  STM विश्वविद्यालय  नागपुर  के  B.Sc. द्वितीय  वर्ष  के  पाठ्यक्रम  में  शामिल  हुई है|


सुपेकर जी को पढ़ना और उनसे संपर्क, स्पष्टता, ऊर्जा और आशा से भर देता है |