जलवायु परिवर्तन पर शुरू हुई 'संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन' की 30वीं वार्षिक बैठक में दोनों देशों, भारत और चीन की परिवर्तनकारी भूमिका की सराहना की गई।
- साथ ही कहा गया कि इन देशों ने जलवायु कार्रवाई को स्पष्ट तरीके से अपनाया है और वे दुनियाभर में स्वच्छ प्रौद्योगिकियों की लागत कम करने में मदद कर रहे हैं ।
- महाराष्ट्र के सांगली जनपद के मोहित्यांचे वडगांव (जिसे संक्षेप में वडगांव कहा जाता है) में हर शाम सात बजे भैरवनाथ मंदिर से 45 सेकंड के लिए एक सायरन ध्वनि गूंजती है, जो किसी चीनी मिल या अन्य औद्योगिक इकाई के कर्मचारियों के लिए बजने वाले सायरन से भिन्न है। यह ध्वनि दरअसल एक सूचना है कि अगले 90 मिनट (7 से 8:30 बजे तक) सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण- मोबाइल, टीवी इत्यादि बंद रहेंगे। दूसरा बजने वाला सायरन इस अवधि की समाप्ति की सूचना देता है।
- वर्तमान दौर में स्मार्टफोन और टीवी हमारे रोजमर्रा के जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बन चुके हैं, पर वडगांव ने इसको चुनौती दी है। इस गांव में लगभग 3,000 से 3,500 लोग रहते हैं। अधिकतर किसान या चीनी मिल श्रमिक हैं, जो प्रत्येक शाम डेढ़ घंटे के लिए 'डिजिटल डिटॉक्स' का पालन करते हैं । 15 अगस्त, 2022 को देश के स्वतंत्रता दिवस पर प्रारंभ हुई यह पहल अब न केवल ग्रामीण संस्कृति का हिस्सा बन चुकी है, बल्कि आस-पास के गांवों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बन गई है।
- जब लक्ष्य सकारात्मक बदलाव का हो, तब समाज भी साथ आ खड़ा होता है। डिजिटल डिटॉक्स मुहिम का परिणाम यह हुआ कि एक माह में ही अंतर साफ दिखने लगा। छात्रों के अध्ययन में सुधार हुआ, रचनात्मकता में वृद्धि हुई और स्कूल में उनके व्यवहार में और स्पष्ट बदलाव नोटिस किया गया।
- जैसे-जैसे डिजिटल दुनिया विस्तृत हो रही है, वडगांव मॉडल जैसे प्रयोगों की अहमियत बढ़ती जा रही है। समाज को फिर से जोड़ने और संबंधों को पुनर्जीवित करने में ये रामबाण बन सकते हैं। इस पहल ने एक बार फिर हमें स्मरण कराया है कि तकनीक मनुष्य की सहजता के लिए है, न कि स्वामी बनने के लिए।
विभिन्न समाचार पत्रों और पब्लिक डोमेन में उपलब्ध रिपोर्ट्स एवं दस्तावेजों पर आधारित तथा जन जागरूकता के उद्देश्य से संकलित, संकलन कर्ता भौतिकी में परास्नातक हैं ।
जलवायु परिवर्तन से उपजे संकट से निपटने के लिए वर्ष 2015 में वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ था। इसका मुख्य लक्ष्य वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना था
- विकासशील देश इस दिशा में आगे बढ़ने का इरादा रखते हैं, लेकिन वित्तीय और तकनीकी चुनौतियां उनकी राह में रोड़े अटका रही हैं। इसके बावजूद भारत और चीन जैसे देश पेरिस समझौते के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अपनी जिम्मेदारी निभाने की कोशिश कर रहे हैं।
- जलवायु परिवर्तन पर शुरू हुई 'संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन' की 30वीं वार्षिक बैठक में इन दोनों देशों की परिवर्तनकारी भूमिका की सराहना की गई।
- पेरिस समझौते में तय हुआ था कि विकसित देश जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विकासशील देशों की वित्तीय और तकनीकी रूप से मदद करेंगे। मगर संयुक्त राष्ट्र की हाल की एक रपट बताती है कि यह वित्तीय मदद लगातार घट रही है । विकासशील देशों को वर्ष 2035 तक अपने लक्ष्यों को पाने के लिए हर साल 365 अरब डालर की जरूरत है, लेकिन वर्ष 2023 में इन देशों को केवल 26 अरब डालर की अंतरराष्ट्रीय सहायता मिल पाई, जो वर्ष 2022 के 28 अरब डालर से भी कम है।
- महाराष्ट्र के सांगली जनपद के मोहित्यांचे वडगांव (जिसे संक्षेप में वडगांव कहा जाता है) में हर शाम सात बजे भैरवनाथ मंदिर से 45 सेकंड के लिए एक सायरन ध्वनि गूंजती है, जो किसी चीनी मिल या अन्य औद्योगिक इकाई के कर्मचारियों के लिए बजने वाले सायरन से भिन्न है। यह ध्वनि दरअसल एक सूचना है कि अगले 90 मिनट (7 से 8:30 बजे तक) सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण- मोबाइल, टीवी इत्यादि बंद रहेंगे। दूसरा बजने वाला सायरन इस अवधि की समाप्ति की सूचना देता है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए क्षेत्रवार समूहों का गठन किया गया है, जो हर घर जाकर इस पहल का महत्व समझाते हैं। इस 'डिजिटल कर्फ्यू' का उल्लंघन करने वालों को शुरू में चेतावनी दी जाती थी, लेकिन अब पूरा समाज इसका पालन करने का प्रयास करता है। माता-पिता भी नियम का अनुपालन करते हैं, ताकि बच्चे अकेला न अनुभव करें | इस 90 मिनट में बच्चे अध्ययन करते हैं, युवा पुस्तकें पढ़ते हैं या घर से बाहर निकलकर सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेते हैं।
- दरअसल, कोविड-19 के संक्रमण काल में मानव व्यवहार में अप्रत्याशित परिवर्तन देखा गया। इसने 2020 से 2022 तक शिक्षा के ऑनलाइन माध्यम को अनिवार्य बना दिया, जिससे कम आयु के बच्चों और युवाओं में मोबाइल फोन के प्रयोग को लेकर एक बुरे व्यवहार ने जन्म लिया। एक सर्वेक्षण के अनुसार, 18 वर्ष से कम के आयु के 65 प्रतिशत बच्चों में फोन चलाते रहने की मानो लत पड़ गई, जो 30 मिनट से अधिक समय तक फोन से दूर रहने में असमर्थ थे।
- हमारी राष्ट्रीय और आंतरिक सुरक्षा आतंकियों के रडार पर है। वैसे, यह खतरा तो हमेशा से रहा है। हां, उसकी निरंतरता व तीव्रता ऊपर-नीचे होती रही है। कभी खतरा बढ़ गया, तो कभी कम होता प्रतीत हुआ। पिछले एक-डेढ़ साल की तेजी से बदली भू- राजनीति भी हमारे सुरक्षा बलों की परीक्षा लेती रही है। बांग्लादेश के घरेलू हालात, नेपाल के उपद्रव और पाकिस्तान परस्त आतंकी संगठनों की नई रणनीति (विशेषकर सीमा रेखा के पास बड़े आतंकी शिविरों के बजाय सुदूर इलाकों में छोटे-छोटे ठिकाने बनाना, ताकि भारतीय एजेंसियों की निगरानी से बचा जा सके) ने क्षेत्र में ऐसी अस्थिरता को जन्म दिया है, जिसमें भारत के सामने चुनौतियां बढ़ गई हैं। नतीजतन, हमने अपनी सुरक्षात्मक रणनीति भी तेजी से बदली है।
विभिन्न समाचार पत्रों और पब्लिक डोमेन में उपलब्ध रिपोर्ट्स एवं दस्तावेजों पर आधारित तथा जन जागरूकता के उद्देश्य से संकलित, संकलन कर्ता भौतिकी में परास्नातक हैं ।
देश में प्रति 1000 आबादी पर सरकारी कर्मियों (दोनों केंद्र और राज्यों के) का अनुपात मात्र 16 है, जबकि जापान में 39, यूके और कनाडा में 39 से 46, फ्रांस में 55, चीन में 57, इंडोनेशिया में 60, यूएस में 77, ब्राजील में 111 और नॉर्वे में 150 है
- भूटान को चीनी चंगुल से बचाने की चुनौती
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दो दिन के लिए भूटान के दौरे पर हैं। भूटान क्षेत्रफल में भारत का सबसे छोटा पड़ोसी है, परंतु इसका सामरिक महत्व अत्यधिक है, क्योंकि यह चीनी कब्जे वाले तिब्बत और भारत के बीच ऊंचे हिमालयों में स्थित महत्वपूर्ण मध्यवर्ती देश है। गत 11 वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी का वहां चार बार जाना और इसी तरह भूटान के प्रधानमंत्रियों और राजाओं का लगातार भारत में आगमन का क्रम दर्शाता है कि इस संवेदनशील रिश्ते को उचित ही सर्वोच्च राजनीतिक महत्व दिया जा रहा है। भूटान अगर कमजोर और बेसहारा बन जाए तो विस्तारवादी चीन न केवल उसे निगल जाएगा, बल्कि भारत की सीमा पर एक और मोर्चा खोल देगा।
- सीलाइट’ नामक अंतरराष्ट्रीय शोध संस्थान के अनुसार हाल के वर्षों में चीन ने भूटान की पारंपरिक सीमाओं के भीतर कम से कम 22 कृत्रिम गांव बसाए हैं, जो इस छोटे से देश के लगभग दो प्रतिशत भूभाग पर कब्जा हैं। इन चीनी बस्तियों में सड़कें, सैन्य चौकियां और प्रशासनिक केंद्र भी शामिल हैं, जिससे जमीनी स्तर पर ऐसे नए तथ्य अंकित कर दिए गए हैं, जिन्हें नकारना मुश्किल है।
- 2007 में संशोधित भारत-भूटान स्थायी मैत्री संधि के अनुसार दोनों देश “राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हानिकारक गतिविधियों” का मुकाबला करेंगे। चीन द्वारा भूटान में घुसपैठ करने और उसे अपने अधीन लाने के मंसूबों के कारण प्रतिरक्षा भारत-भूटान संबंधों का प्रमुख स्तंभ बना रहेगा। चूंकि भूटान को भारतीय सैन्य सहायता संवेदनशील मामला है, इसलिए उसके बारे में सार्वजनिक रूप से घोषणाएं नहीं होती हैं
- दक्षिण एशिया में भारत के पड़ोसियों में भूटान एकमात्र देश है, जो चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल में शामिल नहीं हुआ है
- भूटान की अपनी चौथी यात्रा में मोदी जी ने भारत की मदद से बने पुनतसंगचु जलविद्युत परियोजना का अनावरण किया
- भारत अपने उत्तर-पूर्वी राज्य असम के कोकराझार से भूटान के प्रतिष्ठित ‘न्यू गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी’ तक 58 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का भी निर्माण कर रहा है, जिससे आपसी कारोबार और पर्यटन का विकास होगा।
- भूटान की आठ लाख से भी कम आबादी अत्यंत धर्मपरायण है और अपनी अद्वितीय बौद्ध विरासत के संरक्षण के प्रति सचेत है।
- मोदी जी अपनी इस भूटान यात्रा में एक विशेष ‘वैश्विक शांति प्रार्थना’ समारोह में भी भाग ले रहे हैं, जो दोनों देशों की सरकारें साझा तौर पर आयोजित कर रही हैं।
- नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और मालदीव की तरह भूटान में भी चीन घुसपैठ करके भारत-विरोधी भावनाओं को भड़काने की कोशिश कर रहा है।
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आजादी के दो दशकों तक सरकारी कर्मी की पगार प्रति व्यक्ति आय से कम थी, लेकिन वेतन आयोगों के जरिए बेतहाशा बढ़ने लगी। कई गुना सरकारी वेतन के कारण युवा इनोवेशन से हटकर सरकारी नौकरियों को ही अंतिम सत्य समझते हैं और समाज में भी आर्थिक खाई बढ़ती है।
- समृद्धि की अपनी समस्याएं हैं। विकास के अपने संकट हैं। विकासशील देश का गमछा उतार कर भारत विकसित देशों की कतार में खड़ा होना चाहता है। संकट से जूझते समृद्ध देश आंखें तरेर रहे हैं।
- जम्मू-कश्मीर और हरियाणा पुलिस ने तीन डाक्टरों समेत सात ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया, जिन्होंने फरीदाबाद में करीब तीन हजार किलो विस्फोटक जमा कर रखा था। इनमें एक महिला डाक्टर भी है। शेष में मौलवी और छात्र हैं। इनके पास से राइफल, पिस्टल, टाइमर आदि भी मिले हैं। साफ है कि अब यह धारणा सही नहीं रही कि अशिक्षित और गरीब मुस्लिम युवा ही आतंक की ओर उन्मुख होते हैं।
- यह सही है कि आतंक का कोई मजहब नहीं होता, लेकिन इसमें भी कोई संदेह नहीं कि मजहब की आड़ लेकर भी आतंक के रास्ते पर चला जा रहा है।
- एक के बाद एक कई आतंकी गुटों के भंडाफोड़ के बीच दिल्ली की घटना केवल यही नहीं बताती कि सुरक्षा एजेंसियों को और अधिक सतर्क रहना होगा, बल्कि इसकी भी मांग करती है कि मुस्लिम समाज का राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक स्तर पर नेतृत्व करने वाले यह देखें कि किन कारणों से उनके युवा आतंक की राह पर चल रहे हैं?
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दो दिन के लिए भूटान के दौरे पर हैं। भूटान क्षेत्रफल में भारत का सबसे छोटा पड़ोसी है, परंतु इसका सामरिक महत्व अत्यधिक है, क्योंकि यह चीनी कब्जे वाले तिब्बत और भारत के बीच ऊंचे हिमालयों में स्थित महत्वपूर्ण मध्यवर्ती देश है। गत 11 वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी का वहां चार बार जाना और इसी तरह भूटान के प्रधानमंत्रियों और राजाओं का लगातार भारत में आगमन का क्रम दर्शाता है कि इस संवेदनशील रिश्ते को उचित ही सर्वोच्च राजनीतिक महत्व दिया जा रहा है। भूटान अगर कमजोर और बेसहारा बन जाए तो विस्तारवादी चीन न केवल उसे निगल जाएगा, बल्कि भारत की सीमा पर एक और मोर्चा खोल देगा।
- 1950 के दशक में तिब्बत में चीन के अतिक्रमण और वर्तमान में नेपाल में चीन के विस्तार को देखते हुए भारत के लिए यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि भूटान को चीनी महत्वाकांक्षाओं से बचाकर रखे
- अंतरिक्ष उपग्रहों से लेकर वित्तीय प्रौद्योगिकी तक भारत उभरते क्षेत्रों में भूटान की मदद कर रहा है, ताकि उसके विभिन्न राजनीतिक समूह और सामाजिक वर्ग भारत के साथ मित्रता के ठोस लाभ को महसूस कर सकें
- मोदी जी की भूटान यात्रा दुनिया को याद दिलाएगी कि भारत दक्षिण एशियाई पड़ोसियों के लिए प्रमुख साझीदार बनने के लिए तत्पर है और इस मामले में चीन से प्रतिस्पर्धा करने से नहीं कतराएगा।
- विकास और प्रतिरक्षा के अलावा भारत ने संस्कृति और आध्यात्मिकता को अपनी भूटान नीति का तीसरा स्तंभ बनाया है।भूटान की इस यात्रा के दौरान मोदी एक मठ में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की पूजा करेंगे, जिन्हें उत्तर प्रदेश के पिपरहवा से वहां भेजा गया है। इसके अलावा भारत की ओर से बौद्ध आध्यात्मिक नेता और भूटानी राष्ट्र के संस्थापक झाबद्रुंग नामग्याल की प्रतिमा भी भूटान को प्रदर्शन के लिए दी गई है।
- भारत-विरोधी भावनाओं को भड़काने की कोशिश कर रहा है। भविष्य में चीनी कारस्तानियों से निपटने के लिए भारत को भूटानी विशिष्ट वर्ग के साथ-साथ आम लोगों से भी घनिष्ठ संबंध बनाने होंगे
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विकास की विपन्नता और समृद्धि के संकट क्या हैं ?
- पिछले कुछ दिनों में देश के विभिन्न हिस्सों से आतंकियों के कई गुटों का जो भंडाफोड़ हुआ, वह चिंतित करने वाला ही है। यह गंभीर चिंता की बात है कि पढ़े-लिखे और यहां तक कि डाक्टर डिग्री धारक भी आतंक के रास्ते पर चल रहे हैं।
- एक के बाद एक कई आतंकी गुटों के भंडाफोड़ के बीच दिल्ली की घटना केवल यही नहीं बताती कि सुरक्षा एजेंसियों को और अधिक सतर्क रहना होगा, बल्कि इसकी भी मांग करती है कि मुस्लिम समाज का राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक स्तर पर नेतृत्व करने वाले यह देखें कि किन कारणों से उनके युवा आतंक की राह पर चल रहे हैं?
विभिन्न समाचार पत्रों और पब्लिक डोमेन में उपलब्ध रिपोर्ट्स एवं दस्तावेजों पर आधारित तथा जन जागरूकता के उद्देश्य से संकलित, संकलन कर्ता भौतिकी में परास्नातक हैं ।
प्रतिबद्ध व्यय का उच्च स्तर विकासात्मक कार्यों को करने की राज्य सरकारों की क्षमता को सीमित करता है।
- सोचने की क्षमता वह विलक्षण गुण है, जो हमें अन्य प्राणियों से अलग कर इंसान बनाती है।
- लिहाजा चीन पाकिस्तान को किस किस्म के गुप्त परमाणु परीक्षण में मदद कर रहा है, यह देखना होगा। केवल ट्रम्प के खुलासों पर भरोसा करके भारत अपनी कूटनीति नहीं बदल सकता।
- हमें दूसरों की आस्थाओं का सम्मान करना सीखना होगा
- किसी भी देश की लंबे समय तक चलने वाली समृद्धि और मजबूती का रहस्य क्या है, इसके बारे में नोबेल अर्थशास्त्र पुरस्कार समिति लगातार बताती रही है। जोएल मोकिर, फिलिप एगियों और पीटर हॉविट को यह बताने के लिए पुरस्कृत किया गया कि कैसे संस्कृति, संस्थान और 'रचनात्मक विध्वंस' यानी, पुराने और कम कुशल तरीकों को नए और बेहतर विचारों से लगातार बदलना, हमेशा नए आविष्कारों को उत्पादकता में बदलते रहते हैं।
- राष्ट्र निर्माण में अनुसंधान प्रयोगशालाएं हैं अहम
- कंपनियों को प्रतिभाशाली लोगों को आकर्षित करने और ऐसे लोगों की खेप तैयार करने की आवश्यकता है जो हमारी अनुसंधान प्रयोगशालाओं को ताकत देंगे। हमें शोधकर्ताओं को वैश्विक वेतन का भुगतान करने, उन्हें कॉरपोरेट सलाहकारों के साथ जोड़ने और लैब तक पहुंच की गारंटी देने की आवश्यकता है।
- रूस और अमेरिका पर निर्भरता का खामियाजा हम पूर्व में भुगत चुके हैं, लिहाजा यह आवश्यक था कि हम अपने हथियार खुद बनाएं। सुखद बात है कि पिछले कुछ समय से इस दिशा में जरूरी सक्रियता दिखाई गई है और अबहम न सिर्फ कई हथियार खुद बनाने लगे हैं, बल्कि निर्यात भी करने लगे हैं।
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रेयर अर्थ की दुनिया भर की जरूरत का 70% चीन देता है।
- हाल में चीन ने भारत के प्रति अपना वाणिज्यिक ही नहीं रणनीतिक रवैया भी ज्यादा दोस्ताना किया है | रेयर अर्थ देने की प्रक्रिया भी बहाल की है
- देश में सेवा क्षेत्र के रोजगार संबंधी रुझानों पर नीति आयोग की एक हालिया रिपोर्ट ने देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सबसे अधिक हिस्सेदारी रखने वाले इस क्षेत्र में रोजगार के हालात को एक बार फिर प्रकाश में ला दिया है। रिपोर्ट देश में रोजगार तैयार करने में सेवा क्षेत्र की भूमिका को रेखांकित करते हुए बताती है कि देश के कुल रोजगार में इसकी हिस्सेदारी 2011-12 के 26.9 फीसदी से बढ़कर 2023-24 में 29.7 फीसदी हो गई।
- यह सात पहलुओं पर रोजगार के परिदृश्य का परीक्षण करता है: स्थानिक वितरण, लैंगिक यानी स्त्री-पुरुष भागीदारी, रोजगार का प्रकार, आयु, शिक्षा, अनौपचारिकता और आय। ये सभी प्रोफाइल ढांचागत चुनौतियों की पहचान के लिए प्रयोग की जाती हैं
- सेवा क्षेत्र में रोजगार की औपचारिक-अनौपचारिक प्रोफाइल की बात करें तो, रिपोर्ट के अनुसार 51 फीसदी नौकरियां नियमित वेतन वाली हैं जबकि 45 फीसदी लोग स्वरोजगार में लगे हुए हैं। व्यापार और परिवहन क्षेत्रों में स्वरोजगार का अनुपात और भी अधिक है। यदि हम अनौपचारिक नौकरियों को उन नियमित वेतन वाली नौकरियों के रूप में परिभाषित करें जिनमें सामाजिक सुरक्षा लाभ नहीं मिलते, तो सेवा क्षेत्र में अनौपचारिक नौकरियों की संख्या बढ़कर 69 फीसदी हो जाती है। असंगठित क्षेत्र की वार्षिक सर्वेक्षण रिपोर्ट दर्शाती है कि सेवा क्षेत्र में मालिकों द्वारा संचालित और परिवारों द्वारा संचालित इकाइयों का प्रभुत्व है। ये कुल उद्यमों का 82.5 फीसदी हिस्सा हैं।
विभिन्न समाचार पत्रों और पब्लिक डोमेन में उपलब्ध रिपोर्ट्स एवं दस्तावेजों पर आधारित तथा जन जागरूकता के उद्देश्य से संकलित, संकलन कर्ता भौतिकी में परास्नातक हैं ।
भारत अब एक नई उड़ान पर है। यह उड़ान अंतरिक्ष के जरिए देश की सुरक्षा और जनता के सतत विकास के लक्ष्यों को साधने वाली है।
- इसमें सबसे ताजा उपलब्धि बीते दो नवंबर की है, जब इसरो ने अपने सबसे ताकतवर राकेट (एलवीएम3-एम5) से देश का अब तक का सबसे वजनी उपग्रह जीसैट-7आर प्रक्षेपित किया। सामरिक और भारतीय नौसेना की संचालन जरूरतों को साधने के लिए विकसित यह उपग्रह आत्मनिर्भरता के साथ-साथ दुनिया के अंतरिक्ष बाजार में भारत की बढ़ती साख की मिसाल है।
- अमेरिका की स्पेसएक्स दुनिया का अब तक का सबसे ताकतवर राकेट फाल्कन हैवी और स्टारशिप विकसित कर रही है, जो सौ टन से ज्यादा पेलोड (वजन) ले जाने में सक्षम होगा। चीन भी अपने भारी राकेट लांग मार्च5बी और भविष्य के लिए लांग मार्च-9 जैसे सुपर-राकेटों का निर्माण कार्य जारी रखे हुए है। इस किस्म के ताकतवर राकेटों में रूस के प्रोटोन और विकसित किए जा रहे राकेट एंगारा का नाम भी शामिल है।
- यह उपग्रह विशेष रूप से भारतीय नौसेना की संचालन और सामरिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विकसित किया गया है। भारी उपग्रहों को प्रक्षेपित करने में सक्षम होना इस बात का संकेत है कि अंतरिक्ष शक्ति के मामले में भारत अब वह दक्षता हासिल कर चुका है, जिसके लिए कभी रूस या अमेरिका की अंतरिक्ष एजंसियों से बाहर कोई विकल्प मौजूद नहीं था।
विभिन्न समाचार पत्रों और पब्लिक डोमेन में उपलब्ध रिपोर्ट्स एवं दस्तावेजों पर आधारित तथा जन जागरूकता के उद्देश्य से संकलित, संकलन कर्ता भौतिकी में परास्नातक हैं ।
आवारा श्वान मामले को संवेदना और गंभीरता से देखने की जरूरत है। आवारा श्वान और मवेशियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना भी जरूरी है। हम अगर उन्हें सड़कों पर रहने की मंजूरी दें, तो वास्तव में उन्हें मौत की ओर ढकेलेंगे। अगर आवारा पशुओं से इंसानों को नुकसान होता है, तो खुद पशुओं की जिंदगी भी खतरे में पड़ती है। अत: बेहतर मानवीय बदलाव के लिए न्यायालय की सक्रियता जरूरी है, इसमें राज्यों को पूरा साथ देना चाहिए
- भारत का प्रजातंत्र एडवर्सेरियल डेमोक्रेसी (द्वंद्वात्मक या प्रतिस्पर्धी प्रजातंत्र ) के सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें लगातार जनमत तैयार कराने के लिए विचार सम्प्रेषण होता है।
- विज़न 2032 की सफलता का अर्थ केवल तकनीक का विस्तार नहीं, बल्कि सामाजिक नीतियों और संसाधनों के पुनर्गठन से नागरिकों तक लाभ पहुँचाने की सरकार की प्रतिबद्धता है। लोकतांत्रिक जवाबदेही और समावेशन के मानदंडों को अक्षुण्ण रखना सरकार की सर्वोपरि जिम्मेदारी होती है। यदि विजन 2032 के सिद्धांतों पर नीति- निर्माता, तकनीकी संस्थान और नागरिक समाज एकजुट होकर कार्य करें, तो भारत न केवल डिजिटल पहचान के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर विश्वसनीयता, पारदर्शिता और नैतिक शासन का उदाहरण भी स्थापित करेगा। यदि सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना सफल होती है, तो भारत का डिजिटल भविष्य ही नहीं लोकतांत्रिक मूल्यों की भी रक्षा होगी।
- आज जब हम वंदे मातरम् की रचना के 150 वर्ष पूर्ण होने का पावन अवसर मना रहे हैं, यह केवल स्मरण का नहीं, बल्कि आत्मावलोकन का क्षण भी है। क्या हम उस भाव को जी पा रहे हैं, जिसके लिए असंख्य देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहुति दी ? क्या हम अपने जीवन में वही समर्पण, वही अनुशासन और वही मातृभूमि भक्ति स्थापित कर पाए हैं?
- प्रतिबद्ध व्यय का उच्च स्तर विकासात्मक कार्यों को करने की राज्य सरकारों की क्षमता को सीमित करता है।
- एफआरबीएम समीक्षा समिति ने 2017 में अनुशंसा की थी कि राज्यों का कर्ज 20 फीसदी तक रहना चाहिए। इसके अलावा राज्य सरकारें सरकारी उपक्रमों द्वारा लिए गए ऋण की भी गारंटी देती हैं जो 2023-24 में जीएसडीपी का 4.2 फीसदी था। यह राज्यों की वित्तीय हालत के लिए एक जोखिम है। उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश और पंजाब जैसे कुछ राज्य कुल आंकड़ों से कहीं अधिक गंभीर वित्तीय संकट में हैं और इन्हें अलग नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता हो सकती है।
विभिन्न समाचार पत्रों और पब्लिक डोमेन में उपलब्ध रिपोर्ट्स और दस्तावेजों पर आधारित और जन जागरूकता के उद्देश्य से संकलित ,संकलन कर्ता भौतिकी में परास्नातक हैं ।
दुनिया भर में आर्थिक असमानता का लगातार बढ़ते जाना अब कई मायनों में चिंता का विषय बन गया है।
- आवारा श्वान समस्या का हल ?
- आज जब हम वंदे मातरम् की रचना के 150 वर्ष पूर्ण होने का पावन अवसर मना रहे हैं, यह केवल स्मरण का नहीं, बल्कि आत्मावलोकन का क्षण भी है। क्या हम उस भाव को जी पा रहे हैं, जिसके लिए असंख्य देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहुति दी ? क्या हम अपने जीवन में वही समर्पण, वही अनुशासन और वही मातृभूमि भक्ति स्थापित कर पाए हैं?
विभिन्न समाचार पत्रों और पब्लिक डोमेन में उपलब्ध रिपोर्ट्स और दस्तावेजों पर आधारित और जन जागरूकता के उद्देश्य से संकलित ,संकलन कर्ता भौतिकी में परास्नातक हैं ।