जब मैंने यह वैबसाइट शुरू की तो मेरे मन मे एक विचार आया कि क्यों ने अपने दोस्तों से ( जोकि अपनी मेहनत, मेधा और सुखद संयोग के दम पर अच्छी जगहों पर समाज की सेवा कर रहें हैं ) से कुछ लेख के माध्यम से योगदान देने के लिए कहूँ ताकि यह वैबसाइट सामाग्री के मामले मे समृद्ध हो सके और मैंने कहा भी लेकिन एक दो को छोडकर किसी ने ये कष्ट नहीं उठाया, हाँ तारीफ बहुत लोगों ने की जिससे उत्साह बढ़ा, कुछ सुधी मित्र और पाठकों ने बेहतरी के उद्देश्य से टिप्पड़ी की, जोकि अच्छा लगा, सबके अपने कारण थे किसीने कहा की दूसरे ज्यादा जरूरी काम हैं जिससे मै भी सहमत हुआ , किसी ने कहा की पब्लिक फॉरम पर लिखने का अभ्यास नहीं, फिर भी मैंने लेखन जारी रखा और अभी कुछ दिन पहले की ही बात है ऐसे साथियों से लेख के रूप मे सहयोग आया जिनसे केवल कुछ महिनो की पहचान है|
तीन बातों पर ज़ोर देना चाहता हूँ
1. दोस्ती के नाते कोई लिखने जैसे नए काम नहीं करने लग जाता, जब तक कि कोई परिस्थितगत बाध्यता या मजबूरी न आ जाए |
2. अनुकूल इंसान को अप्रोच करें जो वो काम करता हो जो आप करवाना चाहते हैं, फिर वो आपका दोस्त भले ही न हो, आपको सहयोग मिला जाएगा |
3. अपना नेक काम जारी रखिए उसे बड़े मंच पर ले जाइए ताकि ज्यादा लोग उसके बारे मे जान सकें, फिर उनमे से कोई अनुकूल इंसान या तो आपसे मिल जाएगा या खुद ही संपर्क करेगा |
ये बातें मामूली लग सकती हैं लेकिन जिन्हे समझ नहीं आती वो confectionary मे जाकर बुखार की दावा मांगते है, मेडिकल का रुख नहीं करते क्योंकि उनके घर के आस पास मेडिकल है नहीं तो सोंचते हैं की confectionary मे ही पता कर लें |
ये मेरे व्यक्तिगत अनुभव हैं |
शुभकामनाएं
कई कारणों पर विचार कीजिये
1. बिना संकोच के अपनी कहानी बयान करिए ये किसी की समझ और हौंसले को बढ़ा सकता है 💐💐
2. मान लीजिये कि प्रोत्साहन पर एक लेख लिखना है अगर आप अपने जीवन से एक भी घटना को साझा कर पाएंगे तो ये लेख को समृद्ध करने मे योगदान देगी|
3.हो सकता है कि आपका लिखा हुआ लेख या आपके भाषण मे कुछ ऐसा हो जो किसी नए इंसान के प्रश्नो का जवाब हो जिसके लिए वो उधेड़बुन मे हो
4. कई लेखक एक ही बात और एक ही सत्य को अलग अलग तरीके से लिखते हैं और वो अलग अलग लोगों के काम आते हैं, फिर आप क्यों नहीं लिखते अपने तरीके से ? आप क्यों आवाज नहीं बनते उनके जो अपनी तकलीफ, अपनी आकांक्षा कह नहीं पाते |
5.समझदार इंसान राष्ट्र की संपत्ति हैं अगर आपके अनुभव साझा करने से किसी की सोंच विस्तृत होती है तो इससे आपको भी फायदा होगा घूम फिर कर |
अपने अनुभव साझा कीजिये, और साहित्य को समृद्ध कीजिये, इसी तरह के अन्य लेख भी मौजूद हैं, उनकी तरफ भी रुख किया जा सकता है|
शुभकामनाएं
मानविकी में हम कई विषयों में तरह तरह के परिप्रेक्ष्य में मानव, समाज के अंतर्संबंध, परिवर्तनों, भावों, संघर्षों, आकांक्षाओं और मानव और मानव सभ्यता के विकास को समझते हैं और इस विषय के लोग मानवीय संघर्ष या समस्याओं को सुलझाने में बेहतर साबित हो सकते हैं लेकिन दुर्भाग्यवश इनके लिए जीविका की संभावनाएं बहुत ही सीमित हैं वहीँ पर तकनीकी पृष्ठभूमि के व्यक्तियों के लिए असीमित संभावनाएं हैं जीविका की, ऐसा मेरा व्यक्तिगत मानना है, इस पर विस्तृत लेख बाद में लिखा जायेगा, आपकी राय चाहे वो भिन्न क्यों ना हो आमंत्रित है नीचे दिए गए लिंक से टाइप कर भेज दीजिये | या फिर lovekush@lovekushchetna.in पर ईमेल कर दीजिये
https://lovekushchetna.in/contact.php
आपकी राय के इंतज़ार में
आपका
लवकुश कुमार
धन्यवाद
इस कैटेगरी के अधीन लिखे जाने वाले लेख निम्न शर्तें पूरी करेंगे ऐसा प्रयास रहेगा
1. कभी कभी कम वक्त में और कम शब्दों में कोई बात पहुंचानी हो तो उसे सीधे सीधे ज्यों को त्यों लिख दिया जाएगा माने उसमे ज्यादा समझाने का प्रयास कर पाने का समय नहीं होने के चलते सीधी बात या सवाल होगा, जबकी उस पर चिंतन मनन और समझ पाने की गहराई पाठक पर निर्भर होगी |
2. अमूमन ऐसा होता है कि कोई जरुरी बात या सवाल जो समाज के लिए जरुरी होता है लेकिन उसे साहित्यिक और गहरे तरीके से व्यक्त करने के लिए मेरे जैसे नए लेखकों के पास शब्द नहीं मिलते लेकिन क्योंकि वो सवाल बहुत जरुरी है तो उसे ज्यों का त्यों बिना किसी डिटेलिंग के ही साझा कर दिया जाता है, अजी डिटेलिंग और बैकग्राउंड इतना जरुरी होता है कि इनके बिना कुछ पाठक लेख को समझ ही नहीं पाते और लेख का लाभ उन्हें नहीं मिल पाता और लेखक के प्रयास की दक्षता घट जाती है, बहरहाल समय की कमी और मामले की प्रासंगिकता देखते हुए उसे साझा तो करना ही होता है| एक बात और होती है है कि अगर भूमिका ना हो तो पाठक पूरा लेख पढने के लिए उत्साहित ही नहीं हो पाते | बक्योंकि बात रखनी और आगे पहुंचानी जरुरी है क्योंकि "आपकी राय मायने रखती है "
3. इस वेबसाइट से जुड़े कुछ अभ्यर्थी जो लेखन में हाँथ आजमा रहे लेकिन संकोच का सामना करते हैं लिखने में उनके लिए यह तरीका उपयोगी है कि सपाट भाषा में अपने मन की बात बोल दी, सवाल पूछ लिया या जो देखा सुना या महसूस किया उस अनुभव को सपाट भाषा में व्यक्त कर दिया, कम से कम शुरुआत तो हुयी अन्यथा बढ़िया लेखन से शुरुआत के इंतज़ार में लेखन ही शुरू नहीं किया |
आशा करता हूँ की यह लेख सही परिप्रेक्ष्य देगा |
शुभकामनाएं
ऐसा नहीं है, अध्यात्म न तो पैसा कमाने से रोकता है और न ही एक समृद्ध जीवन जीने से।
बल्कि अध्यात्म में तो इंसान एक समृद्ध और संतुलित जीवन के लिए पूरे प्रयत्न करता है।
अध्यात्म तो बस खुद पर नजर रखने को कहता है, होश में आने को कहता है।
अध्यात्म कहता है कि जितना जरूरी पैसा कमाना है उतना ही कमाएं और पैसे कमाने के लिए ऐसे रास्ते अपनाएं जिनसे विश्व व्यवस्था मे लोगों की आज़ादी बनी रहे, किसी का शोषण न हो और किसी के साथ छल न हो, लोग सच्चाई के प्रकाश मे रहें और उन्हे झूठ के अंधेरे मे न रखा जाए उन्हे उथली खुशी न बेंची जाए |
व्यक्ति की गरिमा और बंधुत्व बना रहे और साथ देश और व्यक्ति की स्वतन्त्रता भी |
A के मौखिक अनुरोध पर आप A के मार्फत (on behalf of A ) B से कोई वादा करते हैं तो कल को A के पीछे हट जाने पर आपकी बात खराब हो सकती है, आपकी छवि खराब हो सकती है B की नजरों में अतः इस जोखिम से बचने के लिए अगर संभव हो तो A और B की आपस में ही बात करा दो।