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समझ 18.11.2025

 

- भूटान ने वर्ष 2023 से सीमा यातां पर सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर कर, दलाई लामा से दूरी बनाए रखते हुए, तथा तिब्बत के संदर्भ में औपनिवेशिक अर्थ को बदलते हुए चीन की चिंताओं को दूर करने का प्रयास किया है। इस वर्ष, चीनी नववर्ष का जश्न भूटान की राजधानी थिम्पू में मनाया गया ये कदम भले ही भूटान की व्यवहारिकता से प्रेरित हों, लेकिन ये भारत के लिए सतर्कता बरतने का एक संकेत हैं। इस लिहाज से मोदी की यात्रा को एक आवश्यक उपाय के रूप में देखा जा सकता है।

-- न्याय और नीति यही कहती है कि आरक्षण की व्यवस्था को इस तरह लागू किया जाए कि पात्र लोगों को ही उसका लाभ मिलना सुनिश्चित हो सके।

- एससी -एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर की व्यवस्था बनाए जाने के पक्ष में न्यायाधीश गवई ने यह बिल्कुल सही कहा कि आइएएस और गरीब मजदूर के बेटों को एक जैसा नहीं माना जा सकता।

- ध्यान रखा जाना चाहिए कि आरक्षण का उद्देश्य वंचित एवं पिछड़े तबकों के उन लोगों के उत्थान के विशेष प्रयत्न किए जाना है, जो वास्तव में सामाजिक रूप से पिछड़े हुए हैं। आम तौर पर सामाजिक रूप से ऐसे पिछड़े लोग आर्थिक रूप से भी कमजोर होते हैं। आरक्षण में क्रीमी लेयर के सिद्धांत को लागू करने के विरोध में यह तर्क दिया जाता है कि आरक्षित वर्ग के किसी व्यक्ति के उच्च पद पर पहुंच जाने के बाद भी कई बार उसे उपेक्षा या भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

-- भारत में भ्रष्टाचार कोई नई घटना नहीं है और न ही यह केवल भारत तक सीमित है बल्कि वास्तव में, भ्रष्टाचार दुनिया भर में पाया जाता है। हालांकि, जैसे-जैसे देश विकास की सीढ़ी पर चढ़ते हैं, भ्रष्टाचार आमतौर पर कम होता जाता है। भारत आजादी की अपनी 100वीं वर्षगांठ मनाने के वक्त तक एक विकसित राष्ट्र बनने की आकांक्षा भी रखता है इसलिए उसे इस स्थानिक समस्या से निपटना ही होगा। यह देश की विकास की आकांक्षाओं को जो नुकसान पहुंचा रहा है, उसे अनदेखा करना बहुत बड़ी भूल होगी।

- 1990 के दशक से, कई शोधकर्ताओं ने भ्रष्टाचार के देश की आर्थिक वृद्धि पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया है। अध्ययनों से यह बात साबित हुई है कि भ्रष्टाचार वास्तव में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने, निजी निवेश, रोजगार सृजन और आय समानता के लिए कितना हानिकारक है। कुछ शोधकर्ताओं ने दिखाया है कि कैसे भ्रष्टाचार खराब गुणवत्ता वाले उत्पादों और सेवाओं, नागरिकों के लिए जीवन की निम्न गुणवत्ता और कुछ कंपनियों के ताकतवर समूह के दबदबे को बढ़ावा देता है।

- यह सर्वविदित है कि अधिकांश विकसित अर्थव्यवस्थाओं में बहुत कम भ्रष्टाचार है, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि क्या विकास स्वचालित रूप से कम भ्रष्टाचार की स्थिति पैदा करता है या कम भ्रष्टाचार किसी देश को विकास की सीढि़यों की ओर ले जाता है। सहज ज्ञान कहता है कि बाद वाला अधिक संभावित है

- भ्रष्टाचार को कैसे कम किया जाए? कुछ विद्वान और प्रभावशाली व्यक्ति कहते हैं कि शिक्षा में, खासकर प्राथमिक स्तर से ही नैतिकता और सदाचार की एक मजबूत नींव, इस दिशा में मददगार साबित हो सकती है। हालांकि यह भी एक परिकल्पना ही है।

- आपके इस स्तंभकार का मानना है कि तीन चीजें भ्रष्टाचार को कम करने में मदद कर सकती हैं। पहला, नियामकीय जटिलता को हर क्षेत्र में सरल बनाना, चाहे वह भूमि अधिग्रहण हो या सीमा शुल्क से जुड़ा वर्गीकरण हो। इससे अफसरशाही की मदद लेने के अवसर कम होंगे।

- मजबूत सुरक्षा कवच कम करना होगा जिसका लाभ अफसरशाह, खासकर वरिष्ठ अधिकारी, जांच और मुकदमे के खिलाफ उठाते हैं। आज, जब तक सरकार मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं देती है तब तक कोई भ्रष्ट अधिकारी भी काफी हद तक सुरक्षित रहता है और सतर्कता विभागों को अक्सर ऐसी मंजूरी हासिल करना बहुत कठिन लगता है।
- हालांकि  ये सुरक्षा अच्छे इरादों से तय की गई थी ताकि अफसरशाहों को उनके पेशेवर कर्तव्यों के दौरान लिए गए निर्णयों के लिए गलत तरीके से दोषी ठहराए जाने से बचाया जा सके। लेकिन समय के साथ इनका विपरीत प्रभाव पड़ा है। शायद अब एक आय और संपत्ति ऑडिट की आवश्यकता है जो हर 10 साल में किया जाना चाहिए और यह उन अधिकारियों के खिलाफ स्वचालित जांच और मुकदमे को मंजूरी दे जिनकी संपत्ति का स्रोत आय, निवेश रिटर्न या विरासत के आधार पर साबित न किया जा सके
- अंत में  में, कानूनी प्रणाली में बड़े बदलाव की आवश्यकता है ताकि भ्रष्टाचार के मामले तीन दशक या उससे अधिक समय तक न खिंचें। भारत यदि एक विकसित देश बनना चाहता है तो इसे भ्रष्टाचार से निपटना होगा, लेकिन इसके लिए केंद्र और राज्य स्तर पर सरकारों को कठिन फैसले लेने होंगे भले ही वे राजनीतिक रूप से जोखिम भरे हों


विभिन्न समाचार पत्रों और पब्लिक डोमेन में उपलब्ध रिपोर्ट्स एवं दस्तावेजों पर आधारित तथा जन जागरूकता के उद्देश्य से संकलित, संकलन कर्ता भौतिकी में परास्नातक हैं ।