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जानकारी 15.11.2025

जानकारी 15.11.2025

- हाल में आए एक आंकड़े से पता चला कि चीन अमेरिका की तुलना में 2.5 गुना ज्यादा बिजली उत्पन्न करता है और उसका लक्ष्य हर साल “एक जर्मनी” के बराबर बिजली उत्पादन जोड़ने का है। एलन मस्क का भी कहना है कि अगले तीन-चार वर्षों में चीन में सौर ऊर्जा का उत्पादन अमेरिका के सभी स्रोतों से संयुक्त रूप से अधिक होगा। वास्तव में भविष्य को आकार देने वाली तकनीक के युग में चार तकनीकें तय करेंगी कि कौन आगे रहेगा- ऊर्जा, गतिशीलता (मोबिलिटी), एआइ और युद्ध की रणनीति (वारफेयर)।
- 2024 में चीन ने 14.4 गीगावाट हाइड्रोपावर जोड़ी, जो कई देशों के कुल उत्पादन से अधिक है और 58.7 गीगावाट पंप्ड-स्टोरेज हाइड्रो तक पहुंच गया है एवं 200 गीगावाट से अधिक निर्माणाधीन है। वह परमाणु ऊर्जा में भी सक्रिय है, जहां 30 रिएक्टर निर्माणाधीन हैं। कम वाणिज्यिक बिजली दरों और विशाल विनिर्माण की बदौलत बैटरी क्षेत्र में चीन ने फिर से ग्लोबल सप्लाई-चेन रैंकिंग में पहला स्थान हासिल किया है। सौर विनिर्माण की हर अवस्था में चीन की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत से अधिक है। ऊर्जा वह कच्चा माल है, जो बाकी सभी मूलभूत तकनीक को चलाएगा। चीन इसमें में काफी आगे निकल चुका है और उन कीमतों पर, जिनसे कोई मुकाबला नहीं कर सकता।
-- सच्चाई यह है कि जहां अमेरिका बेहतर माडल बनाने का जश्न मना रहा है, वहीं चीन ने यह सुलझा लिया है कि उन्हें वास्तव में चलाएगा कौन। पिछले कुछ वर्षों में युद्ध का स्वरूप भी बदल गया है। अब युद्ध सस्ते ड्रोन और घूमने वाले गोला-बारूद से लड़े जा रहे हैं, न कि महंगे टैंकों और विमानों से। ड्रोन निर्माण में चीन का वर्चस्व है। उसकी कंपनी डीडेआइ के पास वैश्विक ड्रोन बाजार का 70 प्रतिशत हिस्सा है। इसके मैविक ड्रोन के माडल 300 से 5,000 डालर के बीच आते हैं।


विभिन्न समाचार पत्रों और पब्लिक डोमेन में उपलब्ध रिपोर्ट्स एवं दस्तावेजों पर आधारित तथा जन जागरूकता के उद्देश्य से संकलित, संकलन कर्ता भौतिकी में परास्नातक हैं ।