सेवा निर्यात की मौजूदा प्रगति देश में हो रहे संरचनात्मक सुधारों, तकनीकी विकास और नई पीढ़ी की उच्च कौशल युक्त क्षमताओं का परिणाम है। गौरतलब है कि सेवा निर्यात में सूचना प्रौद्योगिकी, वाणिज्य, बैंकिंग, वित्त, बीमा, पर्यटन, आतिथ्य, शिक्षा, चिकित्सा और कृत्रिम मेधा जैसी सेवाओं का निर्यात शामिल है
- भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) खोलने में आई तेजी से भी सेवा निर्यात बढ़ रहा है। नैसकाम और जिनोव की ओर से जारी इंडिया जीसीसी-लैडस्केप रपट के मुताबिक, जीसीसी के लिए भारत दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र बन रहा है।
- फिलहाल देश में 1800 से अधिक जीसीसी हैं, जिनसे 21 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है। दुनिया के करीब पचास फीसद जीसीसी सिर्फ भारत में हैं। देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में जीसीसी का योगदान 1.5 फीसद से अधिक है, जो वर्ष 2030 तक 3.5 फीसद हो जाएगा। जीसीसी प्रमुख रूप से सूचना प्रौद्योगिकी, उपभोक्ता सेवाएं, वित्त, मानव संसाधन और अनुसंधान एवं विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि भारत में कृत्रिम बुद्धिमता और डेटा विश्लेषण जैसे क्षेत्रों में शोध एवं विकास तथा नवउद्यम के अनुकूल माहौल से अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों की बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने केंद्र यहां खोलना चाहती हैं।
- इसमें दोराय नहीं कि सेवा निर्यात भारतीय अर्थव्यवस्था का एक अहम पहलू बन गया है। इससे न केवल विदेशी व्यापार घाटे को थामे रखने में मदद मिल रही है, बल्कि देश में रोजगार निर्माण में भी इसका महत्त्वपूर्ण योगदान है। नीति आयोग की नई रपट में कहा गया है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद में सेवा क्षेत्र का योगदान 55 फीसद से अधिक है और लगभग 18.8 करोड़ लोगों को यह रोजगार से जोड़ता है। सेवा क्षेत्र ने पिछले छह वर्षों में चार करोड़ अतिरिक्त रोजगार पैदा किए हैं। देश का सेवा निर्यात 14.8 फीसद की चक्रवृद्धि वार्षिक दर से बढ़ रहा है, जो वस्तु निर्यात के 9.8 फीसद से कहीं ज्यादा है।
विभिन्न समाचार पत्रों और पब्लिक डोमेन में उपलब्ध रिपोर्ट्स एवं दस्तावेजों पर आधारित तथा जन जागरूकता के उद्देश्य से संकलित, संकलन कर्ता भौतिकी में परास्नातक हैं ।