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क्या दान छिपाने की बात है ? एक समीक्षा - आरती

अक्सर लोगों को बात करते सुना है कि " दान तो हम भी करते हैं लेकिन बताते नहीं फिरते या वाट्सऐप स्टेटस नही लगाते! "

आज के बदलते परिदृश्य में जब आम इंसान स्व केंद्रित होता जा रहा और उसकी व्यक्तिगत चाह और आवश्यकताएं इतनी बढ़ती जा रही हैं कि दूसरों की तकलीफ़ या सामाजिक सरोकार के कार्यों के लिए उसके लिए समय पैसा या अन्य संसाधन निकाल पाना मुश्किल होता जा रहा है, तब ऐसी हालत में किसी इंसान की व्यक्तिगत मदद में उसकी गोपनीयता का सम्मान करते हुए, अन्य संस्थागत मामलों में सामाजिक सरोकार के किए गए कार्यों का निस्वार्थ प्रचार एक निंदनीय नहीं सराहनीय कार्य है, इससे अन्य लोग प्रेरित होंगे और अपने व्यक्तिगत समस्याओं के साथ सामाजिक सरोकार के कार्यों के लिए भी प्रयत्न करेंगे, यथा: रक्तदान, श्रमदान, संस्था को वित्तीय मदद, वस्त्रदान इत्यादि।

आरती 


लेखिका संस्कृत में परास्नातक हैं और हिंदी में परास्नातक की विद्यार्थी साथ ही सामाजिक मुद्दों और राष्ट्रहित के मामलों पर चिंतन उनकी दिनचर्या की प्राथमिकताओं में शामिल है।


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