"मर गया नालायक! देखो तो, कितना खून पीया था। उड़ भी नहीं पाया, जबकि सम्भव है इसने खतरा महसूस कर लिया होगा।"
"अरे मम्मी, आप दुखी नहीं है अपना ही खून देखकर?"
"नहीं, क्योंकि यह अब मेरा खून नहीं था, इसका हो गया था।"
"आप भी न, उस दिन उँगली कटने पर तो आपके आँसू नहीं रुक रहे थे। और आज अपना ही खून देखकर आप खुश हैं।"
''जो मेरा होता है, उसके नष्ट हो जाने पर कष्ट होता है। पर मेरा होकर भी जो मेरा न रहे, तब उसके नष्ट हो जाने पर मन को संतुष्टि होती है, समझा?''
"बस मम्मी, अब यह मत कहने लगिएगा कि यह खून पीने वाला मोटा मच्छर, कोई ठग व्यापारी या नेता है या फिर कोई भ्रष्ट अफसर! और उससे निकला खून, आपके खून पसीने की कमाई! जिसे पचा पाना सबके बस की बात नहीं!"
"मेरा पुत्तर, कितना समझने लगा है मुझे..! छीन-झपटकर कोई कब तक जिंदा रह सकता है भला। पाप का घड़ा एक न एक दिन तो फूटता ही है।"
© सविता मिश्रा 'अक्षजा'
ईमेल-2012.savita.mishra@gmail.com
अक्षजा जी को पढ़ना संवेदना जगाता है और स्पष्टता से भर देता है, आपने अपनी रचनाओं से मानवीय रिश्तों, संघर्षों, विरोधाभासों प्रकाश डालते हुए या कहें की ध्यान खींचते हुए एक शांतिमय और समृद्ध जीवन / दुनिया के लिए तरह तरह की विधाओं में साहित्य रचकर साहित्य कोश में अमूल्य योगदान दिया है, आपने लघुकथा, कहानी, व्यंग्य, छंदमुक्त कविता, पत्र, आलेख, समीक्षा, जापानी-विधा हाइकु-चोका आदि विधाओं में ढेरों रचनाएं साहित्य कोश को अर्पण की हैं, आपकी 'रोशनी के अंकुर' एवं 'टूटती मर्यादा' लघुकथा संग्रह तथा ‘सुधियों के अनुबंध’ कहानी संग्रह के साथ अस्सी के लगभग विभिन्न विधाओं में साझा-संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित हैं और 'खाकीधारी' 2024{लघुकथा संकलन} 'अदृश्य आँसू' 2025 {कहानी संकलन} 'किस्से खाकी के' 2025 {कहानी संकलन} 'उत्तर प्रदेश के कहानीकार' 2025 {कथाकोश} का सम्पादन भी किया, आप लघुकथा/समीक्षा/कहानी/व्यंग्य / कविता विधा में कई बार पुरस्कृत हैं| आदरणीय लेखिका के बारे में और इनकी अन्य रचनाओं, योगदान, सम्प्रतियों के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें|
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