क्रास्ना होरकाई → 2025 (साहित्य नोबेल पुरस्कार विजेता)
जब नोबेल कमेटी द्वारा इनसे पूछा गया कि आपके लेखन की प्रेरणा क्या है तो इनका उत्तर था *समाज की कड़वाहट*।
बड़ा ही अलग सा उत्तर था ये क्योंकि लोग प्रेम के कारण लिखते है, दर्द के कारण लिखते है पर कड़वाहट का प्रेरणा बनना विचारने योग्य बिंदु है। लेकिन यदि हम भारतीय दर्शन देखे तो महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वेदव्यास, तुलसीदास, सूरदास ने भी समाज के दिए गए जहर को पीकर अमृत देने का काम किया और ऐसा किया जा सकता है।
क्रास्ना होरकाई अपने कई -2 पन्नों तक चलने वाले वाक्यों का कारण बताते हुए कहते है कि
विचार अंतहीन होते है, जब हम पूर्ण विराम लगाते है तो हमारे विचारों का अबाध प्रवाह बाधित होता है, पूर्णविराम को इंसान तय नहीं करता है, ईश्वर तय करता है, मानवीय अनुभव कभी पूरी तरह खत्म नहीं होते। इसे छोटे या टूटे हुए वाक्यों में कैद नहीं किया जा सकता, जीवन अखंड प्रवाह है, केवल ईश्वर जो संपूर्णता का प्रतीक हैं वही किसी चीज को पूर्ण रूप से खत्म करने का अधिकार रखता है, मनुष्य होने के नाते हम सिर्फ प्रवाह को ही अनुभव कर सकते है।
इसीलिए हम सबको जीवन में आने वाले वो पल जिनमें हम अवसाद से घिर जाते है, हमें किसी से कहना चाहिये और न कह सके तो लिखना चाहिए, खुद के अंदर की, समाज से मिली कड़वाहट को खत्म करने का ये बहुत अच्छा तरीका हो सकता है, जिन लोगों को नहीं सुना गया, उन्होंने लिखा है और ऐसा लिखा है कि हज़ारों साल पहले लिखा गया हम आज भी पढ़ते है, महाभारत के रचयिता व्यास जी भी सबको अपनी बात बताना चाहते थे पर किसी ने नही सुना और भारत को यह अमूल्य धरोहर मिली।
जब कभी जीवन को खत्म करने का विचार भी मन में आये तो एक बार जरूर सोचिये कि यह जिसे आप खत्म करने की बात कर रहे है क्या आपका है, मेरी मत सुनिए, इतने बड़े साहित्यकार की बात पर तो विचार कर लीजिए।
शुभकामनाएं।
- सौम्या गुप्ता
सौम्या गुप्ता जी इतिहास मे परास्नातक हैं और शिक्षण का अनुभव रखने के साथ समसामयिक विषयों पर लेखन और चिंतन उनकी दिनचर्या का हिस्सा हैं, वो अपनी समझ और लेखन कौशल से समाज में स्पष्टता, दयालुता, संवेदनशीलता और साहस को बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं।
अगर आपके पास भी कुछ ऐसा है जो लोगों के साथ साझा करने का मन हो तो हमे लिख भेजें नीचे दिए गए लिंक से टाइप करके या फिर हाथ से लिखकर पेज का फोटो Lovekushchetna@gmail.com पर ईमेल कर दें