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रुचि (लघुकथा) - लवकुश कुमार

सान्निध्य कौतूहलवश, यथार्थ तुम इतना टाइप कैसे कर लेते हो?

तुम्हारी उंगलियों में दर्द नहीं होता !

यथार्थ (अपनी टाइपिंग लाइन पूरा करते हुए)- सान्निध्य, पहली बात तो यह काम मेरी रुचि का है, मुझे आर्टिकल, लघुकथा लिखना बहुत पसंद है।

दूसरी बात, मैंने लोगों को अक्सर समाज और सरकार की बुराइयाँ करते हुए सुना है, मैं उन शिकायतों से आगे बढ़कर काम करना चाहता हूँ, इसीलिए मैं बिना खाए भी ये काम निरंतर कुछ समय तक कर सकता हूँ, क्योंकि ये काम मुझे बहुत जरूरी लगता है और इस तरह मैं लोगों में संवेदनशीलता बढ़ाने के निमित्त कुछ प्रयास कर पा रहा हू और उन जरूरी बातों की तरफ ध्यान खींच रहा हूं लोगों का जिधर ध्यान जाना चाहिए।और ये काम इतना जरूरी लगता है कि थकान भी मुझे रोक नहीं पाती।

अब सानिध्य समझ चुका था कि यथार्थ समाज और सरकार के बारे में लोगों की शिकायतों पर इसी तरह खूब काम करके प्रतिक्रिया करता है। 

-लवकुश कुमार 


लेखक भौतिकी में परास्नातक हैं और उनके लेखन का उद्देश्य समाज की उन्नति और बेहतरी के लिए अपने विचार साझा करना है ताकि उत्कृष्टता, अध्ययन और विमर्श को प्रोत्साहित कर देश और समाज के उन्नयन में अपना बेहतर योगदान दिया जा सके, साथ ही वह मानते हैं कि सामाजिक विषयों पर लेखन और चिंतन शिक्षित लोगों का दायित्व है और उन्हें दृढ़ विश्वास है कि स्पष्टता ही मजबूत कदम उठाने मे मदद करती है और इस विश्वास के साथ कि अच्छा साहित्य ही युवाओं को हर तरह से मजबूत करके देश को महाशक्ति और पूर्णतया आत्मनिर्भर बनाने मे बेहतर योगदान दे पाने मे सक्षम करेगा, वह साहित्य अध्ययन को प्रोत्साहित करने को प्रयासरत हैं, 

जिस तरह बूँद-बूँद से सागर बनता है वैसे ही एक समृद्ध साहित्य कोश के लिए एक एक रचना मायने रखती है, एक लेखक/कवि की रचना आपके जीवन/अनुभवों और क्षेत्र की प्रतिनिधि है यह मददगार है उन लोगों के लिए जो इस क्षेत्र के बारे में जानना समझना चाहते हैं उनके लिए ही साहित्य के कोश को भरने का एक छोटा सा प्रयास है यह वेबसाइट ।


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