Article

अपरिचित (लघुकथा) - लवकुश कुमार

अक्षिता विस्मित भाव से, चेतना मैं तुम्हारी एक बात से चौंक जाती हूँ कि तुम अपरिचित लोगों से भी इतने खुलेपन के साथ कैसे बात कर लेती हो, तुम्हें डर नहीं लगता कि इससे कोई हानि भी हो सकती है या लोग तुम्हें ग़लत समझ सकते हैं?

चेतना मुस्कुराते हुए देखो अक्षिता, अपना तो सिंपल फंडा है जो वास्तव में हो वही दिखो जब मैं नए लोगों से फ्रैंकनेस से पेश आती हूँ तो सामने से भी मैं ऐसी ही उम्मीद रखती हूँ। इससे हम दोनों मुखौटे के साथ नहीं मिलते, मैं इससे लोगों से सच्चाई से मिलती हूं और जो मुझसे इत्तेफाक रखेंगे वही मिलेंगे, जो मेरे काम के महत्व को समझेंगे, किसी खास मौके पर हम मिले तो हम वही रहेंगे जो पहली बार में थे। हमारी ईमानदारी ही हमारे एसोसिएशन की मजबूत नींव बनेगी। इसीलिए मैं अपरिचित लोगों से ऐसे ही सच्चाई से मिलती हूँ। अगर हम खुद ही मुखौटा लगा लेंगे तो सामने वाले से सच्चा होने की उम्मीद नहीं कर सकते।अगर  बाद में कलई खुलने पर कोई साथ छूटना है तो अभी वो जुड़े ही क्यों?

©लवकुश कुमार

लेखक भौतिकी में परास्नातक हैं और उनके लेखन का उद्देश्य समाज की उन्नति और बेहतरी के लिए अपने विचार साझा करना है ताकि उत्कृष्टता, अध्ययन और विमर्श को प्रोत्साहित कर देश और समाज के उन्नयन में अपना बेहतर योगदान दिया जा सके, साथ ही वह मानते हैं कि सामाजिक विषयों पर लेखन और चिंतन शिक्षित लोगों का दायित्व है और उन्हें दृढ़ विश्वास है कि स्पष्टता ही मजबूत कदम उठाने मे मदद करती है और इस विश्वास के साथ कि अच्छा साहित्य ही युवाओं को हर तरह से मजबूत करके देश को महाशक्ति और पूर्णतया आत्मनिर्भर बनाने मे बेहतर योगदान दे पाने मे सक्षम करेगा, वह साहित्य अध्ययन को प्रोत्साहित करने को प्रयासरत हैं, 

जिस तरह बूँद-बूँद से सागर बनता है वैसे ही एक समृद्ध साहित्य कोश के लिए एक एक रचना मायने रखती है, एक लेखक/कवि की रचना आपके जीवन/अनुभवों और क्षेत्र की प्रतिनिधि है यह मददगार है उन लोगों के लिए जो इस क्षेत्र के बारे में जानना समझना चाहते हैं उनके लिए ही साहित्य के कोश को भरने का एक छोटा सा प्रयास है यह वेबसाइट ।


अगर आपके पास भी कुछ ऐसा है जो लोगों के साथ साझा करने का मन हो तो हमे लिख भेजें नीचे दिए गए लिंक से टाइप करके या फिर हाथ से लिखकर पेज का फोटो Lovekushchetna@gmail.com पर ईमेल करें।