समर्थ तुम रेस्पेक्टेबल फ्लर्ट की बात कर रहे थे, मैंने महसूस किया है इससे मुझे भी अच्छा लगता है, ऐसा कैसे होता है? समझने में समर्थ करो मुझे भी, चेष्टा, समर्थ से जिज्ञासा करती है और हंसने लगती है।
समर्थ मुस्कुराते हुए, चेष्टा, जहां तक मैने समझा है, जब कोई हमारे अच्छे दिखने की या हमारी ड्रेस की या हमारे काम/उपलब्धि/व्यवहार की प्रशंसा इस तरह करता है कि उस बात के चलते एक जुड़ाव का प्रस्ताव या रुचि अभिव्यक्त हो तो हम खुश और बहुत अच्छा महसूस करते है, इसका कारण हमारे द्वारा खुद को महत्वपूर्ण महसूस करना होता है, खासकर जब ये प्रमाणीकरण या वैलीडेशन सामने से मिले, तुमने शायद महसूस किया हो कि जब हम सामने वाले इंसान की किसी बात के लिए तारीफ करते हैं और उधर से भी हमारे किसी काम की तारीफ मिल जाए तब एक अलग ही वैलीडेशन और इंपार्टेंस की फीलिंग आती है जो हममें उत्साह और आत्मविश्वास भर देती है इससे हमारी दक्षता बढ़ती है। जब कोई हमारी प्रशंसा करता है तो हमें अपनी काम की और खुद की सार्थकता का पता लगता है, काम के प्रति समर्पण भी बढ़ता है, बशर्ते तारीफ का विषय/तरीका ऐसा न हो कि सामने वाले को ये व्यक्तिगत सीमाओं के पार या निजता का हनन लगे।
चेष्टा - ओह, अब समझ आया कि दूसरों से प्रशंसा सुनना हमारे आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान को बढ़ा सकता है। जब हमें दूसरों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलती है, तो हम अपनी क्षमताओं पर अधिक विश्वास करते हैं और खुद को अधिक मूल्यवान महसूस करते हैं। यह हमें प्रेरित भी करता है और हमें बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
हां चेष्टा अब तुम समझने में समर्थ हो चुकी हो, तुम्हारी चेष्टा सफल रही, दोनों हंसने लगते हैं।
©लवकुश कुमार
लेखक भौतिकी में परास्नातक हैं और उनके लेखन का उद्देश्य समाज की उन्नति और बेहतरी के लिए अपने विचार साझा करना है ताकि उत्कृष्टता, अध्ययन और विमर्श को प्रोत्साहित कर देश और समाज के उन्नयन में अपना बेहतर योगदान दिया जा सके, साथ ही वह मानते हैं कि सामाजिक विषयों पर लेखन और चिंतन शिक्षित लोगों का दायित्व है और उन्हें दृढ़ विश्वास है कि स्पष्टता ही मजबूत कदम उठाने मे मदद करती है और इस विश्वास के साथ कि अच्छा साहित्य ही युवाओं को हर तरह से मजबूत करके देश को महाशक्ति और पूर्णतया आत्मनिर्भर बनाने मे बेहतर योगदान दे पाने मे सक्षम करेगा, वह साहित्य अध्ययन को प्रोत्साहित करने को प्रयासरत हैं,
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