"यार तुम कौनसी विचारधारा के हो?" सुबह तालाब किनारे टहलते हुए उसने पूछा मुझसे।
"क्यों? तुम्हें क्या लगा?" *सामने तालाब का पानी शान्त था लेकिन मेरी आँखों में शरारत हिलोरें लेने लगी थी।*
"मैंने देखा है जिस वाट्स एप ग्रुप में सरकार समर्थित लोग हैं, उसमें तुम सरकार के विरोध में टिप्पणी लिखते हो और जिस ग्रुप में सरकार विरोधी चर्चा होती है, वहाँ तुम सरकार के पक्ष में सारी पोस्ट डालते हो। ये क्या चकर है?"
" चक्कर? हा हा हा," *मैंने एक पत्थर उठाकर तालाब में फेंका तो पानी में तीव्र हलचल हुई और लहरें गोल-गोल चक्कर लगाने लगीं*," हम एक तीसरे ही ग्रुप के हैं, हम तो लोगों को उकसाते हैं और फिर उनकी उत्तेजना का आंनद लेते हैं बस !"
© संतोष सुपेकर
ईमेल- santoshsupekar29@gmail.com
संतोष सुपेकर जी, 1986 से साहित्य जगत से जुड़े हैं, सैकड़ों लघुकथाएं. कविताएँ, समीक्षाएं और लेख लिखे हैं जो समाज में संवेदना और स्पष्टता पैदा करने में सक्षम हैं, आप नियमित अखबार-स्तम्भ और पत्र-पत्रिकाओं (लोकमत समाचार, नवनीत, जनसाहित्य, नायिका नई दुनिया, तरंग नई दुनिया इत्यादि) में लिखते रहे हैं और समाज की बेहतरी हेतु साहित्य कोश में अपना योगदान सुनिश्चित करते रहे हैं |
अगर आपके पास भी कुछ ऐसा है जो लोगों के साथ साझा करने का मन हो तो हमे लिख भेजें नीचे दिए गए लिंक से टाइप करके या फिर हाथ से लिखकर पेज का फोटो Lovekushchetna@gmail.com पर ईमेल कर दें