इंसान कई बार 'काश' में फंसकर रह जाता है
इसीलिए वह उदास रह जाता है
काश ऐसा होता, काश वैसा होता
पर जो है जैसा है सिर्फ अभी है।
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-सौम्या गुप्ता
सौम्या गुप्ता जी इतिहास मे परास्नातक हैं और शिक्षण का अनुभव रखने के साथ समसामयिक विषयों पर लेखन और चिंतन उनकी दिनचर्या का हिस्सा हैं |
यह कविता 'काश' में फंसने और वर्तमान में न जीने के मानवीय स्वभाव पर प्रकाश डालती है, जिससे निराशा और दुःख की भावनाएँ उत्पन्न होती हैं।
इस कविता के माध्यम से कवयित्री क्या संदेश देना चाह रही है उसे कुछ प्रश्नों के माध्यम से आसानी से समझ सकते है :
इस काव्य का केंद्रीय विचार क्या है?
इस काव्य का केंद्रीय विचार यह है कि मनुष्य अक्सर 'काश' या 'अगर ऐसा होता' की दुनिया में खो जाते हैं, जो उन्हें वर्तमान की वास्तविकता से दूर ले जाता है, जिससे निराशा और उदासी की भावना पैदा होती है।
काव्य में 'काश' का क्या अर्थ है?
'काश' का अर्थ है 'अगर', 'यदि', या 'मैं चाहता हूँ' और यह अतीत या भविष्य की उन स्थितियों का प्रतिनिधित्व करता है जिन्हें बदला नहीं जा सकता है, जिससे व्यक्ति दुखी हो जाता है।
काव्य में उदासी का कारण क्या बताया गया है?
पाठ में उदासी का कारण 'काश' की दुनिया में फंसना और वर्तमान में न जीने को बताया गया है। जब व्यक्ति वर्तमान की सराहना करने के बजाय अतीत या भविष्य में खो जाता है, तो वह उदास हो जाता है।
हम वर्तमान में कैसे रह सकते हैं?
वर्तमान में रहने के लिए, हमें अतीत की गलतियों और भविष्य की अनिश्चितताओं के बारे में चिंता करने के बजाय, वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। हमें वर्तमान में जो कुछ भी है, उसकी सराहना करनी चाहिए और हर पल को जीना चाहिए।
इस काव्य का संदेश क्या है?
इस पाठ का संदेश है कि हमें वर्तमान में जीना चाहिए और 'काश' की दुनिया से बाहर निकलना चाहिए, क्योंकि यही सच्ची खुशी और संतुष्टि का मार्ग है।
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