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कार्य, ऊर्जा और शक्ति से जुड़े हुए कुछ तथ्यों को खाली जगह भरकर याद करने का अभ्यास -1

निम्नलिखित अधूरे वाक्यों की खाली जगह को भरकर इन्हें पूरा करिए और अपनी समझ को अभ्यास से मजबूत करिए :

1. कार्य तब किया जाता है जब किसी पिंड पर लगाया गया बल, पिंड को लगाए गए बल की दिशा में एक निश्चित दूरी तक ........................कर देता है। इसे बल और बल की दिशा में चली गई दूरी के गुणनफल से मापा जाता है, अर्थात W = F.S

2. दूसरे शब्दों में, कार्य बल और विस्थापन का ".................... गुणनफल" है। अतः यदि बल और विस्थापन एक-दूसरे के लंबवत हैं, तो उनका
अदिश गुणनफल शून्य होगा, जिससे W=0 होगा | या कारक द्वारा किया गया कार्य W, विस्थापन की दिशा में बल के घटक और विस्थापन के परिमाण का गुणनफल होता है।

3.यदि हम लगाए गए बल और विस्थापन के बीच एक ग्राफ बनाते हैं, तो F-s ग्राफ के नीचे का क्षेत्रफल ज्ञात करके किया गया ....................प्राप्त किया जा सकता है।
4.गतिमान आवेश पर चुंबकीय बल .................................... होता है, क्योंकि यहाँ बल गति की दिशा के लंबवत है।
5. स्प्रिंग सिस्टम - यदि किसी स्प्रिंग को उसके बिना खिंचे हुए विन्यास (सामान्य अवस्था) से थोड़ी दूरी तक खींचा या संपीड़ित किया जाता है, तो स्प्रिंग बाह्य कारक पर एक बल लगाएगी जोकि उसकी प्रत्यास्थता के चलते उत्पन्न होता है, जो इस प्रकार है: F = -kx, जहाँ x स्प्रिंग में संपीड़न (कम्प्रेशन) या दीर्घीकरण (elongation) है, k एक स्थिरांक है जिसे ............................. स्थिरांक कहते हैं| ऋणात्मक चिह्न दर्शाता है कि स्प्रिंग बल की दिशा " x " के विपरीत है (x मुक्त सिरे का विस्थापन है।)

6. उपरोक्त स्थिति में स्प्रिंग में संग्रहित स्थितिज ऊर्जा E= (1/2) k x^2 होगी। यह स्पष्ट है कि E, खिंचाव या संपीडन के ........................के समानुपाती होता है। इसलिए यदि खिंचाव "x" के लिए ऊर्जा "E" है, तो "3x" के लिए ऊर्जा 3^2E अर्थात् "9E" होगी।

7. बल या स्प्रिंग स्थिरांक (नियतांक) का मान स्प्रिंग की बिना खिंची हुई लंबाई और स्प्रिंग के.......................... की प्रकृति (प्रत्यास्थता गुणांक)पर व्युत्क्रमानुपाती रूप से निर्भर करता है।
ऊर्जा

 किसी पिंड की ऊर्जा उसकी कार्य करने की क्षमता होती है। ऊर्जा को कार्य की इकाई, अर्थात् जूल या erg या वाट या किलोवाट, में मापा जाता है।
    यांत्रिक ऊर्जा दो प्रकार की होती है: गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा
गतिज ऊर्जा
8. किसी पिंड द्वारा अपनी ....................के कारण धारण की गई ऊर्जा को उसकी गतिज ऊर्जा कहते हैं। m द्रव्यमान और v वेग वाली किसी वस्तु के लिए, गतिज ऊर्जा निम्न प्रकार से दी जाती है:  K.E. = ( 1/2 ) mv^ 2
 स्थितिज ऊर्जा
किसी पिंड द्वारा अपनी स्थिति या अवस्था के कारण धारण की गई ऊर्जा को उसकी स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।
स्थितिज ऊर्जा के दो सामान्य रूप हैं: गुरुत्वाकर्षण और प्रत्यास्थ।

  • किसी पिंड की गुरुत्वाकर्षण स्थितिज ऊर्जा, पृथ्वी की सतह से ऊपर या गहराई में अपनी स्थिति के कारण धारण की गई ऊर्जा है।

इसे निम्न प्रकार से व्यक्त किया जाता है: P.E. = mgh, यह एक सापेक्ष मान है, इस स्तिथि में ऐसा माना गया है कि की पृथ्वी के सतह पर स्थितिज उर्जा शून्य है |

जहाँ m —> पिंड का द्रव्यमान
g —> पृथ्वी की सतह पर गुरुत्वाकर्षण के कारण त्वरण। h —> पिंड को ऊपर उठाए जाने की ऊँचाई ( यह सूत्र तब है उपयोगी है जब h का मान पृथ्वी की त्रिज्या की तुलना में बहुत कम हो अन्यथा हमें g के मान में परिवर्तन का संज्ञान भी लेना होगा )
स्प्रिंग के लिए ऊपर वर्णित ऊर्जा प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा का एक उदाहरण है।


कार्य-ऊर्जा प्रमेय
9. कार्य-ऊर्जा प्रमेय के अनुसार, किसी पिंड पर बल द्वारा किया गया कार्य, पिंड की .................................ऊर्जा में परिवर्तन के बराबर होता है। KE- गतिज उर्जा 
W (कार्य ) जहाँ  W= KE_2 – KE_1, जोकि परिवर्तन को अंतिम मान (स्थिति-2) घटा प्रारंभिक मान (स्थिति-1) के रूप में परिभाषित किया जाता है।


ऊर्जा संरक्षण का नियम-

10. ऊर्जा संरक्षण के नियम के अनुसार, एक विलगित (आइसोलेटेड) निकाय की कुल ऊर्जा में ...............................नहीं होता है।
11. ऊर्जा एक रूप से दूसरे रूप में ...................हो सकती है, लेकिन एक विलगित निकाय की कुल ऊर्जा स्थिर रहती है।
12. ऊर्जा का न तो सृजन किया जा सकता है, न ही .....................।

 

कणों के बीच टकराव को मोटे तौर पर दो प्रकारों में विभाजित किया गया है।
(i) प्रत्यास्थ टकराव (ii) अप्रत्यास्थ टकराव।
प्रत्यास्थ संघट्ट (elastic collision)
दो कणों या पिंडों के बीच संघट्ट को प्रत्यास्थ कहा जाता है यदि निकाय का रैखिक संवेग और गतिज ऊर्जा दोनों संरक्षित रहते हैं।
अप्रत्यास्थ संघट्ट (inelastic collision)
यदि निकाय का रैखिक संवेग संरक्षित रहता है, लेकिन उसकी गतिज ऊर्जा संरक्षित नहीं होती है, तो संघट्ट को अप्रत्यास्थ कहा जाता है।
उदाहरण: जब हम गीली पुट्टी की एक गेंद को फर्श पर गिराते हैं, तो गेंद और फर्श के बीच संघट्ट एक अप्रत्यास्थ संघट्ट होता है।


संघट्ट को एकविमीय कहा जाता है, यदि टकराने वाले कण, संघट्ट से पहले और बाद दोनों समय एक ही सरल रेखा पथ पर गति करते हैं।
• एकविमीय प्रत्यास्थ संघट्ट में, संघट्ट से पहले अभिगम (approach) का सापेक्ष वेग, संघट्ट के बाद पृथक्करण के सापेक्ष(रिलेटिव स्पीड ऑफ़ सेपरेशन) वेग के बराबर होता है।
13. प्रत्यास्थता गुणांक (e) को टक्कर के बाद पृथक्करण की सापेक्ष गति और टक्कर से पहले पहुँच की सापेक्ष गति के अनुपात के रूप में
परिभाषित किया जाता है। अतः पूर्णतः प्रत्यास्थ टक्कर के लिए e का मान .........................., पूर्णतः अप्रत्यास्थ टक्कर के लिए  शून्य और अन्य टक्करों के लिए 0 और 1 के बीच होता है।
14. संरक्षी बल- किसी बल को संरक्षी कहा जाता है यदि एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक जाने में किया गया कार्य, अनुसरण किए गए................. पर निर्भर नहीं करता है, बल्कि केवल गतिमान वस्तु की प्रारंभिक और अंतिम स्थिति पर निर्भर करता है।

संरक्षी बलों के उदाहरण हैं:
(i) गुरुत्वाकर्षण बल (ii) स्थिरवैद्युत बल (iii) चुंबकीय बल


15. असंरक्षी बल

किसी बल को असंरक्षी कहा जाता है यदि एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक जाने में किया गया कार्य अनुसरण किए गए पथ पर ................करता है।

असंरक्षी बलों के उदाहरण हैं: (i) घर्षण बल (ii) श्यान बल


नोट- ऊर्जा संरक्षण का नियम संरक्षी और असंरक्षी दोनों बलों पर लागू होता है।


16. संरक्षी क्षेत्र के लिए बंद पथ में कार्य ................होगा या संरक्षी बल के अधीन कार्य ................... होगा जबकि असंरक्षी क्षेत्र के लिए कार्य शून्य
नहीं होगा।


उत्तर : 1. विस्थापित, 2. अदिश, 3.कार्य,4. शून्य, 5. बल या स्प्रिंग, 6. वर्ग 7.पदार्थ, 8.गति, 9.गतिज, 10.कोई परिवर्तन,11.परिवर्तित,12.विनाश,13. 1, 14.पथ. 15.निर्भर, 16.शून्य,शून्य


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