जिंदगी एक कारवाँ है,
इसमें लोग जुड़ते हैं,
इससे लोग कटते है।
माता-पिता, शिक्षक, दोस्त,
हमसफर इसका हिस्सा हैं
पर वक्त का तकाजा
कभी इन्हें दूर
तो कभी पास लाता है।
पर हमें चलना होता है
और लोग जुड़ें या ना जुड़ें
हमें आगे बढ़ना होता है
कभी किसी साथी के संग
कभी अकेले खुद के हमराही बन
अपनी मंजिल तक पहुंचना होता है।
-सौम्या गुप्ता
सौम्या गुप्ता जी इतिहास मे परास्नातक हैं और शिक्षण का अनुभव रखने के साथ समसामयिक विषयों पर लेखन और चिंतन उनकी दिनचर्या का हिस्सा हैं |
इस कविता के माध्यम से कवयित्री क्या संदेश देना चाह रही है उसे कुछ प्रश्नों के माध्यम से आसानी से समझ सकते है :
इस कविता का मुख्य विषय क्या है?
इस कविता का मुख्य विषय जीवन है, जिसे एक कारवाँ के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह जीवन के सफर में लोगों के साथ आने, बिछड़ने और आगे बढ़ने के बारे में है।
कविता में 'कारवाँ' शब्द का क्या अर्थ है?
यहाँ 'कारवाँ' शब्द जीवन के सफर का प्रतीक है, जिसमें लोग एक साथ चलते हैं, कुछ जुड़ते हैं और कुछ बिछड़ते हैं। यह जीवन की निरंतरता और परिवर्तनशीलता को दर्शाता है।
वक्त का तकाजा' से क्या तात्पर्य है?
वक्त का तकाजा' समय के प्रभाव और परिवर्तनों को दर्शाता है। यह दिखाता है कि कैसे समय के साथ लोग दूर हो जाते हैं या फिर से मिल जाते हैं, और जीवन में बदलाव आते रहते हैं।
हमें आगे क्यों निकलना होता है, चाहे कारवाँ चले या न चले?
हमें आगे निकलना होता है, क्योंकि जीवन एक निरंतर प्रक्रिया है। चाहे हमारे साथ कोई हो या न हो, हमें अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ते रहना चाहिए।
इस कविता का संदेश क्या है?
इस कविता का संदेश है कि जीवन एक सफर है, जिसमें हमें अकेले या दूसरों के साथ, आगे बढ़ते रहना चाहिए। हमें अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए हमेशा प्रयास करते रहना चाहिए, चाहे रास्ते में कितनी भी बाधाएं आएं।
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