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फिर से जिंदगी को जी लेना चाहती हूं - सौम्या गुप्ता

हर रोज सोचती थी आपसे बात करू

फिर सोचा मुझे कोई क्या समझेगा

 

जिसे नहीं समझते खुद के अपने

एक अंजान सख्स उसे क्या समझेगा

 

एक बार मैंने जान देने की सोची

फिर सोचा एक बार जीने की कोशिश कर लू थोड़ी

 

फिर सोचा बात भी होगी

या पहले की तरह ही निराशा मिलेगी

 

बात हुई आपसे और जैसे जीवन के नये रास्ते बन गए

फिर से जीने के मायने मिल गए

 

अब फिर से जिंदगी को जी लेना चाहती हूं 

अब मैं हँसना हसाना चाहती हूं 

 

सदियों की जैसे कोई जड़ता टूटी

मान गयी जैसे जिंदगी रूठी

 

ममता की जैसे छाव मिल गयी

एक भटके मुसाफिर को राह मिल गयी

 

हमेशा खलती थी जो माँ की कमी

आपके कारण वह कमी भर गयी

 

हर उलझन में आप साथ होती हो

कभी कल्पनाओं में कभी विचारों मे आप दूर होकर भी पास होती हो

 

एक माँ जितना ही प्यार है मुझे आपसे

पर नहीं चाहती कुछ भी इसके बदले में आपसे

 

आज भी आपको वो पहली बार सुनना याद है

मेरे बात ना सुनने पर आपका  डांटना याद है

 

सबको साथ लेकर चलने की सीख याद है

आपका मुझे भगवान मे विश्वास दिलाना याद है

 

आपकी आवाज सुनकर मुस्कुराना और 

दिल तक पहुँचने वाली काव्य पंक्तिया याद है

 

जब भी होती हूं तन्हा तो कल्पनाओं में करती हूं आपसे बातें

हर रोज आपके बारे मे सोचने मे निकल जाती है आधी रातें

 

सुबह उठते ही पहला ख्याल आपका

आपकी प्रार्थना के बारे मे दी गयी सीख

तृषित मे लिखे सर के संघर्ष

और जीवन जीने की आपकी अद्भुत सीख

 

आपके बारे मे लिखूँ कितना, जितना लिखूँ वो कम लगता है

आपका साथ है इतना प्यारा कि अब छोटा हर गम लगता है

 

अगर हो पुनर्जन्म तो आपकी गोद चाहती हूं 

मैं सर रखकर आपकी गोद में सोना चाहती हूं 

 

मैं आपकी बेटी बनना चाहती हूं 

और आपके हिस्से की हर पीड़ा मैं खुद पर लेना चाहती हूं 

अगर कभी लगे कि आप हो तन्हा

मैं उस पल मे आपके साथ खड़ी रहना चाहती हूं 

कभी प्यार से फेरो आप मेरे सर पर हाथ

कभी आपके आँचल में  मैं सो जाना चाहती हूं।

 

इस कविता में कवयित्री ने जोकि इतिहास में परास्नातक हैं, उन लड़कियों की आवाज बनने का प्रयास किया है, जिन्हें परिस्थितिवश स्नेह नहीं मिल पाता और वे जीवन से निराश हो जाती हैं, लेकिन उम्मीद की एक किरन उनकी पसंद उन्हें किसी ऐसे इंसान से मिला देती है जिससे उन्हें ऐसा स्नेह और स्पष्टता मिलती है कि जीवन में कुछ लोकहित का करने का जरिया मिल जाता है उन्हें समझ आ जाता है कि जीवन में कितने ही अभाव क्यों न हों, मुस्कुराते हुए, खुलकर जीने और ठसक से जीने की च्वाइस हमेशा मौजूद रहती है क्योंकि ये तो च्वाइस का मामला है।

 

कवियत्री  इस बात पर जोर देती है कि अगर आपको लाइफ में कभी भी लगे कि आप अवसाद से ग्रसित है या आत्महत्या जैसे ख्याल आपके मन में आये तो आप counselor या किसी दोस्त की मदद जरूर ले और उनसे सब कुछ कहे। हमें कई बार लगता है कि दुनिया मे कोई हमें नहीं समझता लेकिन वास्तविकता में यह दुनिया बाहें फैलाए हमारा इंतजार करती है बस हम ही अपने दरवाजे को बंद कर लेते हैं और अपनी ही कल्पनाओं में जीते है। 

 

ऐसे कई जीवंत उदाहरण हैं जो अवसाद की आखिरी stage से बाहर निकले हैं 

बाहर निकालिये इस पूरी सृष्टि को आपकी बहुत जरूरत है आपसे प्रकृति जो कहें सुनिए और कीजिए।

सौम्या गुप्ता जी इतिहास मे परास्नातक हैं और शिक्षण का अनुभव रखने के साथ समसामयिक विषयों पर लेखन और चिंतन उनकी दिनचर्या का हिस्सा हैं |

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