
अपने बेटे के एड्मिशन के लिए चुना पिथौरागढ़ की वादियों मे एक सुंदर स्कूल जी हाँ सुन्दर इसलिए ताकि स्कूल भेजने के लिए बच्चे को मनाना ना पड़े, अंदर प्रवेश करते ही सोने पर सुहागा वाली बात हो गयी, प्रधानाचार्य महोदया के कार्यालय के सामने ही बच्चों के लिए एक आकर्षक और उपयोगी किताबों की सुंदर सी लाइब्रेरी देखी, और उसमे दिखी “नन्ही चौपाल” की एक पत्रिका, जी हाँ वही “नन्ही चौपाल” जिस पर ये लेख है |
फिर क्या था प्रवेश की औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद प्रिंसिपल मैम से “नन्ही चौपाल” पत्रिका की एक प्रति मांग ली घर पर पढने के लिए, मैम को पत्रिका में मेरी रूचि ने प्रभावित किया और उन्होंने साथ में एक और प्यारी और छोटी सी बुकलेट दे दी, नाम था जिसका “धूप का संदूक ” जिसके लेखक हैं बच्चों की आवाज को मंच देने वाले आदरणीय विप्लव भट्ट सर |
फिर क्या ! काम शुरू हुआ पत्रिकाओं को पढने और उनके विश्लेषण का और जो कुछ मिला उसका निचोड़ कह लीजिये या सार कह लीजिये आपके सामने है :
इसकी बानगी से पहले भट्ट सर का विज़न देख लें :
“बच्चो की कल्पनाओ, जिज्ञासाओं और
सीखने की ललक को एक नया आकाश
देने वाले विप्लव भट्ट एक बहुआयामी
कलाकार, शिक्षक और बाल-संवेदना के
संवाहक है और कठपुतली, जादू और
रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से बच्चों
को विज्ञान, गणित व नैतिक शिक्षा से
जोड़ने का अद्भुत कार्य कर रहे है। ”
मेरा मानना है कि राष्ट्र की सेवा के कई तरीके हैं जिनमे
“बच्चो की कल्पनाओ, जिज्ञासाओं और
सीखने की ललक को एक नया आकाश
देने के लिए प्रयत्न एक उच्च कोटि की राष्ट्र सेवा है।”
आपकी लिखित कृतियों, धूप का संदूक और नन्ही चौपाल प्राप्त हुई।
बच्चों के विकास और भलाई के प्रति आपका समर्पण देख बहुत सुखद अहसास हुआ, आपके इन उन्मुखी और नवाचारी कार्यों के लिए साधुवाद 💐💐
आपके इन कार्यों में मैं अगर कोई सहयोग कर सकूं तो मुझे खुशी होगी।”
क्या लगता है आपको क्या जवाब आया होगा उनकी तरफ से ?
जवाब नीचे है :
“ आपका हृदय से आभार बच्चों का बहुत ऋण है मेरे जीवन पर अतः बस उनसे ही सीखा हुआ प्रयास कर रहा हूँ
आपका प्रोत्साहन पूंजी है आशा करता हूँ जल्द ही आपसे मुलाक़ात होगी
हार्दिक आभार”
बच्चों के उत्साहवर्धन के लिए निमित्त कुछ दिनों बाद ही उनका सन्देश प्राप्त होता है कि
“हमारे कार्यक्रमों में शिरकत करें, बच्चों का उत्साहवर्धन करें और कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएँ।
हम मानते हैं कि आपके करकमलों से बच्चों का उत्साह और भी दोगुना होगा।”
ये महत्ता है बच्चों के उत्साहवर्धन की |
आईये कुछ प्रश्न और उत्तरों से समझते से “नन्ही चौपाल” के कार्यों और योगदान को, जिनको आगे बढाने और विस्तृत दायरे तक पहुंचाने और अन्य उत्साही लोगों को ऐसे ही नवाचारी प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने को यह लेख लिखा जा रहा है :
लेखक का दृष्टिकोण:
विप्लव भट्ट जी 'नन्ही चौपाल' बाल संगठन के साथ ही बाल पत्रिका व चैनल
के माध्यम से बच्चों की आवाज़ को मंच देते है, वही स्व-निर्मित
शैक्षिक खिलौनों की प्रयोगशाला के जरिये बच्चों को किताबो से
परे सीखने का अवसर भी प्रदान करते हैं। आपका 'नन्ही चौपाल
'ऑन, व्हील्स' कार्यक्रम दूर-दराज़ के बच्चों तक रचनात्मक ज्ञान
पहुंचाने का, अभिनव प्रयास है।
"हर बच्चे के भीतर छिपा है एक वैज्ञानिक, एक कलाकार,
एक विचारक...। ज़रूरत है तो बस उसे एक चौपाल देने की,
जहां वह स्वयं को खुलकर अभिव्यक्त कर सके।"
- नन्हीं चौपाल
नन्ही चौपाल के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
नन्ही चौपाल का मुख्य उद्देश्य बच्चों को उनकी रचनात्मकता, जिज्ञासा और सीखने की ललक को बढ़ावा देना है। इसके लिए वे विभिन्न गतिविधियों, जैसे कठपुतली, जादू और रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को विज्ञान, गणित और नैतिक शिक्षा से जोड़ते हैं। इसके अतिरिक्त, नन्ही चौपाल बच्चों को अपनी बात कहने और व्यक्त करने के लिए मंच भी प्रदान करता है।
विप्लव भट्ट बच्चों के लिए किस प्रकार के अभिनव प्रयास करते हैं?
विप्लव भट्ट बच्चों के लिए कई अभिनव प्रयास करते हैं। वे बाल संगठन के साथ बाल पत्रिका और चैनल के माध्यम से बच्चों को अपनी आवाज देने का मंच प्रदान करते हैं। स्व-निर्मित शैक्षिक खिलौनों की प्रयोगशाला के माध्यम से बच्चों को किताबों से परे सीखने का अवसर प्रदान करते हैं। इसके अलावा, 'नन्ही चौपाल 'ऑन, व्हील्स' कार्यक्रम के माध्यम से दूर-दराज के बच्चों तक रचनात्मक ज्ञान पहुंचाने का प्रयास करते हैं।
विप्लव भट्ट बच्चों के जीवन में क्या महत्व रखते हैं?
विप्लव भट्ट बच्चों के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे बच्चों को उनकी रचनात्मकता को विकसित करने, सीखने के लिए प्रेरित करने और विज्ञान, गणित, और नैतिकता के मूल्यों को समझने में मदद करते हैं। वे बच्चों को अपनी बात रखने और खुद को व्यक्त करने के लिए एक मंच भी प्रदान करते हैं, जिससे बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है।
आप 'नन्ही चौपाल' के कार्यक्रमों के बारे मे जानने के लिए, सीखने के लिए और अन्य संबन्धित संपर्क के लिए उनकी पत्रिका मे दिये गए निम्नलिखित मोबाइल नंबर और ईमेल आई डी से संपर्क साध सकते हैं – मो- 9456762889
सन्दर्भ के लिए इनके यू-ट्यूब चैनल का लिंक यहाँ दिया जा रहा है और इनकी पत्रिका नन्ही चौपाल के एक अंक से कुछ छवियाँ संलग्न हैं ताकि इस नेक काम को और उसके लिए अपनाये गए अभिनव तरीके को बेहतर तरीके से समझा जा सके |
https://youtu.be/YTyv4fdfcmU?si=VJ6n1vfA0-KUAOph


आइये अब बात करते हैं विस्तृत तरीके से उनसे उन सूक्ष्म सकारात्मक परिवर्तनों पर पर जो नन्ही चौपाल के क्रियाकलापों से बच्चों मे लाये जा रहे हैं और योगदान सुनिश्चित कर रहे हैं राष्ट्र निर्माण मे |
जहाँ तक मैंने देखा, पढ़ा, समझा और महसूस किया है (अपने बचपन को याद करते हुए)
बच्चों के लिए शारीरिक विकास के लिए स्वास्थ्यवर्धक भोजन, खेल-कूद, व्यायाम और अच्छी नींद जरुरी होती है वहीँ उनके मानसिक विकास या जीवन/दुनिया/स्वयं को लेकर सही नजरिये का विकास हो या उनकी मानसिक, विश्लेषणात्मक, तार्किक क्षमताओं के विकास की बात हो या फिर उनके भावनात्मक विकास या फिर उन्हें एक बेहतर इंसान बनाने के लिए जरुरी मानवीय गुणों के लिए उनकी समझ पर काम करना हो तो हमें कई स्तर और कई परिप्रेक्ष्य में काम करना होता है, जिस पर हम आगे के लेख में बात करेंगे |
यहाँ पर ऐसे ही कुछ गुणों की सूची दी जा रही है जिन्हें विकसित करने के प्रयास के रूप मे विस्तृत प्रक्रिया अगले लेख में साझा करायी जाएगी, सन्दर्भ के लिए आप इनके यू-ट्यूब चैनल पर विजिट कर सकते हैं, उदाहरण के लिए खेल भावना (Sport’s Spirit) से बच्चे में हार जीत में एक सामान रहने और अगली बार बेहतर करने तक धैर्य आ जाता है इसके लिए हम बच्चों को खेलने के लिए पर्याप्त समय, स्थान और अन्य संसाधन की व्यवस्था करके ये सुनिश्चित कर सकते हैं, दूसरा गुण है वैज्ञानिक स्वाभाव (Scientific Temperament) जिससे तात्पर्य है कि बच्चे द्वारा चीज़ों के कार्य करने के पीछे वैज्ञानिक और तार्किक कारण ढूँढना, कार्य-कारण सिद्धांत जिसे हम वैज्ञानिक प्रयोग, विज्ञान प्रदर्शनी या विज्ञान केंद्र के भ्रमण से सुनिश्चित कर सकते हैं, अन्य के लिए जानकारी अगले लेख में |
सूची –
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क्रम सं |
गुण/उद्देश्य |
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1 |
खेल भावना (Sport’sSpirit) |
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2 |
वैज्ञानिक स्वभाव (scientific temperament) |
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3 |
संवेदनशीलता |
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4 |
साक्षरता |
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5 |
विश्लेषण क्षमता |
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6 |
मदद की भावना |
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7 |
साझा करने की भावना |
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8 |
उत्कृष्टता की चाह |
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9 |
आत्मनिर्भर बन्ने की तमन्ना |
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10 |
खुद को व्यक्त करने की क्षमता और ललक |
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11 |
साहित्य में रुझान |
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12 |
जिज्ञासा |
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13 |
सीखते रहने की चाह |
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14 |
नवाचार |
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15 |
शिष्टाचार |
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16 |
अनुशासन |
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17 |
प्रबंधन और प्रशासन की क्षमता – मूलभूत |
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18 |
सामना करने का आत्मविश्वास और दृढ़ता |
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19 |
इमानदारी |
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20 |
सच्चाई |
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21 |
प्रतिबद्धता |
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22 |
पारस्परिक सम्मान |
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23 |
लोगों को अवसर देने और साथ लेकर चलने की भावना |
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24 |
लोगों का मनोबल बढ़ाने की चाह |
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25 |
वाक् कौशल |
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26 |
बहादुर, साहसी |
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27 |
प्रेमपूर्ण |
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28 |
वर्तमान का उपयोग |
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29 |
सतर्क रहना |
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30 |
अपने कर्तव्यों कि पहचान |
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31 |
व्यक्तिगत अधिकारों का सम्मान |
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32 |
गोपनीयता का सम्मान |
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33 |
विनम्रता |
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34 |
समय की मांग के अनुसार चीजों को छोड़ पाने की क्षमता |
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35 |
निष्पक्षता |
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36 |
नए या कई काम देखकर घबराएँ न ऐसी कबिलियत |
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37 |
ज़िम्मेदारी उठाने की इच्छा |
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38 |
भीड़ से आगे खड़े होने का साहस |
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39 |
नए लोगों के सामने खुद को व्यक्त करने मे संकोच न करें ऐसा गुण |
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40 |
मजबूत शरीर कि चाह के लिए अनुशासन और व्यायाम |
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41 |
पर्यावरण को लेकर जागरूक |
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42 |
नेतृत्व क्षमता |
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43 |
समन्वय क्षमता |
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44 |
कला की समझ |
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45 |
रचनात्मकता |
कई बातें होती हैं जिन्हे बच्चों मे विकसित करने के लिए अभ्यास और उचित माहौल देने की जरूरत होती है, जैसे MIHU (May I Help you) कार्मिक गगनदीप कौर जी इस बात पर ज़ोर देती हैं कि "अगर बच्चों को ज़िम्मेदार बनाना है -आपको बच्चे को शुरू से ही उसकी उम्र के हिसाब से छोटी-छोटी जिम्मेदारियां देना शुरू करना चाहिए। उदाहरण के लिए, उन्हें अपने खिलौने खुद समेटना सिखाएं- खेलने के बाद उन्हें उनकी जगह पर रखने के लिए प्रेरित करें,"
इसी तरह कार्यशाला मे बच्चों को छोटी छोटी ज़िम्मेदारी देकर, उनके पूरी होने पर उन्हे पुरस्कार देकर उनमे ज़िम्मेदारी उठाने कि इच्छा पैदा कि जा सकती है |
ऐसे ही इतिहास मे परास्नातक और उदीयमान कवयित्री सौम्या जी इस बात पर ज़ोर देती हैं कि
"बच्चों मे जो गुण विकसित करने हों माता पिता भी पहले वो गुण खुद मे लाएँ, माने अगर वो चाहते हैं कि बच्चे झूठ न बोलें और अपने वादे पूरे करें तो उन्हे भी यही बात आदत मे लानी होगी और अगर वो चाहते हैं कि उनके बच्चे पढ़ने मे मन लगाएँ तो उन्हे भी नियमित पढ़ना होगा बच्चों के सामने फिर चाहे उन्हे कोई परीक्षा देनी हो या न देनी हो"
माता-पिता बच्चों के साथ संवाद करने के लिए निम्नलिखित तरीकों का उपयोग कर सकते हैं:
ध्यान से सुनें: बच्चों को अपनी बातें कहने दें और उनकी बातों को ध्यान से सुनें। उनकी बातों को बीच में न काटें और उन्हें अपनी बात पूरी करने का मौका दें।
खुले प्रश्न पूछें: ऐसे प्रश्न पूछें जो बच्चों को सोचने और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करें। उदाहरण के लिए, "आज स्कूल में आपका दिन कैसा रहा?" या "आपको सबसे ज़्यादा मज़ा किस चीज़ में आया?"
अपनी भावनाओं को व्यक्त करें: बच्चों को बताएं कि आप कैसा महसूस करते हैं। इससे वे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए अधिक सहज महसूस करेंगे।
"इससे पहले कि बच्चों को महंगी चीजों मे खुशी ढूँढने कि आदत लगे उन्हे रचनात्मक कार्यों मे रुझान दिलवाकर आप उनके जीवन मे पैसे के अति महत्व को कम कर सकते हैं |"
इसी तर्ज पर स्कूल और कार्यशालाओं मे विभिन्न क्रियाकलापों से विभिन्न गुण बच्चों मे अभ्यास से विकसित किए जा सकते हैं और नन्ही चौपाल सरीखे मंच जहां बच्चे साप्ताहिक या किसी अन्य अंतराल पर इकट्ठे होकर सामूहिक रूप से एक दूसरे से प्रेरित होकर, एक दूसरे को देखते हुये अभ्यास से बहुत कुछ अच्छा सीख सकते हैं, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, सहयोग कि भावना आदि गुण ल सकते हैं जो उनके जीवन को चेतना के उच्चतर स्तर पर ले जा सकते हैं |