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सम्यक जीवन और बेहतरी के लिए कुछ प्राथमिकताएं और घर का माहौल; भाग -2

  • घरों में पढाई की लौ जगे, माता पिता अपने कामों के बाद घर में कुछ देर साहित्य पढ़ें इससे कमाई भले थोड़ी कम होगी लेकिन खुद भी ज्ञान का अर्जन होगा समझ बेहतर होगी साथ ही जब बच्चे देखेंगे कि माता पिता भी पढ़ रहें तब वो भी पढ़ेंगे और इस तरह स्वाध्याय के दम से आपके कोचिंग / ट्यूशन के पैसे बचेंगे और एक बार बच्चों का मन अध्ययन मे लगा गया तो वो फिजूल के काम बंद कर देंगे |  
  • महान लोगों की फोटो घर में लगायें और बच्चों को उनके संघर्ष और उपलब्धियों के बारे में बताएं, साथ ही खुद भी उनसे प्रेरणा लेकर अपने जीवन मे संघर्षों के बावजूद सत्य और मेहनत का रास्ता न छोड़ें |
  • बच्चों को तकनीकी पढाई के साथ खेल कूद और साहित्य में रुझान लगायें
  • अगर गुंजाईश हो सके तो बच्चों को देशाटन करवाए, विज्ञानं केंद्र की सैर, ताकि उनमे जिज्ञासा बढे और वो आगे बढ़ने के लिए और मेहनत से पढ़ें, देश दुनिया के बारे में जाने, देश दुनिया के बड़े लोगों के बारे में जाने, उनके संघर्ष और प्राथमिकताओं को समझे और एक बेहतर आदर्श को देख जीवन जिये, कोई भी दिक्कत देख घबराएँ नहीं |
  • बच्चों को दिक्कतों में हारने के बजाय जूझना सिखाएं, अपने व्यवहार से, जब आप खुद दिक्कतों को देख परेशान होने ये खीझने के बजाय उससे निपटने का रास्ता निकलेंगे तो बच्चे भी यही सीखेंगे, बच्चों मे धैर्य और तार्किकता के बीज डालें | “चीज़ें समय लेती हैं ”
  • प्राथमिकतायें कम लेकिन ठोस हों ऐसी सीख दें
  • किसी भी तरह की कुंठा से बचाएं, क्योंकि कुंठा हमारा वक़्त बर्बाद करती है, उन्हें कोई कमतर न दिखा पाए इस तरह उन्हें तैयार करे इसके लिए उन्हें अध्यात्मिक अध्ययन के निकट ले जाएँ, कुंठा तब आती है जब हम उस चीज़ के बारे मे सोंचते हैं जो हमारे पास नहीं है और उस चीज़ का सदुपयोग नहीं कर पाते जो हमारे पास है |
  • जो भी साधन, गुण और काबिलियत आपके पास हैं उनका भरपूर उपयोग कर अपने काम को अच्छे से करें न कि दूसरों से तुलना करके खुद को कुंठा मे डालें|
  • याद रखें कि सबकी परिस्थितियाँ भी अलग हैं और जरूरतें भी, दिखावे से ज्यादा असली जरूरत पर विचार करके ही चीजों को हासिल करने का सोंचे, अपनी इच्छाओं कि पूर्ति के लिए अपने जीवन की शांति और खेलने, पढ़ने का समय भी अगर काम मे लगा दिया तो संतुलन बिगड़ जाएगा |
  • अपनी क्षमतानुसार घर में छोटी लाइब्रेरी बनायें जिसमे हर जरुरी वर्ग का साहित्य हो ताकि बच्चों की बुद्धि समावेशी हो
  • बच्चों में शिक्षक के प्रति आदर पैदा करें ताकि वो उनसे सीख सके, और शिक्षकों मे भी ज़िम्मेदारी का बोध बढ़े |
  • बच्चों को परहित के लिए तैयार करें इस तरह वो अस्थायी असफलता से घबराएगा नहीं और सफलता मिलने पर गुरुर न करेगा और इसका नतीजा ये होगा की वो बहुत आगे तक जायेगा, उसको स्वाद लगने दें परहित से मिलने वाले आनंद का, फिर मेहनत और उन्नति तो खुद कर लेगा, दूसरे का भला और उन्नति का करते करते उसकी भी उन्नति हो जाएगी |

    बाकी बातें अगले भागों मे |
    शुभकामनाएं