बच्चों के शिक्षकों से समय समय पर मिलते रहे और आपकी संतान पढाई और अन्य गतिविधियों में कैसा प्रदर्शन कर रही इसकी जानकारी लें, आपकी जागरूकता शिक्षकों को और ज्यादा जिम्मेदारी का अहसास करवाएंगी |
- खुद भी आप आपा-धापी में न रहें, जहाँ तक हो सके एक सुवावस्थित जीवन जियें, आपको देख बच्चे भी वही अनुसरण करेंगे जीवन में जो कुछ जरुरी है आपकी उन्नति और शांति के लिए उसी को समय दें, अनावश्यक औपचारिकताओं और दिखावे में न उलझें |
- पैसे को लेकर भी एक विचार रखें की आत्मनिर्भरता और गरिमामय जीवन के लिए जितना जरुरी है उतना कमाना है ये ध्येय रखें नाकि अकूत संपत्ति का चाह, बच्चों को काबिल बना दें वो अपनी व्यवस्था खुद कर लेंगे उनके लिए अतिरिक्त प्रबंध करने की लालसा के चलते अपने स्वस्थ्य के साथ और अपनी गरिमा के साथ समझौता न करें, बच्चे कर्मशील तब ही बनेंगे जब वैसी परिस्थिति बनेगी, संपत्ति संचयन सही तरीके से हो और उतना ही जितना गरिमामय जीवन को जरुरी है, बच्चे बैठकर बिना कुछ किये खा सकें इसके लिए कमाएंगे तो बच्चों के बिगड़ने की संभावना बन जाएगी |
- न खुद दीन हीन बनकर रहें और नहीं बच्चों को बेचारा दिखने की सीख दें, सीना तानकर चलें, चीज़ों की सही कीमत अदा करें और समाज के दबे कुचले लोगों के जीवन स्तर को उठाने के लिए संघर्ष करें, जीवन एक दिन चले जाना है उससे पहले इसे किसी ऐसे काम में लगायें जिससे वो माहौल अच्छा हो जिसमे आप रहते हो
- संगठित होकर रहना सीखिए, अन्याय के खिलाफ और अपने हक़ के लिए संगठित होकर बोलना सीखिए
- जन कल्याण की सरकारी योजनाओं की जानकारी रखिये और अपने समाज के लोगों को जागरूक करिए
- कमाने के साथ ध्यान दीजिये कि आपकी मेहनत का पैसा कहीं दिखावे या फ़िज़ूल के खर्च में तो नहीं जा रहा
- अन्याय नहीं सहना है और अपने समाज के ईमानदार और जुझारू लोगों को सरकार में भेजना है ताकि बेहतर प्रतिनिधित्व हो सके
- इंसान में अगर स्वयं और दुनिया की सही समझ है तो वो अपनी उन्नति और भले के लिए जरुरी कदम भी उठा लेगा और जरुरी नीतियाँ भी बना लेगा इसके लिए न तो उसे बताना पड़ेगा की ईमानदार रहो मेहनत करो और नहीं उसे ये बताना पड़ेगा की अपने साथ-साथ समाज के कमज़ोर लोगों की बेहतरी के लिए भी समय और संसाधन खर्च करो क्योंकि इससे वो माहौल बेहतर होता है जहाँ आप रहते हो
- बात साफ़ है जिसने आजादी और गरिमा का जीवन जिया है जिसने सत्य को जान लिया उसका ये प्रयास रहेगा कि दूसरे भी सत्य को समझे इसके लिए साहित्य हमारी मदद करता है, जिन्होंने सालों की जिंदगी जी है और अंत में एक निष्कर्ष तक पहुंचे हैं उन्होंने अपने जीवन के अनुभव को अगर एक किताब की शक्ल देने की मेहनत की है तो उससे हमें जरुर फायदा लेना चाहिए
- एक अच्छी किताब एक केवल एक किताब भार नहीं है, ये तो संगति है उस ऊँचे इंसान की जो हमारे साथ भौतिक रूप से तो नहीं हो सकता है लेकिन अपनी किताब के माध्यम से हमें वो सब कुछ बता पा रहा है जो अन्यथा वो साथ होने पर बताता |
- किताबें हमें स्पष्टता देती हैं जिससे हम सही रास्ते पर चल पाते हैं बेधड़क अन्यथा दस तरह की मूर्खताएं कर अपना समय और उर्जा ख़राब करते हैं, भ्रम, डर और लालच ही इंसान से गलत काम करवाते हैं |
- स्वयं को जानना ही है अध्यात्म; हो सकता है कि शुरुआत में तो अध्यात्म की पुस्तक आपको अरुचिकर लगे लेकिन धीरे धीरे आपको जब समझ आने लगेगा तो आप समझ जाओगे की ये तो उन पुस्तकों में से हैं जो सबसे पहले पढ़ी जानी चाहिए |
- आप अगर ध्यान दें, तो पाएंगे कि समाज के जो हिस्से निरंतर आगे बढ़ रहे हैं उनमे संपत्ति के साथ एक और बात है जो साझा है वो है अध्ययन और संगति को उचित महत्व और सही चुनाव |
- जैसे की हम एक शब्द-युग्म का इस्तेमाल करते हैं पढ़े-लिखे
इसमें ये जो “लिखे “ इस शब्द को अगर सार्थक करना है तो मुझे लगता है कि हमें अपने बच्चों को पढने के साथ अपने विचारों को और समझ को लिखने के लिए प्रेरित करना चाहिए इससे होगा क्या ? इससे दो फायदे हो सकते हैं पहला की बच्चे अपनी बात को रखने में निपुण होंगे दूसरा ये कि समाज में कई तरह के लेखक हैं कोई अपने लेखन कौशल से कोई बात को प्रचारित करता है या प्रोत्साहित करता है तो कोई लेखक किसी बात को, तो क्यों ने हम भी अपनी बात को एक बड़े जन समूह या एक बड़े पाठक वर्ग के साथ साझा करें और उन बातों को सामने रखें जो जरुरी तो हैं लेकिन उन्हें किसी कारणवश उतना महत्व नहीं दिया गया जितना दिया जाना चाहिए, साथ ही ऐसा हो सकता है कि मौजूदा लेखक वर्ग अपनी लेखनी में हमारे कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों को उचित स्थान न दे रहे हों उस स्थिति में हम उस कमी को पूरा कर सकते हैं|
- रही बात लेखन कौशल की तो वो अभ्यास से आएगा, शब्दकोष और तरीके के लिए उपलब्ध साहित्य को पढ़िए और खूब पढ़िए ताकि आपको अपने लेखन में समुचित सहयोग मिल सके फिर धीरे-धीरे अपकी लेखनी में धार आएगी और एक दिन प्रकाशित होकर बड़े जन समूह तक भी पहुंचे, कुछ नया नहीं लिख सकते तो अपने अनुभव लिखने से शुरुआत करिए ये भी किसी न किसी के काम आयेंगे और आप अपने समाज का प्रतिनिधित्व भी कर पाएंगे|
बाकी बातें अगले भागों मे |
शुभकामनाएं