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मानव व्यवहार और समाज के सम्बन्ध में कुछ उक्तियां: भाग-3

  • जहाज अपने चारों तरफ के पानी के वजह से नहीं डूबा करते, जहाज पानी के अंदर समा जाने की वजह से डूबते हैं"
  • "मनुष्य होने और मनुष्य बनने के बीच का लंबा सफर ही जीवन है |"
  • "विचारपरक संकल्प स्वयं के शांतचित्त रहने का उत्प्रेरक है"
  •  "सरलता चरम परिष्करण है"
  • सामाजिक न्याय के बिना  आर्थिक समृद्धि निरर्थक है।
  • बिना आर्थिक समृद्धि के सामाजिक न्याय नहीं हो सकता किंतु बिना सामाजिक न्याय के आर्थिक समृद्धि हो सकती है |
  • सत् ही यथार्थ है और यथार्थ ही सत् है।"
  • "इच्छा रहित होने का दर्शन काल्पनिक आदर्श (यूटोपिया) है, जबकि भौतिकता माया है।"
  • "आपकी मेरे बारे में धारणा, आपकी सोच दर्शाती है; आपके प्रति मेरी प्रतिक्रिया, मेरा संस्कार है।"
  •  "शोध क्या है, ज्ञान के साथ एक अजनबी मुलाकात।" 
  • "पालना झूलाने वाले हाथों में ही संसार की बागडोर होती है।"
  •  "इतिहास स्वयं को दोहराता है, पहली बार एक त्रासदी के रूप में, दूसरी बार एक प्रहसन के रूप में।"
  • "सर्वोत्तम कार्यप्रणाली से बेहतर कार्यप्रणालियाँ भी होती हैं।"

स्रोत - यूपीएससी सिविल सेवा ( मुख्य परीक्षा निबंध के विषय  )