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पी॰एस॰ स्पीकिंग - डॉ विजय अग्रवाल- पुस्तक परिचय

  इमेज स्रोत - https://bentenbooks.com/

डॉ॰ विजय अग्रवाल द्वारा लिखित यह प्यारी सी पुस्तक, एक आई.ए.एस. अधिकारी ( व्यक्तिगत सचिव के स्तर के ) के व्यवसायिक और व्यक्तिगत जीवन के साथ उसके मनोभावों के आस पास घूमती है, प्रकाशक बेनतेन बुक्स के शब्दों मे - " यह एक ऐसा उपन्यास है जो इस ग्लोबलाइजे़शन के दौर में किसी भी व्यक्ति को रोज़ मर्रा की ज़िन्दगी से हटकर अपनी निजता को खोजने पर मजबूर करता है। कहानी एक आई.ए.एस. अधिकारी के जीवन के चारों ओर घूमती है और हम सभी के जीवन के अंतर द्वंद्वो तथा समस्याओं पर प्रकाश डालती है। कुलमिलाकर यह हास्य-व्यंग से भरपूर, एक रोचक उपन्यास है जिसे पाठक एक बार शुरू करने पर समाप्त करके ही रखेगा।

मैंने क्या बेहतरी महसूस की खुद में इस पुस्तक को पढ़कर:

  • एक मंत्री जी के व्यक्तिगत सचिव के पास किस किस तरह के काम होते हैं और वह इन्हें कैसे व्यवस्थित करते हैं, इसे जानने और समझने का मौका मिला | 
  • डेलीगेशन के लिए लोगों के चुनाव कैसे होते हैं इसकी एक झलकी मिली |
  • संस्कृति मंत्रालय की प्रष्ठभूमि पर यह उपन्यास लिखा गया अतः इस मंत्रालय के महत्व पर भी काफी कुछ जानने का मौका मिला |
  • अलग अलग इंसान एक ही परिस्थिति को कैसे देखते और कैसे अलग -अलग प्रतिक्रिया देते हैं इसकी एक बानगी मिली |
  • शरीफ होने और शरीफ दिखने में अंतर को समझा |
  •  मानवीय मन के कई आयामों और स्थितियों, माने अहंकार, डर, असुरक्षा की भावना इत्यादि को बेहतर तरीके से समझने का मौका मिला |

" और भी बहुत कुछ जो यहाँ लिखने लग जाऊँ तो फिर एक पुस्तिका तैयार हो जाये " 

मुझे उम्मीद है कि आपको भी इस पुस्तक को पढ़कर मानसिक स्फूर्ति का अहसास होगा और चीज़ों को बेहतर तरीके से समझ पाने का गर्व तथा आत्मसंतोष भी |


अगर आपको चीज़ों की कार्यपद्धति को समझना, मानव मन और व्यवहार को जानना-समझना रोचक और जरुरी लगता है तो आप भी निराश न होंगे |


फिर देर किस बात की !

"पढाई भी और अपने जीवन में उत्कृष्ट काम के लिए प्रयास भी 

शुभकामनाएं"