भौतिकी के सैद्धांतिक /आंकिक प्रश्नों (theoratical/Numerical Questions) के लिए मददगार कुछ महत्वपूर्ण बिंदु - भाग -2
Posted on: June 18, 2025 by lovekush_kumar | Category: | Share
- जैसा कि हम जानते हैं कि पवन की दिशा उच्च दाब से निम्न दाब की ओर होती है, अर्थात उच्च दाब की ओर से हवा निम्न दाब की ओर धकेलती है। साथ ही हम यह भी जानते हैं कि बरनोली प्रमेय के अनुसार जिस तरफ पवन की गति तेज होगी उधर हवा की दाब उर्जा कम हो जाएगी परिणाम ये होता है की आंधी में किसी घर पर पड़ी हुयी टीन की चादर के ऊपर तेज पवन के चलते हवा का दाब कम रहता है जबकि चादर के नीचे स्थिर हवा के चलते ज्यादा वायु दाब जोकि बाहर की तरफ दबाव डालता है और चादर उड़ जाती है, कंक्रीट की छत नहीं उडती क्योंकि मजबूती से जुड़ी होती है और भारी होने के चलते हवा का दबाव इसके भार को संतुलित नहीं कर पाता |
- डिग्री ऑफ़ फ्रीडम एक विमाहीन संख्या होती है |
- अगर किसी प्रश्न में दिया हुआ है कि एक ही धातु की दो अलग अलग छड़ें तो तुरंत लिखिए Y1 = Y2; माने दोनों का यंग प्रत्यास्थता गुणांक एकसमान होगा, 1 और 2, दो अलग अलग परिस्थतियों को दिखाता है |
- द्रव के अन्दर मुक्त प्रष्ठ से h गहरे नीचे कुल दाब = वायुमंडलीय दाब + द्रव स्तम्भ का दाब = P0 + dgh
- समान्तर क्रम में जुड़ी स्प्रिंग के लिए बल नियतांक k = k1 + k2 मतलब उतने ही भार के लिए अब कम खिंचाव कम उत्पन्न होगा क्योकि खिंचाव x = Weight / k
- सरल आवर्त गति में पथ के सिरे(अंतिम बिंदु ) पर कण को क्षणिक रूप से रूककर वापस आना होता है इसीलिए उसका वेग क्षणिक रूप से शून्य होकर माध्य स्थिति की ओर बढ़ता है और तब तक बढ़ता रहता है जब तक की वह माध्य स्थिति में न पहुँच जाये क्योंकि प्रत्यानयन बल भी तो उसे माध्य स्थिति में ही लाना चाहता है अतः हम कह सकते हैं कि माध्य स्तिथि में वेग अधिकतम और त्वरण शून्य होता है ; फिर जड़त्व के कारण कण माध्य स्थिति के दूसरी तरफ चला जाता है परिणामतः प्रत्यानयन बल को पुनः सक्रिय होना पड़ता है ताकि वो कण को पुनः माध्य स्थिति में ला सके अतः ये अब कण की गति का विरोध करता है और उसके वेग को घटाने लगता है नतीजा ये होता है की पथ के दूसरे छोर तक पहुँचते ही इसकी गति शून्य होकर यह पुनः माध्य स्थिति की ओर चल देता है | छोर पर वेग शून्य तथा त्वरण अधिकतम होता है |
- बिंदु -6 के हिसाब से छोर पर गतिज उर्जा शून्य हो जाती है परिणामतः स्थितिज उर्जा अधिकतम |
- जितना ही कोई तार तना हुआ होगा उतना ही उसमे कम्पन आसान होगा माने समान भार के लिए एक ज्यादा तनाव वाले तार में कम्पन ज्यादा होने से ध्वनि की गति ज्यादा होगी |