ख़ास वो जो अपनी असहमति को खुलकर व्यक्त करने की स्पष्टता और साहस रखे,
ख़ास वो जो अपनी सुविधा-असुविधा के साथ दूसरों की सुविधा का भी ध्यान रखे,
ख़ास वो जो मानवता को केंद्र में रखकर परम्पराओं से हटने से भी गुरेज न करे,
ख़ास वो जो इंसान की सूरत नहीं सीरत को तरजीह दे,
ख़ास वो जो सच को सुविधा से ऊपर रखे,
ख़ास वो जो सही को अच्छे बुरे से ऊपर रखे,
ख़ास वो जो सुख दुख से ऊपर कर्तव्य को रखे और कर्त्तव्य निर्धारण में सत्य को केंद्र में रखे
ख़ास वो जो मान्यताओं की अपेक्षा तथ्य को सम्मान देने की हिम्मत रखे
खास वो जो स्वयं से आगे समष्टि को रखे
अकेलेपन से डरने वाले सामाजिक गुलाम बनते हैं, इस तरह ख़ास वो जो अकेलेपन से न डरे
ख़ास वो जो चालाकी का जवाब समझदारी से दे
सांसारिक संपत्ति, संपत्ति अर्जन, संचयन और प्रबंधन की काबिलियत दिखाता है, ऐसा इंसान अध्यात्मिक रूप से भी संपन्न हो ऐसा जरुरी नहीं|
हाँ अध्यात्मिक रूप से संपन्न इंसान के लिए जरुरी है की वो इतनी संपत्ति जरुर
अर्जित करके की आत्मनिर्भर और निर्भीक होकर जी सके तथा सच के समर्थन में मजबूती से खड़ा हो सके |
-लवकुश कुमार