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दुनिया और जीवन को लेकर बेहतर समझ, स्पष्टता और साहसी जीवन के लिए कुछ उक्तियाँ - भाग -5

इन उक्तियों को मैंने अध्यात्मिक अध्ययन के दौरान अपनी डायरी मे लिखा और

अपने अनुभव एवं अवलोकन का पुट देते हुये आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ ;

विस्तृत समझ के लिए आप अध्यात्मिक साहित्य का रुख कर सकते/सकती हैं; 

आशा है ये आपके जीवन मे स्पष्टता और शांति लाएँगे और त्वरित निर्णय लेने

तथा अपनी पसंद-नापसंद की समीक्षा करने मे आपकी मदद करेंगे,

अपनी ज़िम्मेदारी पर ही अमल मे लाएँ, शुभकामनायें  

  1. हंसो से सीख ली जाती है

    हंसो को प्रेम दिया जाता है

    उनकी उपेक्षा, उनकी अवहेलना

    उनका अनादर नहीं किया जाता

  2. जिस दिन सोंच लोगे

    कि उड़ना है

    उस दिन पाओगे कि

    सब कुछ उड़ने मे ही

    मदद कर रहा है   

  3.  रिश्ते का आधार बदल दो

    आपके साथी का व्यवहार बदल जाएगा

  4. सही को अच्छे बुरे से ऊपर रखो

  5. सुख दुख से ऊपर कर्तव्य को रखो

  6. कामना और कष्ट से ऊपर कर्तव्य

  7. मजबूती का लक्षण कष्ट और कामना से आगे कर्तव्य

  8. आसानी से किसी भी बात को अपनी ड्यूटि मत मान लेना

  9. मजबूत इंसान की एक पहचान अपने लिये फैंसले खुद करता है, खुद को जानकर

  10. मान्यताओं की अपेक्षा तथ्य को सम्मान देने की हिम्मत रखना 

  11. अपनी नयी प्रतिमा बनाते रहना

  12. उस काम से मत भागना जहां टूटते हो, ना पढ़ाई से और ना व्यायाम से

  13. नहीं जानूँगा तो नहीं मानूँगा, पहले जानना फिर मानना

  14.  स्वयं से आगे समष्टि

  15. आराम से आगे उन्नति को रखना, शरीर मजबूत होता जाएगा

  16. जो तुमसे जुड़े उसे सच्चाई तक लेकर जाना

  17. अकेलेपन से डरने वाले सामाजिक गुलाम बनते हैं, अकेलेपन से मत डरना

  18. ठसक से रहना, उन्नति करना बेटा

  19. साथ से आगे सत्य को रखना, एक मिसाल कायम करना

     

संदर्भ - आचार्य प्रशांत  की शिक्षाओं और अन्य अध्यात्मिक साहित्य के साथ स्वयं की अनुभवजनित समझ पर आधारित