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दुनिया और जीवन को लेकर बेहतर समझ, स्पष्टता और साहसी जीवन के लिए कुछ उक्तियाँ - भाग -4

इन उक्तियों को मैंने अध्यात्मिक अध्ययन के दौरान अपनी डायरी मे लिखा और

अपने अनुभव एवं अवलोकन का पुट देते हुये आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ ;

विस्तृत समझ के लिए आप अध्यात्मिक साहित्य का रुख कर सकते/सकती हैं; 

आशा है ये आपके जीवन मे स्पष्टता और शांति लाएँगे और त्वरित निर्णय लेने

तथा अपनी पसंद-नापसंद की समीक्षा करने मे आपकी मदद करेंगे,

अपनी ज़िम्मेदारी पर ही अमल मे लाएँ, शुभकामनायें  

  • अतीत मे कोई गलतियाँ नहीं होतीं

    गलती होती है मात्र वर्तमान मे

  • अपने झूठों को पकड़ो

    देखो कितना आनंद आता है |

  • जिसमे दिल लगा गया हो

    उसके पीछे मत जाओ

    जो सही है

    उसमे दिल लगाओ

  • दिन ऐसा बिताओ की रात को

    बिलकुल पडो और सो जाओ

    खाली करो अपने आपको

  • तुम्हारी चालाकी ही

    तुम्हारा बंधन है

    जो सरल है

    वो स्वतंत्र है

  • कोई भी तुम्हें लूटता

    बाद मे है

    पहले तुम्हें

    ललचाता है |

  • आदमी मजबूर हो कैसे सकता है,

    जब तक उसका स्वार्थ, लालच या डर न हो ?

  • अगर कोई इंसान

    आपकी जिंदगी

     बन बैठा है

    तो संभावना यही

     है की आपके पास

    जीने की कोई ऊंची वजह नहीं है

संदर्भ - आचार्य प्रशांत  की शिक्षाओं और अन्य अध्यात्मिक साहित्य के साथ स्वयं की अनुभवजनित समझ पर आधारित