इन उक्तियों को मैंने अध्यात्मिक अध्ययन के दौरान अपनी डायरी मे लिखा और
अपने अनुभव एवं अवलोकन का पुट देते हुये आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ ;
विस्तृत समझ के लिए आप अध्यात्मिक साहित्य का रुख कर सकते/सकती हैं;
आशा है ये आपके जीवन मे स्पष्टता और शांति लाएँगे और त्वरित निर्णय लेने
तथा अपनी पसंद-नापसंद की समीक्षा करने मे आपकी मदद करेंगे,
अपनी ज़िम्मेदारी पर ही अमल मे लाएँ, शुभकामनायें
अतीत मे कोई गलतियाँ नहीं होतीं
गलती होती है मात्र वर्तमान मे
अपने झूठों को पकड़ो
देखो कितना आनंद आता है |
जिसमे दिल लगा गया हो
उसके पीछे मत जाओ
जो सही है
उसमे दिल लगाओ
दिन ऐसा बिताओ की रात को
बिलकुल पडो और सो जाओ
खाली करो अपने आपको
तुम्हारी चालाकी ही
तुम्हारा बंधन है
जो सरल है
वो स्वतंत्र है
कोई भी तुम्हें लूटता
बाद मे है
पहले तुम्हें
ललचाता है |
आदमी मजबूर हो कैसे सकता है,
जब तक उसका स्वार्थ, लालच या डर न हो ?
अगर कोई इंसान
आपकी जिंदगी
बन बैठा है
तो संभावना यही
है की आपके पास
जीने की कोई ऊंची वजह नहीं है
संदर्भ - आचार्य प्रशांत की शिक्षाओं और अन्य अध्यात्मिक साहित्य के साथ स्वयं की अनुभवजनित समझ पर आधारित