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दुनिया और जीवन को लेकर बेहतर समझ, स्पष्टता और साहसी जीवन के लिए कुछ उक्तियाँ - भाग -3

इन उक्तियों को मैंने अध्यात्मिक अध्ययन के दौरान अपनी डायरी मे लिखा और

अपने अनुभव एवं अवलोकन का पुट देते हुये आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ ;

विस्तृत समझ के लिए आप अध्यात्मिक साहित्य का रुख कर सकते/सकती हैं; 

आशा है ये आपके जीवन मे स्पष्टता और शांति लाएँगे और त्वरित निर्णय लेने

तथा अपनी पसंद-नापसंद की समीक्षा करने मे आपकी मदद करेंगे,

अपनी ज़िम्मेदारी पर ही अमल मे लाएँ, शुभकामनायें  

  • आपको सामने वाले का

    व्यवहार चोट नहीं पहुंचाता

    आपको आपका अहंकार चोट

    पहुंचाता है

  • कल की सुबह

    अलग हो सकती है

    अगर आप आज की

     रात बादल डालें

  • तरीके आम हैं तो

    परिणाम खास कैसे होंगे ?

  • पुराने रास्तों पर

    चल चलकर

    नई मंज़िल तक

    कैसे पहुँचा जा सकता है ?

  • चालाकी का जवाब

    चालाकी नहीं

    समझदारी है

  • जो कमज़ोर नहीं

    उसे सुरक्षा देना

    उसे कमजोर करना है

  • हर कदम तुम्हें बदल देता है

    अगले कदम पर तुम,

    तुम नहीं रहोगे |

​​​​​​​  इसीलिए अपने आगे के कदमो की

           कल्पना या चिंता करना व्यर्थ है |

           तुम बस अभी जहां हो

           वहाँ से उठते एक कदम की सुध लो

  • झुंड मे नहीं चलती जवानी

    शेर की तरह चलती है |

  • दिन रात

    जिनकी आवाजें

    सुन रहे हो

    दिन रात

    जिनकी शक्लें

    देख रहे हो

    तुम्हारा मन वैसा ही

    हो जाना है |

  • आँख साफ करो,

    भीतर जाओ,

    अपनी जिंदगी को देखो |

  • शरीर की शुद्धि,

    अच्छी बात है,

    उससे कहीं ज्यादा

    अच्छी बात है ,

    शरीरभाव से मुक्ति |

  • असली मोटिवेशन

    ज्ञानवर्धन है

    न की उत्साहवर्धन

संदर्भ - आचार्य प्रशांत  की शिक्षाओं और अन्य अध्यात्मिक साहित्य के साथ स्वयं की अनुभवजनित समझ पर आधारित