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दुनिया और जीवन को लेकर बेहतर समझ, स्पष्टता और साहसी जीवन के लिए कुछ उक्तियाँ - भाग -2

इन उक्तियों को मैंने अध्यात्मिक अध्ययन के दौरान अपनी डायरी मे लिखा और

अपने अनुभव एवं अवलोकन का पुट देते हुये आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ ;

विस्तृत समझ के लिए आप अध्यात्मिक साहित्य का रुख कर सकते/सकती हैं; 

आशा है ये आपके जीवन मे स्पष्टता और शांति लाएँगे और त्वरित निर्णय लेने

तथा अपनी पसंद-नापसंद की समीक्षा करने मे आपकी मदद करेंगे,

अपनी ज़िम्मेदारी पर ही अमल मे लाएँ, शुभकामनायें  

  • सुबह उठो लेकिन पुराना दिन दोहराने को नहीं

    नया दिन लाने को

  • लोग तुम्हें नहीं चाहते,

    तुम्हारे द्वारा उन्हे जो मिल रहा होता है

    उस चीज़ को चाहते हैं

  • जो भयानक है वो कुछ छीन नहीं सकता

    जो आकर्षक हो

    वो कुछ दे नहीं सकता

  • जिसकी ज़रूरतें जितनी बढ़ेंगी

    वो उतना बिकेगा

    जरूरतें कम रखना बेटा

  • तुम्हारे मन को कोई विचलित करे

    ये अन्याय है तुम्हारे साथ

  • रिझाने वालों को

    धोखेबाज जाना

    खुश नहीं होना है

  • रिझाना प्रेम नहीं

    चालबाजी है

  • जो कुछ तुम्हें

    बार बार याद आता हो

    तुम उससे कुछ ऊंचा याद रखो

  • तुम्हारा जन्म दूसरों से

    तुलना करने को

    नहीं हुआ है  तुम्हारा जन्म अपनी सच्चाई को  अभिव्यक्ति देने को हुआ है 

संदर्भ - आचार्य प्रशांत  की शिक्षाओं और अन्य अध्यात्मिक साहित्य के साथ स्वयं की अनुभवजनित समझ पर आधारित