इन उक्तियों को मैंने अध्यात्मिक अध्ययन के दौरान अपनी डायरी मे लिखा और
अपने अनुभव एवं अवलोकन का पुट देते हुये आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ ;
विस्तृत समझ के लिए आप अध्यात्मिक साहित्य का रुख कर सकते/सकती हैं;
आशा है ये आपके जीवन मे स्पष्टता और शांति लाएँगे, अपनी ज़िम्मेदारी पर
ही अमल मे लाएँ, शुभकामनायें
जरा सीधा होकर जीना है
जरा सरल
जरा भोला होकर जीना है
चालाकी थोड़ा कम
गलती स्वीकार कर लो
गलती से मुक्ति की
शुरूआत हो जाएगी
शरीर की उम्र नहीं
चेतना का स्तर देखो
फिर सोंचो की बात सुननी है की नहीं
दूसरों के साथ होने मे
और दूसरों से बंधे होने मे अंतर है
साथ होना सीखा
जो अकेला होना जानेगा वही साथ होना भी जानेगा
यही धर्म है आपका कि
जब दस लोग मूर्खता कर रहे हों
तो आप मूर्खता न करें
संदर्भ - आचार्य प्रशांत की शिक्षाओं और अन्य अध्यात्मिक साहित्य के साथ स्वयं की अनुभवजनित समझ पर आधारित