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दुनिया और जीवन को लेकर बेहतर समझ, स्पष्टता और साहसी जीवन के लिए कुछ उक्तियाँ - भाग -1

इन उक्तियों को मैंने अध्यात्मिक अध्ययन के दौरान अपनी डायरी मे लिखा और

अपने अनुभव एवं अवलोकन का पुट देते हुये आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ ;

विस्तृत समझ के लिए आप अध्यात्मिक साहित्य का रुख कर सकते/सकती हैं; 

आशा है ये आपके जीवन मे स्पष्टता और शांति लाएँगे, अपनी ज़िम्मेदारी पर

ही अमल मे लाएँ, शुभकामनायें  

  • जरा सीधा होकर जीना है

    जरा सरल

    जरा भोला होकर जीना है

    चालाकी थोड़ा कम

  • गलती स्वीकार कर लो

    गलती से मुक्ति की

    शुरूआत हो जाएगी

  • शरीर  की उम्र नहीं

    चेतना का स्तर देखो

    फिर सोंचो की बात सुननी है की नहीं

  • दूसरों के साथ होने मे

    और दूसरों से बंधे होने मे अंतर है

    साथ होना सीखा

    जो अकेला होना जानेगा वही साथ होना भी जानेगा

  • यही धर्म है आपका कि

    जब दस लोग मूर्खता कर रहे हों

    तो आप मूर्खता न करें

संदर्भ - आचार्य प्रशांत  की शिक्षाओं और अन्य अध्यात्मिक साहित्य के साथ स्वयं की अनुभवजनित समझ पर आधारित