भय सफलता का सबसे बड़ा बाधक है |
साहसी और हिम्मतवर व्यक्ति हज़ार कठिनाइयों मे भी विचलित नहीं होते |
जीवन के किसी भी क्षेत्र मे व्यवस्था एवं क्रम बनाए रखने के लिए सुदृढ़ मनोबल एवं साहसी होने की अत्यंत आवश्यकता है |
भय विमुख होना मनुष्य का सबसे बड़ा सौभाग्य है |
मानसिक कमजोरी, दुख या हानि की काल्पनिक आशंका से ही प्रायः लोग भयभीत रहते हैं |
परिस्थितियों या शंकाओं के विरुद्ध मोर्चा लेने की शक्ति हो तो भय मिट सकता है| इसके लिए हृदय मे दृढ़ता चाहिए |
परमात्मा को भूलकर अन्य वस्तुओं के साथ लगाव रखने से ही भय उत्पन्न होता है |
मनुष्य शरीर से अलग कोई अविनाशी तत्व है |
डर का सबसे प्रमुख कारण है अज्ञानता | जिसे हम ठीक तरह से नहीं जानते उससे प्रायः डरा करते हैं |
घने जंगलों मे सिंह, व्याघ्रों के बीच निवास करने वाले आदिवासी उनसे जरा भी नहीं डरते, बल्कि आँख-मिचौली खेलते रहते हैं, जबकि सामान्य लोगों को सिंह, व्याघ्र की बात सुनने से भी डर लगता है |
अजनबी आदमी को देखकर तरह – तरह की आशंकाएं मन मे उठती हैं, पर जब उसका पूरा परिचय होता है तो पूर्व आशंका मित्रता मे बादल जाती है |
इस संसार मे लगभग सारे डर अज्ञानमूलक हैं |
स्रोत- पुस्तिका – “ भय मारक है, साहस पराक्रम संजीवनी ” लेखक – श्रीराम शर्मा आचार्य