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श्री उदय सिंह - एक बेहतरीन शिक्षक और खुशमिज़ाज इंसान की मिशाल

वह ग्यारहवीं और बारहवीं मे मेरे भौतिकी ( फ़िज़िक्स ) और रसायन शास्त्र ( कैमिस्ट्रि ) के शिक्षक रहे |

स्वभाव मे खुशमिजाज़ और मज़ाकिया, फ़िज़िक्स और कैमिस्ट्रि दोनों मे गजब निपुणता, 

जी हाँ मैं उनसे कोचिंग लिया करता था स्कूल के बाद और स्कूल के पहले सुबह सवेरे |

“ कोई छात्र किस विषय को लेकर आगे बढ़ेगा ये बहुतायत मामलों मे इस बात पर

निर्भर करता है कि उस विषय से परिचय कराने वाला शिक्षक कैसा मिला ",

शिक्षक ने अगर रोचक ढंग से पढ़ा दिया तो मन लग जाता है उस विषय मे

और नतीजतन उस विषय मे बेहतर प्रदर्शन छात्र में उस विषय के साथ आगे

बढने  को लेकर एक आत्मविश्वास पैदा कर देता है |

मेरे साथ भी यही हुआ, पढ़ाते तो उदय सर दोनों ही विषय रोचक ढंग से थे लेकिन

कैमिस्ट्रि की क्लास अर्ली मॉर्निंग होने के चलते कैमिस्ट्रि नींद की भेट चढ़ गयी माने 

केमिस्ट्री की परफॉरमेंस फिजिक्स की तुलना में कमतर रही और रूचि भी उतनी न रही,

सौभाग्यवश फ़िज़िक्स के मामले मे संयोग अच्छा रहा, खूब न्यूमेरिकल प्रैक्टिस किए

और बनारस हिन्दू विश्वविद्यलय से भौतिकी मे बी०एस०सी ( आनर्स ) और

आई०आई ०टी० दिल्ली से भौतिकी मे ही परास्नातक भी किया |

आदरणीय उदय सर के जो गुण हमारे जैसे हजारों छात्रों के लिए

अमृतफल और प्रेरणा साबित हुये वो थे :

  • नियमित क्लास लेना
  • नियमित टेस्ट लेना
  • व्यंग कौशल के चलते माहौल मे जीवंतता बनाए रखने की खूबी
  • अध्यात्मिक प्रवृत्ति के चलते समय समय पर छात्रों/छात्राओं को  जीवन और दुनिया को लेकर स्पष्टता देना
  • गरीब और विपदा के सताये बच्चों की फीस माफ कर देना |
  • अध्यापन को लेकर समर्पण ऐसा कि घर पर ही भौतिकी की लैब स्थापित कर रखी थी |

एक बहुत खास घटना जिसने मेरे जीवन पर लॉन्ग लास्टिंंग इम्प्रैशन छोड़ दिया :

उदय सर, वेदमाता गायत्रीपीठ से जन-कार्यों हेतु जुड़े थे इसी बाबत एक बार

ग्यारहवीं के दौरान लखीमपुर के विलोबी हाल मे गायत्री परिवार के तरफ से

श्रद्धेय पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा लिखे युग साहित्य पर

आधारित एक पुस्तक मेला लगा जिसके बारे मे उदय सर ने

सब छात्रों को बताया, मैंने वहाँ से 56 रुपये मे 13 किताबें खरीदीं, 

किताबें मददगार और जीवन/ दुनिया को लेकर स्पष्टता देने वाली

लगीं और मेरे अध्यात्मिक अध्ययन का कारवां चल पड़ा जो आज

भी जारी है जिससे मुझमे बेहतर निर्णयन क्षमता के साथ-साथ

प्राथमिकताओं को लेकर स्पष्टता मिल रही है |

 

अगर उदय सर की संगति न मिली होती तो शायद मै आज वो

न बन पता जो बनकर आज मुझे खुशी और गर्व है |

हृदय से आभार आदरणीय उदय सर के लिए |  

-लवकुश कुमार