आज आप बहुतायत संख्या में पाएंगे कि लोग कहते हैं कि आज की पीढ़ी ऐसी है, इनमें ये कमी है वो कमी है, जो भी कमियां या बुराइयां हैं तो उनका दोषी है कौन ?
बच्चों को जीवन मूल्य मिलते हैं उनके घर, स्कूल और मोहल्ले के माहौल से, साहित्य और सिनेमा से।
बच्चे आदर्श मानते हैं उन्हें जिनका सम्मान उनके बड़े करते हैं।
अगर आप आज अपने स्वार्थवश ग़लत इंसान का सम्मान करेंगे तो आपके बच्चे भी वैसे ही बनेंगे।
आने वाले समय में यही बच्चे अधिकारी, डाक्टर, इंजीनियर, वकील, कलाकार, न्यायधीश, शिक्षक, व्यापारी और नेता इत्यादि बनेंगे, उस वक्त हमारी इनसे क्या अपेक्षाएं होंगी, क्या वो इस पर खरे उतर पाएंगे?
इसके लिए हमें उन्हें अभी से तैयार करना होगा।
तकनीकी शिक्षा के साथ उन्हें जीवन और इस शरीर और मन की सही समझ देनी होगी।
उनमें संवेदनशीलता, समता, व्यक्ति की गरिमा, आज़ादी, सत्यनिष्ठा, परोपकार, त्याग, जिम्मेदारी और जवाबदेही जैसे मूल्यों के प्रति सम्मान अभी से विकसित करना होगा, नहीं तो कल हमारे पास भी अपनी उत्तरोत्तर पीढ़ी की आलोचना करने के सिवाय कोई और विकल्प न होगा।
बाहर के शासन और बाहर से लगाम से ज्यादा कारगर है इंसान का स्वयं में ये संकल्प कि वो विश्व व्यवस्था को बिगाड़ने या मनुष्यों के आपसी विश्वास को कम करने वाला कोई कार्य नहीं करेगा।
शुभकामनाएं