ताकि हम अपने आस पास के लोगों के इतर खुद से दूर दराज के लोगों के जीवन, पहनावे और रहन सहन के बारे में जान सकें।
अच्छा जानना क्यों है दूर वालों के बारे में ?
ताकि
हम जान सकें कि अगर उनमें कुछ बेहतर है हमसे, जिसे अपनाया जा सके।
हम जान सकें उनके जीवन के संघर्षों के बारे में ताकि हमें अपनी दिक्कतें बड़ी न लगें।
हम जान सकें उनकी आकांक्षाओं के बारे ताकि जब कभी उनके साथ काम करना पड़े या उनके लिए नीतियां बनाना पड़े तो हम हम उनके व्यवहार और जरूरतों के पीछे का कारण जान सकें।
इस तरह नए लोगों के साथ काम करना आसान होगा।
समाज के एक तबके का इंसान दूसरे तबके के इंसान के बारे में जान ही तब पाता है जब या तो वो उनके बीच समय बिताए, या उनके बारे में फ़िल्म देखें या फिर साहित्य ( कहानी, कविता, उपन्यास, लेख, रिपोर्ताज, जीवनियां, आत्मकथा इत्यादि) पढ़ें।
फिर वही प्रश्न कि आखिर जानना क्यों है ?
ताकि समाज में आपसी संघर्ष कम हों और सब एक दूसरे को साथ लेकर चलें, एक दूसरे की तकलीफ़ों के प्रति संवेदनशील रहें ताकि स्थायित्व का मार्ग प्रशस्त हो और देश में शांति बनी रहे, जीवन में शांति बनी रहे।
उम्र के एक पड़ाव का इंसान उम्र के दूसरे पड़ाव के इंसान के विचारों और प्राथमिकताओं को जान पाता है, सुविधा असुविधा को जान पाता है साहित्य अध्ययन से नतीजतन तालमेल बिठाकर चलना आसान होता है, जीवन में शांति आती है और क्लेश कम से कम रहता है।
आज का इंसान, अपने पूर्वजों द्वारा अनुभव की गई जीवन और दुनिया की सच्चाई को पुस्तकों द्वारा पढ़कर अपने जीवन को सही दिशा दे सकता है, जिसमें अफसोस का कोई स्थान न हो, हो तो केवल उत्कृष्टता।
फिर क्या सोंच रहे हैं आप ? देंगे एक घंटा रोज का ? साहित्य अध्ययन को
और बच्चों को भी मैथ्स साइंस के साथ-२ साहित्य पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेंगे और देश को बेहतर और संवेदनशील ( जो दूसरों की तकलीफ़ को समझ सके ) नागरिक देने का प्रयास करेंगे ?