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शिक्षा जो संवेदनशीलता और प्रेम लाये

हमे अपनी शिक्षा मे साहित्य अध्ययन को समुचित महत्व देना चाहिए

ताकि देश के नागरिक अपने देश मे रहने वाले सभी वर्गों और तबकों के संघर्ष,

नजरिए और आकांक्षाओं से परिचित होकर उनके साथ तालमेल बैठकर 

आगे बढ़ सकें और देश की उन्नति मे सहयोग कर सकें |

बहुत बेहतर हो की वो अपनी समझ और विचार को शब्द देकर उसे लिखित/मौखिक रूप से अभिव्यक्त 

कर सकें, ऐसा होने पर ही हम उन्हे सही मायने मे पढ़ा लिखा इंसान बना पाएंगे,

अन्यथा वो जीवन को केवल भोग और विलासिता का जरिया समझकर जीवन बिता देंगे |


 

जब हम किसी से प्रेम करते हैं तो उसके भले और उन्नति की बात सोंचते हैं|

किसी और के लिए भला क्या है इसे जानने से पहले 

हमे खुद के लिए भला क्या है, ये जानना होगा 

जिसके लिए सबसे पहले हमे ये समझना होगा कि

हम एक शरीर मात्र नहीं बल्कि एक बेचैन चेतना हैं 

जिसे चैन चाहिए जो चैन मिलता है जीवन मे 

सत्य, आज़ादी और उत्कृष्टता को उच्चतम स्थान देकर 

बिना  सत्य, आज़ादी और उत्कृष्टता को उच्चतम स्थान दिये 

हम कितना भी भोग (consumption or pleasure) लें हमे 

चैन नहीं मिलना |

अच्छा साहित्य हमारी चेतना को उठाता है और हमे लोगों की 

तकलीफ के प्रति संवेदनशील बनाता है |

हिन्दी साहित्य मे  राहुल सांकृत्यायन, मुंशी प्रेमचंद जैसे महान लेखक हुये हैं,

जिन्हे पढ़कर आप समाज को बेहतर रूप से समझ सकते हैं और अपनी चेतना को ऊपर उठा सकते हैं

"आपकी समझ कभी आपका साथ नहीं छोडती "

समझ परिपक्व होती है, अपने कार्य मे उत्कृष्टता के लिए प्रयास से और 

समझ का दायरा बढ़ता है साहित्य अध्ययन और नए लोगों को जानने समझने  से 

"एक बार समझ का दायरा बढ़ गया फिर लोगों से ताल मेल बिठाना आसान हो जाता है "